राजस्थान की जेलों में अब BJP विधायक बनाए गए सलाहकार, सवाल- क्या थमाया गया झुनझुना?
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राजस्थान की जेलों में अब BJP विधायक बनाए गए सलाहकार, सवाल- क्या थमाया गया झुनझुना?

Jaipur News: राजस्थान की जेलों में बंदी सुधार के लिए सलाहकार बोर्ड गठित किए गए हैं. इन बोर्ड में सरकारी अधिकारियों के अलावा गैर सरकारी सदस्य भी मनोनीत किए जाते हैं. सरकार की ओर से गुरुवार को गैर सरकारी सदस्यों के रूप में भाजपा विधायकों को मनोनीत करने के आदेश जारी किए गए. 

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Jaipur News: राजस्थान की जेलों में अब भाजपा विधायक सलाहकार बनाए गए हैं. सरकार ने जेलों में बंदी सुधार कमेटी के लिए गठित सलाहकार बोर्ड में सदस्य बनाए गए हैं. विधायकों को बोर्ड में गैर सरकारी सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया है. हालांकि सरकार ने सिर्फ बीजेपी विधायकों को ही सलाहकार बोर्ड में सदस्य बनाया है.

राज्य की जेलों में बंदी सुधार के लिए सलाहकार बोर्ड गठित किए गए हैं. इन बोर्ड में सरकारी अधिकारियों के अलावा गैर सरकारी सदस्य भी मनोनीत किए जाते हैं. सरकार की ओर से गुरुवार को गैर सरकारी सदस्यों के रूप में भाजपा विधायकों को मनोनीत करने के आदेश जारी किए गए. बंदी सुधार के लिए सलाहकार बोर्ड की ओर से लिए जाने वाले फैसलों में अब इन विधायकों की भूमिका भी रहेगी. जेल सहलाकर बोर्ड में डिविजनल कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट जज स्तर तथा जेल अधीक्षक सरकारी सदस्य होते हैं जबकि दो गैर सरकारी सदस्य भी शामिल किए जाने हैं. गैर सरकारी सदस्यों के लिए नियमों में किसी प्रकार का कोई मापदंड निश्चित नहीं है. ऐसे में सत्तारूढ़ सरकारें अपने अपने हिसाब से गैर सरकारी सदस्यों का मनोनयन करती है. भाजपा की भजनलाल सरकार ने प्रदेश की 42 जेलों के लिए 84 विधायकों तथा पूर्व विधायकों को गैर सरकारी सदस्य मनोनीत किया है.

यह काम है एडवाइजरी बोर्ड मेम्बर का 
जेल सलाहकार बोर्ड का काम बंदी की सजा को छाेटी करने, समय से पहले बंदी की रिहाई आदि की सिफारिश कर सरकार को रिपोर्ट देना है. इनमें नियमानुसार तीन सरकारी सदस्यों में किसी बंदी के मामले में राय नहीं बना पाए तो गैर सरकारी सदस्य अर्थात विधायक पूर्व विधायकों की राय मायने रखती है. इसमें किसी बंदी को लेकर कलेक्टर और एसपी रिपोर्ट देते हैं, इसके बाद जेल अधिकारियों की रिपोर्ट कि जेल से छूटने के बाद बंदी समाज के लिए खतरा नहीं होगा. इस रिपोर्ट के आधार पर सलाहकार बोर्ड अपनी सिफारिशी रिपोर्ट सरकार को देगा. इस रिपोर्ट के बाद ही बंदी की सजा को लेकर सरकार का निर्णय आता है.

ये हैं गैर सरकारी सदस्यों के प्रमुख नाम 
जेलों के सलाहकार बोर्ड के सदस्यों को दो साल की अवधि के लिए मनोनीत किया गया है. जयपुर सेंट्रल जेल में चाकूस विधायक रामावतार बैरवा, जमवारामगढ़ विधायक महेंद्रपाल मीणा को सदस्य मनोनीत किया है. विधानसभा में मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग को जैसलमेर जिला जेल के सलाहकार बोर्ड में मनोनीत किया है अन्य सेंट्रल जेलों में स्थानीय विधायकों तथा प्रत्याशियों को सलाहकार बोर्ड सदस्य बनाया गया है. 9 सेंट्रल जेल, 6 महिला बंदी सुधार गृह, शेष जिला जेल के सलाहकार बोर्ड में सदस्य मनोनीत किया है.

जिस पार्टी की सरकार, उसके सदस्य मनोनीत
जानकारों का कहना है कि सत्तारूढ पार्टी अपने अपने विधायकों को ही जेलों में सलाहकार बोर्ड में गैर सरकारी सदस्य बनाती है. इससे पहले कांग्रेस सरकार में कांग्रेस विधायकों-सांसदों को गैर सरकारी सदस्य बनाया गया था, जिस पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बिना पूछे मनोनयन पर नाराजगी जाहिर की थी. इधर बीजेपी में सलाहकार बनाए विधायकों को सरकारी स्तर पर मनोनीत किया गया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है क्या बीजेपी विधायकाें को सरकार ने झुंझुना थमा दिया ? अब यह देखने वाली बात होगी कि विधायकों की प्रतिक्रिया क्या होती है.

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