आरक्षण की लड़ाई बीच में छोड़ गुर्जर नेता राजनीति की पटरी पर सक्रिय, कट्टर विरोधी हिम्मत का बैंसला को समर्थन
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आरक्षण की लड़ाई बीच में छोड़ गुर्जर नेता राजनीति की पटरी पर सक्रिय, कट्टर विरोधी हिम्मत का बैंसला को समर्थन

गुर्जर आंदोलन के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला फिर से राजनीति के ट्रैक पर चल पड़े हैं. 

फाइल फोटो

Jaipur : गुर्जर आंदोलन के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला फिर से राजनीति के ट्रैक पर चल पड़े हैं. कर्नल बैंसला ने आरक्षण की लड़ाई के बीच राजनीति की जंग का एलान कर दिया है. खास बात ये है कि कर्नल बैंसला के कट्टर विरोधी हिम्मत सिंह ने राजनीति के ट्रैक का समर्थन किया है. भले ही समाज के लिए आरक्षण (Gujjar reservation) की लड़ाई में दोनों गुट साथ ना हो, लेकिन अपनी राजनीति की पटरी पर दोनों साथ साथ दिखाई दे रहे हैं.

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72 विधानसभा, 16 लोकसभा सीटों पर गुर्जरों का वर्चस्व-
राजस्थान में आरक्षण की पटरी से उतरकर अब गुर्जर समाज के नेता राजनीति के ट्रैक पर सवार हो गए हैं. प्रदेश की राजनीति में 72 विधानसभा और 16 लोकसभा सीटों पर वर्चस्व रखने वाले गुर्जर समेत एमबीसी वर्ग से कर्नल किरोड़ी बैंसला (Kirori Singh Bainsla) ने राजनीति में एंट्री करने का आह्वान क्या किया, उनके कट्टर विरोधी हिम्मत सिंह उनके समर्थन में उतर आए. समाज के लिए आरक्षण की लड़ाई लड़ते-लड़ते कर्नल किरोड़ी बैंसला और हिम्मत सिंह (Himmat Singh Gurjar) के बीच एक समय के बाद फूट जरूर तो हुई, लेकिन राजनीति की ट्रैक पर दोनों नेता अब एक साथ हो गए.

कर्नल किरोड़ी बैंसला के कट्टर विरोधी माने जाने वाले हिम्मत सिंह ने एमबीसी वर्ग को राजनीति में सक्रिय होने के लिए कर्नल किरोड़ी का समर्थन किया है. हिम्मत सिंह का कहना है कि कर्नल साहब देर आए, दुरूस्त आए. मैं उनके बयान का समर्थन करता हूं, लेकिन शर्तें राजनैतिक ताकत बनाकर एमबीसी जातियों के साथ धोखा नहीं करे. राजनीतिक ताकत बनाने के लिए हम 2008 से पैरवी कर रहे थे, लेकिन कर्नल साहब ने हमारी नहीं सुनी और बीजेपी से सांसद का चुनाव लडा. समाज राजनीति ताकत दिखना चाहता है थर्ड फ्रंट बनाए.

और हम देखते रह गए-
कर्नल किरोड़ी ने एमबीसी वर्ग से आह्वान किया है कि राजस्थान में इतना वर्चस्व होने के बावजूद भी हम देखते ही रह गए. समाज के लोगों को राजनीति में हिस्सा लेना चाहिए. अब समय आ गया है, समाज के लोग अपना राजनीतिक बाहुबल पहुंचने और राजनीति के लिए आगे आए. उन्होंने ये भी कहा है कि एमबीसी वर्ग से बल भूल हो रही है.

राजस्थान में गुर्जर तीसरी सबसे बड़ी जाति-
राजस्थान में जाट और राजपूतों के बाद गुर्जर वोट बैंक के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी जाति है. प्रदेश में एमबीसी वर्ग की करीब 1 करोड़ की आबादी है. जिसमें से गुर्जर 50 लाख, रेबारी 15 लाख, 35 लाख एमबीसी की दूसरी जातियां शामिल हैं. यानि राजस्थान की कुल आबादी का 14 फीसदी भाग एमबीसी वर्ग से है. एमबीसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक प्रदेश के कई जिलों में फैला है. गुर्जर नेता शैलेंद्र सिंह गुर्जर का कहना है कि प्रदेश के जो गुर्जर बाहुल्य इलाके है, जिसमें भरतपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, जयपुर ग्रामीण, करौली, कोटा, बांरा, झालावाड़, कोटा, बूंदी, अजमेर, टोंक—सवाईमाधोपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, झुन्झुनु, चितौडगढ़ शामिल है.

राजस्थान में फिलहाल 8 विधायक गुर्जर-
हालांकि की मौजूदा राजनीति में 8 सीटों पर गुर्जर विधायक है, जिसमें 7 कांग्रेस और 1 बीजेपी के विधायक है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब कर्नल किरोडी बैंसला ने राजनीति की पिच पर अपना हाथ आजमा रहे है, बल्कि कर्नल बैंसला खुद बीजेपी के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें 317 वोटों से हार मिली थी, लेकिन यहां बड़ा सवाल ये है कि राजनीति में फिर से सक्रिय होने वाले गुर्जर नेता, सरकारों से आरक्षण की लड़ाई कैसे लड़ेंगे.

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