Holi 2023: दुनिया भर में फेमस लठमार होली कब और किस दिन मनाई जाएगी, जानें
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1580073

Holi 2023: दुनिया भर में फेमस लठमार होली कब और किस दिन मनाई जाएगी, जानें

Lathmar Holi 2023: मथुरा और ब्रज की लठमार होली दुनियाभर में मशहूर है. बरसाने में लठमार होली 28 फरवरी 2023 को खेली जाएगी. कहा जाता है कि द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ लठमार होली खेलने की शुरुआत की थी. तब से आज तक ये परंपरा चली आ रही है.

Holi 2023: दुनिया भर में फेमस लठमार होली कब और किस दिन मनाई जाएगी, जानें

Lathmar Holi 2023: मथुरा और ब्रज की लठमार होली दुनियाभर में मशहूर है. ब्रज की लठमार होली को देखने दुनिया भर से लोग आते हैं. होली के दिन मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जश्न देखने लायक होता है. यहां लठमार होली की अनूठी परंपरा है, जिसमें महिलाएं लठ से लड़कों को पहले मारती हैं और रंग लगाती हैं. बरसाना की लठमार होली में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी पहुंचते है. ये सैलानी होली की मस्ती का आनंद लेने के साथ ही यहां की खूबसूरत तस्वीर अपने कैमरे में कैद करते हैं.

बरसाना की लठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. ये होली राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानी जाती है. आइए जानते हैं इस साल कब खेली जाएगी लठमार होली और कैसे शुरू हुई इस परंपरा की शुरुआत...

लठमार होली 2023 कब है ?
हर साल होली से कुछ दिन पहले मथुरा में लठमार होली का आयोजन किया जाता है. इस बार बरसाने में लठमार होली 28 फरवरी 2023 को खेली जाएगी. कहा जाता है कि द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ लठमार होली खेलने की शुरुआत की थी. तब से आज तक ये परंपरा चली आ रही है.

इसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा है. श्रीकृष्ण महिलाओं की रक्षा के लिए हमेशा उनका मनोबल बढ़ाते थे. यहां होली पर महिलाएं पुरुषों पर लाठी डंडे बरसाती हैं. माना जाता है कि इससे उनका आत्मबल मजबूत होता है. लठमार होली के दिन पुष्प की पंखुड़ियों की वर्षा, उड़ते गुलाल की बारिश से यहा की छटा देखते ही बनती है. 

ये भी पढ़ें- Holi 2023: होली किस तारीख और दिन को पड़ रही है? जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

ऐसे हुई थी लठमार होली की शुरूआत

द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ लठमार होली खेलने की शुरुआत की थी. तब से आज तक ये परंपरा चली आ रही है. कथाओं के अनुसार, द्वापरयुग में नंदगांव के नटखट कन्हैया अपने सखाओं के साथ राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने के लिए बरसाना पहुंच जाया करते थे.

Trending news