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Jaipur: राजस्थान हाई कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को कोर्ट परिसर और आवास स्थल पर सुरक्षा नहीं देने के मामले में लापरवाही बरतने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने दस नवंबर को एसीएस गृह, डीजीपी और प्रमुख विधि सचिव को पेश होने के आदेश दिए हैं. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने तीनों अधिकारियों से पूछा है कि तीन साल पहले हाईकोर्ट की ओर से आदेश देने के बाद भी न्यायिक अधिकारियों को अब तक पर्याप्त सुरक्षा मुहैया क्यों नहीं कराई. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि हम नहीं चाहते की न्यायिक अधिकारियों को जेड प्लस सुरक्षा मिले, लेकिन उनके काम को देखते हुए उचित सुरक्षा मिलनी ही चाहिए.
तीन साल बाद भी आदेश का पालन नहीं
अदालत ने अपने आदेश में नौ जुलाई 2017 को एक मामले में दिए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने निचली अदालतों के पीठासीन अधिकारियों की सुरक्षा के इंतजाम करने को कहा था. इसके तहत तत्काल जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के आवास पर सुरक्षाकर्मी तैनात करने के साथ ही अन्य न्यायिक अधिकारियों के लिए उचित सुरक्षा इंतेजाम करने थे, लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी आदेश की पालना नहीं की गई.
सुरक्षा के नहीं है पुख्ता इंतजाम
गौरतलब है कि गांधीनगर स्थित न्याय शिखा अपार्टमेंट में गत दिनों महिला न्यायिक अधिकारी के आवास पर चोरी हुई थी. यहां न्यायिक अधिकारियों के 32 आवास हैं, लेकिन सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं. अपार्टमेंट में चारों तरफ से कोई भी व्यक्ति कभी भी प्रवेश कर सकता है. इसके अलावा आसपास करीब एक सौ पचास से अधिक न्यायिक अधिकारी रहते हैं, लेकिन सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं हैं. वहीं पद की गरिमा के चलते न्यायिक अधिकारी खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे हैं.
Reporter- mahesh pareek