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Jaipur News : जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी में तीन दिवसीय इसरो एग्जीबिशन का आयोजन किया जा रहा है. एग्जीबिशन का उद्घाटन आज पद्मश्री डॉ. एएस किरण कुमार सदस्य, अंतरिक्ष आयोग,भारत सरकार और पूर्व अध्यक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा किया गया. तीन दिनों तक आयोजित होने वाली इस एग्जीबिशन में मुख्य आकर्षण हाल ही में लॉन्च किए गए इसरो के रॉकेट और उपग्रहों के वृत्तचित्र और प्रदर्शनियां, लाइव वाटर रॉकेट लॉन्च, कार्यशालाएं, राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही है. इस मौके पर इसरो के कई साइंटिस्ट भी कॉलेज में मौजूद रहे और बच्चों को स्पेस मिशन, इसरो और कई साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स से रूबरू करवाया.
स्टूडेंट्स अंतरिक्ष दुनिया को करीब से देखे और भविष्य में इसरो के साथ जुड़कर बतौर साइंटिस्ट करियर बनाए. इसी उद्देश्य से करीब 4 साल बाद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी के सहयोग से साइंस एग्जीबिशन आयोजित कर रही है. भारत में अब तक सफलतापूर्वक छोड़े गए 104 सैटेलाइट की कहानी इसरो ने डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से बच्चों के बीच पेश की जिसे देख वो साइंस में करियर बनाने को प्रेरित हुए. ,प्रदर्शनी में इसरो की वैन भी आकर्षण का केंद्र रही जिसमें इसरो के अलग-अलग स्पेस मिशन के डिस्प्ले मॉडल्स लगाए गए. इनमें नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन, इंडियन रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन, इंडियन सैटेलाइट कम्युनिकेशन एप्लीकेशन, चंद्रयान, मंगलयान सहित कई मिशन के मॉडल्स मौजूद रहे. ,
पद्मश्री डॉ. एएस किरण कुमार ने बताया कि "विक्रम साराभाई को इसरो की आज की आधुनिकता का श्रेय जाता है. पीएसएलवी की मदद से इसरो ने 34 देशों की 400 से भी अधिक सैटेलाइटस को लॉन्च किया है. इसरो ने पीएसएलवी की मदद से 104 सैटेलाइट एक लॉन्च में अंतरिक्ष में छोड़े. साधनों की कमी के बावजूद इसरो ने अपने दृढ़ निश्चय और मेहनत से कई इतिहास रचे. जैसे की चंद्रयान,मंगलयान,इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट के पीछे की कहानी भी बच्चों को बताने के उद्देश्य से इस एग्जीबिशन का आयोजन किया गया है. "
हेड डिजिटल स्ट्रेटजीस धीमांत अग्रवाल ने बताया कि "तीन दिनों तक आयोजित होने जा रही इस एग्जीबिशन में जयपुर और आसपास के जिलों के करीब 104 स्कूलों के करीब 16 हजार से ज्यादा बच्चे यहां पहुंचेंगे. इसके साथ ही इसरो किस प्रकार कार्य करता है. रॉकेट लॉन्च कैसे किया जाता है. साथ ही इसरो की ओर से एक वैन यहां लाई गई है. जिसमें ये बताया गया है की अब तक कितने रॉकेट और कैसे अंतरिक्ष में छोड़े जा चुके हैं. "
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