Jaipur में जन्माष्टमी की धूम, आर्टिस्ट मुकेश की कारीगरी में जीवंत हुए बाल श्रीकृष्ण
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Jaipur में जन्माष्टमी की धूम, आर्टिस्ट मुकेश की कारीगरी में जीवंत हुए बाल श्रीकृष्ण

देश-दुनिया के मशहूर मूर्तिकार पद्मश्री मरहूम अर्जुन प्रजापति (Arjun Prajapati) के पुत्र मूर्तिकार मुकेश प्रजापति ने क्ले मॉडल में बाल श्रीकृष्ण के नख-शिख अलंकृत अलहदे स्वरूप को साकार किया है. 

इस शिल्प का छलकता रूप-लावण्य श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर आकृष्ट करता है.

Jaipur: पूरे देश में सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. वहीं, भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर छोटी काशी रविवार सुबह से ही आस्था की बयार के बीच उल्लास की बौछारों से झिरमिर-झिरमिर भीग रही है. 

वहीं, देश-दुनिया के मशहूर मूर्तिकार पद्मश्री मरहूम अर्जुन प्रजापति (Arjun Prajapati) के पुत्र मूर्तिकार मुकेश प्रजापति ने क्ले मॉडल में बाल श्रीकृष्ण के नख-शिख अलंकृत अलहदे स्वरूप को साकार किया है. इस शिल्प का छलकता रूप-लावण्य श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर आकृष्ट करता है. 

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इस हुनरमंद कलाकार ने अपने पिता की विरासत को बढ़ाते हुए इस श्रीकृष्ण के नटखट बाल रूप को दर्शाते शिल्प को जन्माष्टमी के अवसर को खास बनाने के लिए तैयार किया है. पन्द्रह इंच लम्बाई का शिल्प 2 फीट चौड़ा है. आर्टिस्ट मुकेश प्रजापति ने इसमें बाल श्रीकृष्ण रूप को पारंपरिक आभूषणों से नख-शिख अलंकृत किया है, जो कला की दृष्टि से नायाब ही नहीं वरन् बेहद चित्ताकर्षक है. मसलन सिर पे मुकुट, कलाइयों पर कंगन, कमरबंद, पांवों में पजेब हाथ में माखन लड्डू को महीन कारीगरी से इतना करीने से उत्कीर्ण किया है, जो जीवंतता को शिद्दत से महसूस कराता है.

क्या कहना है आर्टिस्ट मुकेश प्रजापति का
आर्टिस्ट मुकेश प्रजापति ने बताया कि पिता मरहूम अर्जुन प्रजापति सीखे हुनर, सबक को इस शिल्प में पिरोने की कोशिश की गई है ताकि वे अपने पिता को इस शिल्प के जरिए शिल्पाजंलि दे सकें. वाकई में यह शिल्प उत्कृष्ट कारीगरी का नमूना है. 

उल्लेखनीय है कि शहर भर में 30 अगस्त, सोमवार को श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाने की तैयारियां चल रही हैं. ज्योतिषियों की मानें तो इस बार ग्रहों का द्वापरयुगीय संयोग बना है. द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय ग्रह-नक्षत्रों की जो स्थिति थी, वह इस बार बनेगी. ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति से यह पर्व खास बन गया है.

 

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