विशेषज्ञों का मानना है कि हर कोरोना संक्रमित मरीज (Corona infected patient) को रेमडिसिविर इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं है.
Trending Photos
Jaipur: प्रदेश में कोरोना संक्रमितों (Corona infected) की बढ़ती संख्या के बीच ऑक्सीजन (Oxygen) के बाद यदि किसी चीज की सबसे ज्यादा मांग है तो वह है रेमडिसिविर इंजेक्शन (Remdisivir Injection).
यह भी पढ़ें- Remedicivir को लेकर निर्देश जारी, जानें गंभीर मरीजों के लिए कैसे मिलेगा Injection?
क्या हर संक्रमित मरीज को रेमडिसिविर इंजेक्शन लगवाना जरूरी है? क्या रेमडिसिविर के बिना कोई कोरोना संक्रमित मरीज सही नहीं हो सकता? क्या रेमडिसिविर इंजेक्शन ही कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचा सकता है? ऐसे कई सवाल हैं, जो कोरोना संक्रमित और उनके परिजनों को इन दिनों परेशान कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें- Corona जंग के खिलाफ पूर्व CM Vasundhara Raje की पहल, Plasma Donation की चलाई मुहिम
कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब जानने के लिए ज़ी मीडिया ने बात की कुछ विशेषज्ञों से और उनसे जाने कोरोना के दौरान रेमडिसिविर इंजेक्शन की जरूरत के बारे में. विशेषज्ञों का मानना है कि हर कोरोना संक्रमित मरीज (Corona infected patient) को रेमडिसिविर इंजेक्शन लगवाने की जरूरत नहीं है. आप भी जानें रेमडिसिविर इंजेक्शन की जरूरत के बारे में स्वयं उनकी जुबानी-
रेमडेसिविर कोरोना की अवधि को कम करता है, जीवन रक्षक दवा नहीं- डॉ. सुधीर भंडारी, प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, सवाई मानसिंह चिकित्सा महाविद्यालय जयपुर
पहले सप्ताह में कोविड कम्वेलेशेन्ट प्लाज्मा वायरल लॉड कम करने में काफी मदद करता है. अतः रेमडेसिविर कोविड मैनेजमेन्ट का एक हिस्सा है, जिसकी उपयोगिता पहले 7 दिन में सबसे अधिक है एवं आवश्यकता होने पर इसे 10 दिन तक उपयोग में लिया जा सकता है.
रेमडेसिविर कोरोना बीमारी की अवधि को कम करता है, पर यह जीवन रक्षक दवाई नहीं है एवं मौत की दर को घटा नहीं सकता. यह एक एंटी वायरल ड्रग है और संक्रमण के शुरुआती दिनों में कारगर साबित होता है. संक्रमण अधिक फैलने पर लंग्स खराब होने की स्थिति में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. कोरोना के हर मरीज को इस इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं लगती है. सामान्य लक्षणों वाले मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं लगाना होता है, वे घर पर डी आइसोलेशन और सही देखरेख से ठीक हो सकते हैं, लेकिन वे मरीज जिनमें गंभीर लक्षणों के साथ-साथ ऑक्सीजन लेवल की कमी पाई जाती है, उन्हें यह इंजेक्शन देना जरूरी होता है.
यदि पहले सप्ताह में ऑक्सीजन लेवल कम (90 से 91) होने के साथ-साथ 6 मिनट चलने (6 मिनट वॉक टेस्ट) से सेचुरेशन 4 से 5 प्रतिशत घटता है, तेज बुखार होता है, लंग्स में सीटी स्कोर 8 से अधिक हो, साइटोकाइन मारकर्स बढ़े हुए हों, लिम्फोसाइट व पोलीमोर्फ का अनुपात 3.5 से अधिक हो, इओसिनोफिल 0 प्रतिशत हो, जो कि हाई वायरल इंफेक्शन इंडीकेट करती है, तो रेमडेसिविर देना चाहिए अन्यथा यह जीवन रक्षक दवाई नहीं है.
दूसरे सप्ताह में स्टीरॉइड्स (जो कि जीवन रक्षक दवाई का कार्य करती है), खून पतला करने की दवाइयां एवं एंटीबायोटिक्स का अधिक उपयोग होता है. अगर मरीज को साइटोकाइन स्टॉर्म है जिसमें कि स्रू6 व ब्त्च् नामक कैमिकल बढ़ जाते हैं, तो उन्हें मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज दी जा सकती है. अतः रेमडेसिविर का रोल पहले सप्ताह में वायरल लोड कम करने में है, एसिम्प्टोमेटिक व माइल्ड डिजीज में इसको इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं है और 10 दिन बाद भी इसकी कोई महत्ता नहीं है. जो मरीज वेन्टीलेटर पर हैं या एक्मो पर हैं, उन्हें रेमडेसिविर की आवश्यकता नहीं होती है. रेमडेसिविर को आवश्यकता होने पर ही प्रोटोकॉल के तहत प्रयोग करना चाहिए. सभी मरीजों को इसकी आवश्यकता नहीं होती है.
रेमडेसिविर दवा एंटी वायरल दवा है, जीवनरक्षक नहीं - डॉ. वीरेन्द्र सिंह, राजस्थान अस्पताल, जयपुर
रेमडेसिविर दवा एंटी वायरल दवा है, जो सिर्फ रोग के पहले सप्ताह में ऑक्सीजन की जरूरत वाले रोगियों में ही बीमारी का समय कम करने में असरदार है. मौत रोकने में यह नाकाम है. ऐसे में सिर्फ कुछ रोगियों को ही यह दवा देनी चाहिए. यदि यह दवा नहीं मिले तो मौत रोकने में यह दवा नाकाम है. इसलिए यदि किसी हालत में दवा नहीं भी मिले तो कोई परेशान होने की जरूरत नहीं है. स्टीरोइड और खून पतला करने वाली दवा इस रोग में जीवन रक्षक हैं जो अधिकांश चिकित्सक इस्तेमाल कर रहे हैं. चिकित्सकों को कॉन्फिडेन्स के साथ कहना चाहिए कि रेमडेसिविर दवा उपलब्ध न होने से रोगी की मौत होने की रिस्क नहीं बढ़ती है.
वेंटीलेटर पर आए रोगियों को रेमडेसिविर का लाभ नहीं - डॉ. आर. एस. खेदड़, इटरनल हॉस्पिटल, जयपुर
रेमडेसिविर का प्रयोग केवल उन्हीं कोविड रोगियों के लिए है, जिनमें बीमारी मोडरेट एवं गम्भीर है तथा लक्षण शुरू होने के बाद दस दिन के अन्दर रोगी भर्ती होने के लिए अस्पताल आता है. जिनकी उम्र 12 वर्ष से अधिक है और जिनका वजन 40 किलोग्राम से अधिक है ऐसे रोगी को किडनी एवं लीवर की बीमारी (जो गाइडलाइन के मूल्यांक अनुसार) नहीं हो. इकमो पद्धति एवं वेन्टीलेटर पर रोगियों को इसका फायदा नहीं होता.
सीटी स्कैन में कोविड के लक्षण नहीं मिलने और सांस लेने में समस्या नहीं होने पर रेमडेसिविर लगाने की नहीं है जरूरत - डॉ. सुशील कालरा, निदेशक मेडिसिन विभाग, सी.के. बिड़ला हॉस्पिटल, जयपुर
रेमेडीसिविर को जहां जरूरत हो, वहीं काम में लें. बीमारी के लक्षण के एक सप्ताह के बाद रेमेडीसिविर काम में लेने से कोई फायदा नहीं होता. अधिक जौखिक वाले मरीज जैसे बीपी, 60 वर्ष से अधिक वाले मरीज, हृदय रोग के मरीज, किडनी के मरीज, कैन्सर वाले मरीज आदि, जहां वायरस अधिक डेमेज करता है, इन लोगों में अगर सीआरपी लेवल बढ़ा हुआ है और इनके सीटी स्केन में यदि कोविड के लक्षण दिखाई देते हैं तो इन लोगों को जल्द ही रेमेडीसिविर लगा देना चाहिए. अगर सीटी स्केन में कोविड के लक्षण नहीं है और मरीज को बुखार, खांसी या सांस लेने में समस्या नहीं है, सीपीआर लेवल भी सामान्य हो तो, ऐसे मरीजों को रेमेडीसिविर लगाने की आवश्यकता नही होती.