Jaipur: बढ़ती तपिश के साथ पानी के लिए हाहाकार, आमजन की प्यास बुझाने में सरकारी सिस्टम नाकाम
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Jaipur: बढ़ती तपिश के साथ पानी के लिए हाहाकार, आमजन की प्यास बुझाने में सरकारी सिस्टम नाकाम

Jaipur News: बीसलपुर की पाइपलाइन तो डाल दी गई लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई. पानी की टंकियां तो गांवों में रखी है लेकिन उनकी मोटर खराब होने से पानी टंकी में नहीं चढ़ता है. भीषण गर्मी और आसमान से बरस रही आग के बीच अगर पीने के लिए पानी नहीं मिले या पीने के पानी के लिए धूप में पानी का बर्तन लेकर किलोमीटर तक चलना पड़े तो आप बेहतर समझ पाएंगे की पानी की कीमत और कमी क्या होती है.

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Jaipur News: इन दिनों सूरज अपनी प्रचंडता से प्रदेश की धरती को तपा रहा है. इसके साथ-साथ बूंद-बूंद जल का संकट जीवन के धैर्य की परीक्षा ले रहा है. लोगों को न दिन को चैन है, न रात को. पानी लाने के लिए रोज 5 किमी चलकर जा रहे हैं. इस हालत में उनकी स्थित दयनीय हो गई है. राजधानी जयपुर में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. जयपुर के वाशिंदों के घरों के नलों की बूंद आए हुए अर्सा हो गया.

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून. रहीम का यह दोहा गर्मी की तपिश बढ़ते ही आमेर के वाशिंदो के लिए सच साबित होने लगा है. आपको राजधानी जयपुर में बाइक पर बाल्टियां भरकर ले जाते हुए तस्वीरें, एक-एक बाल्टी पानी भरने की जद्दोजहद की तस्वीरें देखने को मिलेगी. स्कूल की छुट्टियों में बच्चे खेलने की बजाय पहले पानी भरने की मशक्कत करते हुए नजर आ रहे हैं क्योंकि लोगों की प्यास बुझाने में सरकारी सिस्टम नाकाम हैं. ये भीषण जलसंकट पानी की व्यवस्था की पोल खोल रहा है. कागजों में तो लोगों को पानी पिलाने का प्लान तैयार है लेकिन लोग बूंद-बूंद पानी के लिए भटक रहे हैं. गर्मी का पारा चढ़ते ही यहां जल संकट गहराने लगे हैं. आम से लेकर खास तक सभी पीने के पानी को लेकर काफी चिंतित रहने लगे हैं. कई जगह तो लोग बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. गर्मी का मौसम परवान चढ़ते ही लोगों का कंठ सूखने लगे है. 

बीसलपुर की पाइपलाइन तो डाल दी गई लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई. पानी की टंकियां तो गांवों में रखी है लेकिन उनकी मोटर खराब होने से पानी टंकी में नहीं चढ़ता है. भीषण गर्मी और आसमान से बरस रही आग के बीच अगर पीने के लिए पानी नहीं मिले या पीने के पानी के लिए धूप में पानी का बर्तन लेकर किलोमीटर तक चलना पड़े तो आप बेहतर समझ पाएंगे की पानी की कीमत और कमी क्या होती है. इन दिनों स्कूलों की छुट्टियां चल रही हैं. बच्चे भी दूर से पानी लाकर घरों के बर्तन भर रहे हैं. आमेर के शिवकुंडा की तलाई की महिलाओं का कहना है कि सब काम छोडकर पहले पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. पानी के बिना कैसे रहा जा सकता है. अब तो गांव में कोई शादी के रिश्ते करने से पहले पानी को लेकर पूछता है. फिर पता चलता है यहां तो नलों में पानी ही नहीं आता तो रिश्ते की बात आगे ही नहीं बढ़ती है. पानी नहीं आने के कारण बच्चों की स्कूल की ड्रेस वाशिंग नहीं होती तो स्कूल से टीचर घर भेज देते हैं.

हर कोई पानी की जद्दोजहद करता हुआ नजर आया
ज़ी मीडिया ने जब अलग अलग इलाकों की तस्वीरों को देखा तो हर कोई पानी की जद्दोजहद करता हुआ नजर आया. कोई अपनी बाइक पर बाल्टी भरकर ले जाते हुए दिखा तो कुछ बोरवेल पर लाइन लगाकर बाल्टियों में पानी भरते हुए नजर आया. लोगों का कहना है कि जब वोटों की जरूरत होती है तो नेताजी चौखट पर आकर वादे कर जाते हैं लेकिन उसके बाद कोई पूछने वाला नहीं. महिलाओं का कहना है कि पानी भरने के कई किलोमीटर दूर तक जाती हैं. घंटों धूप में तपती हैं. पानी भर जाने के बाद ही वह घर का चूल्हा-चौका करती हैं. ज्यादा से ज्यादा पानी भरा जा सके इसके लिए बच्चे भी पानी भरने को मजबूर हैं. गांव में ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. यहां गर्मी में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. गांव में पानी न होने की वजह से बच्चों के रिश्ते करने में भी काफी मुसीबत आती है. लोग यहां पानी की समस्या के लिए अपनी लड़कियों की शादी करने के लिए मना कर देते हैं. गांव में पानी की परेशानी किसी से छुपी नहीं है. इसके बावजूद जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान नहीं है. 

जनप्रतिनिधि नहीं कर रहे सुनवाई 
ग्रामीण बताते हैं कि पानी की इस समस्या को लेकर वह जनप्रतिनिधियों को बताई गई, लेकिन आज तक हमें पानी नसीब नहीं हुआ. निजी टैंकर भी चार सौ रूपए में मंगवाते है तो तीन से चार दिन में आता है. सरकारी टैंकर तो आता ही नही है. गर्मी में आम आदमी के साथ-साथ पशुओं को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नदी, आहर, पोखर, सभी सूख गए हैं कहीं भी पानी नहीं है, जिससे पशुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

जल ही जीवन है 
बहरहाल, बचपन में सबसे ज्यादा निबंध जिन विषयों पर लिखने को मिलता, वह विषय था जल ही जीवन है हमने उसे पढ़ा भी और पेज भर-भर लिखा भी तब लगता था बड़े होने पर इस निबंध से आगे निकल जल की समस्या का समाधान हो जाएगा. निबंध लिखते गए और हमारी पीढ़ी बड़ी हो गई लेकिन जल पर लिखा निबंध जल की समस्या का कोई हल न निकाल सका.

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