नए साल पर सरिस्का हुआ गुलजार, ST-19 बाघिन के 2 शावकों के साथ संख्या में हुआ इजाफा
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नए साल पर सरिस्का हुआ गुलजार, ST-19 बाघिन के 2 शावकों के साथ संख्या में हुआ इजाफा

नए साल सरिस्का के लिए खुशखबरी लाया है. बुधवार को सरिस्का बाघ परियोजना में बाघिन एसटी 19 अपने 2 शावकों के साथ कैमरे में ट्रैप हुई है. पहली बार बाघिन के साथ नजर आए 2 शावकों खबर से सरिस्का के अधिकारियों कर्मचारियों सहित वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है. वही सरंक्षक एवं क्षेत्र निदेशक आर एन मीना ने बताया कि अलवर बफर रेंज के बारा लिवारी वन क्षेत्र में बाघिन एसटी 19 की 2 बाघ शावकों के साथ पहली बार कैमरा ट्रैप में फोटो आई है. 

फाइल फोटो.

Alwar: नया साल (New Year 2022) सरिस्का के लिए खुशियां लेकर आया है, यहां लगातार बाघों की संख्या बढ़ने से सरिस्का में सैलानियों में भी इजाफा हो रहा है. नए साल में सरिस्का में एसटी 19 अपने दो बाघ शावकों के साथ कैमरे में ट्रैप होने के बाद अब सरिस्का में बाघों संख्या सिल्वर जुबली यानी 25 पर पहुंचने से वन्य जीव प्रेमियों में खुशी का माहौल है. 

नए साल सरिस्का के लिए खुशखबरी लाया है. बुधवार को सरिस्का बाघ परियोजना में बाघिन एसटी 19 अपने 2 शावकों के साथ कैमरे में ट्रैप हुई है. पहली बार बाघिन के साथ नजर आए 2 शावकों खबर से सरिस्का के अधिकारियों कर्मचारियों सहित वन्यजीव प्रेमियों में खुशी की लहर है. वही सरंक्षक एवं क्षेत्र निदेशक आर एन मीना ने बताया कि अलवर बफर रेंज के बारा लिवारी वन क्षेत्र में बाघिन एसटी 19 की 2 बाघ शावकों के साथ पहली बार कैमरा ट्रैप में फोटो आई है. इन दोनों बाघ शावकों की उम्र लगभग 2 माह है. सीसीएफ ने बाघों की संख्या वृद्धि में टीम के सकारात्मक प्रयास के परिणाम बताया. 

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सरिस्का में अब बाघों का कुनबा बढ़कर 25 हो गया है, इसे बाघों की सिल्वर जुबली भी कह सकते है. यहां नर बाघ 9 , मादा बाघ 11 और शावक पांच है, कुल 25 बाघ-बाघिन होने से सैलानियों में भी इजाफा देखा जा रहा है.  सरिस्का में बढ़ते बाघों के कुनबे के पीछे सरिस्का वन प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका भी है. 1216 वर्ग किलोमीटर में फैले सरिस्का में सतत मोनेटरिंग के साथ ही बाघों की सुरक्षा जैसी चुनोतियां भी यहां कम नहीं है. 

बाघों का पहला ऐसा आशियाना जो उजड़ने के बाद फिर आबाद हुआ
सरिस्का सन् 2004 में बाघ विहीन हो गया था. सरिस्का प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते शिकारियों ने जंगल से बाघों का सफाया कर दिया था. इस खबर से पूरा देश आक्रोश में था और बाघों के आशियाना पूरी तरह से उजड़ गया था. फिर 2008 में बाघों को सरिस्का शिफ्ट करने का कार्य शुरू हुआ. 

सबसे पहले 28 जून 2008 को सवाई माधोपुर के रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान से एक बाघ को सरिस्का में लाकर पुनर्वासित किया गया. इस बाघ का नाम एसटी 1 रखा गया. रणथंबोर से कुल चार बाघ और पांच बाघिन को सरिस्का शिफ्ट किया गया. इसके बाद धीरे-धीरे सरिस्का का कुनबा बढ़ता चला गया, आज यहां 25 बाघों के कुनबा होने से सरिस्का गुलजार हुआ है. 

अलवर के सरिस्का का इतिहास
सरिस्का देश के प्रसिद्ध बाघ अभ्यारण में से एक है. यह अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. सरिस्का को 1955 में वन्यजीव आरक्षित घोषित किया गया था. 18 सितंबर 1958 में इसे वन्यजीव सेंचुरी का दर्जा मिला. 1978 में इसे बाघ परियोजना का दर्जा दिया गया. सरिस्का 1,216 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. सरिस्का में बाघ, तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, जंगली बिल्ली, लंगूर, खरगोश बंदर, चिंकारा सहित अनेक प्रकार के वन्यजीव जंतु पाए जाते हैं. 

सरिस्का में यह है प्रमुख घाटियां
अरावली की पहाड़ियों से घिरे हुए सरिस्का में कई घाटियां है, जहां वन्य जीव जंतु अधिक विचरण करते है. इनमें प्रमुख रूप से सरिस्का बारा, काली घाटी, काकवाड़ी, गढ़राजोर, उदयनाथ, उमरी, सिलिबेरी, राइका, पानी ढाल लोज, लीलका बिनक, काली खोल, नाथूसर रामपुरा आदि घाटियां शामिल है. 

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