जयपुर: 10वीं इतिहास की पुस्तक में फिर से बड़ी गलती, इतिहासकारों ने उठाए सवाल
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जयपुर: 10वीं इतिहास की पुस्तक में फिर से बड़ी गलती, इतिहासकारों ने उठाए सवाल

इतिहास की इस पुस्तक में दी गई जानकारी के बाद ना सिर्फ विद्यार्थियों में गलफत की स्थिति बनी है तो वहीं इसी प्रकार के सवाल कहीं ना कहीं भर्ती परीक्षाओं पर भी खासा प्रभाव डालते हुए नजर आते हैं.

जयपुर: 10वीं इतिहास की पुस्तक में फिर से बड़ी गलती, इतिहासकारों ने उठाए सवाल

Jaipur: माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10वीं इतिहास की पुस्तक में एक बार फिर से इतिहास को लेकर बड़ी गलती को दोहरा दिया गया है. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर 10वीं की राजस्थान का इतिहास और संस्कृति पुस्तक में कैला देवी का मंदिर और महावीर जी का मंदिर सवाईमाधोपुर में स्थित होना बताया गया है जबकि दोनों ही स्थान करौली में स्थित है.

इतिहास की इस पुस्तक में दी गई जानकारी के बाद ना सिर्फ विद्यार्थियों में गलफत की स्थिति बनी है तो वहीं इसी प्रकार के सवाल कहीं ना कहीं भर्ती परीक्षाओं पर भी खासा प्रभाव डालते हुए नजर आते हैं.

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पुस्तक में दी गई जानकारी के अनुसार, "सवाईमाधोपुर से 18 किमी की दूरी पर त्रिकूट पर्वत की घाटी में कैलादेवी का भव्य मंदिर है. यहां चैत्र शुक्ला अष्टमी को मेला भरता है. मेले में बड़ी संख्या में भक्तों के आने के कारण इसे लक्खी मेला भी कहते हैं. कैलामाता के मंदिर में दो मूर्तियां हैं, दाहिनी तरफ कैला देवी की मूर्ति है, जिन्हें लक्ष्मी नाम से भी जाना जाता है, तो बायीं तरफ चाममुंडा माता की मूर्ति है, कैला देवी के मंदिर के सामने ही हनुमानजी का मंदिर भी है, जिन्हें स्थानीय लोग लांगुरिया कहते हैं."

तो वहीं दूसरी तरफ इसी चैप्टर में कहा गया है-
"सवाई माधोपुर जिले के हिंडौन तहसील में गंभीर नदी के किनारे पर अवस्थित चंदनगांव (श्री महावीरजी) में महावीर स्वामी की स्मृति में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला त्रयोदशी से वैशाख कृष्णा प्रतिपदा तक लक्खी मेला भरता है, यह जैनों का सबसे बड़ा मेला  है."

फिर से छिड़ा विवाद
10वीं की इतिहास की पुस्तक में दी गई जानकारी पर एक बार फिर से विवाद छिड़ गया है. इतिहासकार जयंत लाल का कहना है कि "कैला देवी मंदिर और महावीर जी का स्थान करौली जिले में स्थित है लेकिन इतिहास की पुस्तक में इनको सवाईमाधोपुर में बताया गया है, जो शिक्षकों की एक बड़ी गलती है. 

1997 से पहले करौली सवाई माधोपुर का हिस्सा था लेकिन 1997 में जनसंख्या के आधार पर करौली को अलग जिला बनाया गया 1997 से पहले दोनों ही स्थान सवाईमाधोपुर में कहलाते थे लेकिन जब इतिहास की पुस्तक को लिखा गया तो शिक्षकों द्वारा पुरानी जानकारी के आधार पर दोनों ही स्थानों को सवाईमाधोपुर में होना बताया गया है, जो पूरी तरह से  गलत है, इसलिए इसको जल्द से जल्द सही करवाया जाए."

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