Rajasthan News: राजस्थान में भले ही मानसून ने दस्तक दे दी है. लेकिन ग्राउंड वाटर की स्थिति अभी भी बेहद खराब है. बारिश का पानी जमीन के नीचे रिचार्ज होने की बजाय नदी-नालों में बहकर निकल जाता है. 30 सालों में राजस्थान में ग्राउंड वाटर की स्थिति पलट गई है.
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Rajasthan News: राजस्थान में भले ही मानसून ने दस्तक दे दी है. लेकिन ग्राउंड वाटर की स्थिति अभी भी बेहद खराब है. बारिश का पानी जमीन के नीचे रिचार्ज होने की बजाय नदी-नालों में बहकर निकल जाता है, जिसका नतीजा आज ये हो चला है कि 30 सालों में राजस्थान में ग्राउंड वाटर की स्थिति पलट गई है.
मरुधरा में मानसून की एंट्री के बाद अब सबकी निगाहें आसमान पर टिकी हैं, लेकिन ये नजरें आसमान के साथ- साथ जमीन पर भी होनी चाहिए. क्योंकि आसमान से जो राहत बरस रही है वो जमीन के नीचे तक नहीं पहुंच रही है. पिछले 30 सालों में ग्राउंड वाटर की स्थिति पूरी तरह से उलट गई है. भूजल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 1984 में जमीन के नीचे से 35 प्रतिशत पानी निकाला करता था.
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वही आंकड़ा साल 2023 में बढ़कर 149 प्रतिशत तक पहुंच गया है. यानी ग्राउंड वाटर का दोहन 114 प्रतिशत तक बढ़ गया है. सबसे हैरानी की बात तो ये है कि भूजल विभाग ने समय-समय पर चेताया, लेकिन सरकारों ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
साल................पानी का दोहन............सुरक्षित ब्लॉक
1984.............. 35 प्रतिशत..............236 में से 203
1995.............. 58 प्रतिशत..............236 में से 127
2004.............. 125 प्रतिशत.............236 में से 34
2013.............. 139 प्रतिशत.............248 में से 44
2020.............. 150 प्रतिशत.............292 में से 37
2023.............. 149 प्रतिशत.............299 में से 38
इस बार भी मरुधरा में मानसून झूमकर बरसने की उम्मीद है, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी पानी नदी-नालों में बहते हुए बेकार हो जाएगा. राजस्थान में सिर्फ 12 प्रतिशत सुरक्षित ब्लॉक बचे हैं. बाकी 88 प्रतिशत ब्लॉक सेमी क्रिटिकल, क्रिटिकल, अत्यधिक दोहित हैं. ऐसे में यदि ऐसी ही स्थिति रहेगी तो आने वाले सालों में बहुत भयावह स्थिति देखने को मिलेगी. क्योंकि 299 में से 216 ब्लॉक अत्यधिक दोहित हैं