जयपुर का ऐसा मंदिर, जहां श्री कृष्ण को पहनाई जाती थी पल्स से चलने वाली घड़ी, बेहद रोचक है पीछे की मान्यता
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जयपुर का ऐसा मंदिर, जहां श्री कृष्ण को पहनाई जाती थी पल्स से चलने वाली घड़ी, बेहद रोचक है पीछे की मान्यता

वैसे तो राजस्थान की धरती अपने प्रख्यात मंदिरों और चमत्कारों से भरी हुई है. यहां हर प्रख्यात मंदिर के पीछे एक अनूठी कहानी है. इनका अपना एक इतिहास है.

जयपुर का ऐसा मंदिर, जहां श्री कृष्ण को पहनाई जाती थी पल्स से चलने वाली घड़ी, बेहद रोचक है पीछे की मान्यता

Jaipur News: वैसे तो राजस्थान की धरती अपने प्रख्यात मंदिरों और चमत्कारों से भरी हुई है. यहां हर प्रख्यात मंदिर के पीछे एक अनूठी कहानी है. इनका अपना एक इतिहास है. ऐसे ही राजधानी जयपुर में बसे श्री राधा गोविंद देव जी, गोपीनाथ जी और करौली जिले में विराजमान मदनमोहनजी के प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो कि भगवान कृष्ण की अलग-अलग छवियों के विग्रह श्रद्धालुओं की आस्था का गहरा केंद्र हैं. अनेक श्रद्धालु इन तीनों मंदिरों में एक ही दिन में दर्शन को पहुंचते हैं. 

सूर्यास्त से पहले दर्शन करने से पूरी होती है मनोकामना 
ऐसी मान्यता है तीनों मंदिरों में एक दिन में ही सूर्यास्त से पहले दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पत्थर से बनी कृष्ण की तीन छवियां जिसमें पहले श्रीविग्रह श्रीकृष्ण के चरणों के रूप में करौली में मदनमोहनजी के रूप में पूजे जा रहे हैं, दूसरे श्रीविग्रह श्रीकृष्ण के कटि और वक्ष स्थल के रूप में जयपुर के पुरानी बस्ती में राधा-गोपीनाथजी मंदिर में पूजे जा रहे हैं, जबकि श्रीकृष्ण के मुखारविंद के रूप में शहर के आराध्य गोविंददेवजी पूजे जा रहे हैं.

बांदरवाल से सजाया गया है मंदिर का पूरा परिसर 
इस तरह गोविंद देव जी का प्रादुर्भाव हुआ. राधा-गोपीनाथजी मंदिर में जन्माष्टमी की रौनक देखने को मिल रही हैं. मंदिर को बांदरवाल से सजाया गया हैं. महंत सिद्धार्थ गोस्वामी ने बताया कि राधा गोपीनाथजी के दर्शनार्थी भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में आते हैं. पिछले कुछ सालों से गोपीनाथ जी की मान्यता काफी बढ़ गई है. श्रद्धालु गोपीनाथ की छवि को निहारने के लिए सुबह-शाम रोजाना आते हैं. 

श्री कृष्ण ने हाथों में धारण कर रखी है घड़ी
प्राचीन दस्तावेजों के अनुसार गोपीनाथजी पहले जोरावर सिंह गेट स्थित नेशनल आयुर्वेद कॉलेज के स्थान पर 17 साल तक विराजे और 1792 में उन्हें पुरानी बस्ती स्थित जयलाल मुंशी के चौथे चौराहे पर स्थित गोपीनाथ जी के मंदिर में विराजमान हैं. महंत गोस्वामी ने बताया की मंदिर में भगवान श्री कृष्ण ने हाथ में घड़ी धारण कर रखी है. महंत ने बताया कि उनके दादाजी जब यहां सेवा का कार्य करते थे तब एक पल्स से चलने वाली घड़ी ठाकुर जी को धारण कराई जाती थी.

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कारीगर ने वापस नहीं किया घड़ी 
ये सही वक्त भी बताती थी. बताया जाता है कि आजादी से पहले यहां एक अंग्रेज आया था. उसका कहना था कि यदि ठाकुरजी में प्राण है और उनका विग्रह कटि व वक्ष स्थल के रूप में पूजा जाता है तो ये घड़ी धड़कन से चलेगी. जब भगवान को घड़ी धारण कराई गई तो वो चलने लगी. काफी लंबे समय तक भगवान को ये घड़ी धारण भी कराई गई थी. हालांकि, जब वो खराब हुई तो उसे सही करने के लिए कारीगर को दिया गया, लेकिन उसने इसे वापस नहीं दिया. उन्होंने बताया कि अभी भी भगवान को उसी घड़ी की प्रतिकृति के रूप में दूसरी घड़ी पहनाई जाती है.

क्या कहते हैं राधागोपीनाथजी मंदिर के महंत
इस पूरे मामले पर राधागोपीनाथजी मंदिर के महंत सिद्धार्थ गोस्वामी बताते हैं की एक ही दिन में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक करौली के मदन मोहन जी के चरण, जयपुर में पुरानी बस्ती के गोपीनाथ जी का कटिभाग और गोविंददेवजी के मुखारविंद का दर्शन करने से संपूर्ण श्री कृष्ण भगवान के दर्शन होते हैं. ऐसी धार्मिक मान्यता है. इस परंपरा का निर्वहन करते हुए श्रद्धालु आराध्य ठाकुर जी के तीनों विग्रहों का एक ही दिन में दर्शन करने पहुंचते हैं.

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