Jaipur News: बारात लेकर जनकपुरी पहुंचे भगवान श्रीराम, स्वयंवर में धनुष तोड़ किया सीता से विवाह
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Jaipur News: बारात लेकर जनकपुरी पहुंचे भगवान श्रीराम, स्वयंवर में धनुष तोड़ किया सीता से विवाह

Jaipur News: परंपरा के अनुसार जयपुर में श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति की ओर भगवान राम की भव्य बारात निकाली गई. भगवान राम की बारात अयोध्या नगरी से श्रीराम के जयकारों के साथमां जानकी की मिथिला नगरी पहुंची.

Jaipur News: बारात लेकर जनकपुरी पहुंचे भगवान श्रीराम, स्वयंवर में धनुष तोड़ किया सीता से विवाह

Jaipur News: परंपरा के अनुसार जयपुर में श्री सनातन धर्म महोत्सव समिति की ओर भगवान राम की भव्य बारात निकाली गई. भगवान राम की बारात अयोध्या नगरी से श्रीराम के जयकारों के साथमां जानकी की मिथिला नगरी पहुंची. बारात में लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, राजा दशरथ और मुनि वशिष्ठ समेत श्रीराम के सैकड़ों मित्र और भक्तों ने शिरकत की. 

राम बारात में महिला, पुरुष, युवा और बच्चे सभी बैंड बाजे धुन पर जमकर थिरकते हुए नजर आए. भक्तजन ‘जय श्रीराम’ के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे. बारात देखने सड़क के दोनों तरफ खड़े श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर आशीर्वाद लिया. राम बारात की एक झलक के लिए लोग सड़कों पर एकत्रित दिखे लोगों ने अपने-अपने घरों की छतों से राम बारात पर पुष्प वर्षा की. 

भक्त आकर्षक पलों को कैमरे में कैद करने के लिए आतुर दिखे. राम बारात जब जनकपुरी पहुंची तो मंगलगीतों के साथ बारातियों का स्वागत किया गया. सखियन में सीता यूं सोहे, दूल्हा राम जानकी दुल्हन, वारी-वारी जाओ री मंगलगीतों के साथ माता सीता मंडप पहुंची. इन्हीं रस्मों और मंत्रोच्चारण के बीच भगवान राम और माता सीता सदा-सदा के लिए एक दूजे के हो गए.

भगवान राम जानकी विवाह में सारे देवी देवता शामिल होने पहुंचे. जयमाला पड़ते ही राम-जानकी पर पुष्प वर्षा होने लगी. राजा दशरथ मुदित होकर राम सीता को फेरे लेते हुए देख रहे थे. विवाह के बाद राजा जनक से अयोध्या नगरी वापस जाने की आज्ञा मांगने पर राजा जनक की आखों से आंसू छलक पड़ते हैं.

जानकी विदाई का मार्मिक मंचन किया गया, जिसमें जानकी विदाई के समय राजा जनक की हृदय व्यथा का मंचन किया गया. गौरतलब हैं की मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण रिश्ते नाते तोड़ रहा है. लेकिन भगवान श्री राम सभी सुखों को त्याग कर अपने पिता के वचन का मान रखने के लिए 14 वर्षो तक वन में भटकते रहे. जबकि उनके छोटे भाई भरत राज गद्दी को त्याग कर एक संन्यासी का जीवन व्यतीत किए. राम के आदर्श से सभी सीख लें.

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