विधायकों का इस्तीफा जिन्न फिर बोतल से बाहर- कांग्रेस और बीजेपी के बीच 'तकरार'
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विधायकों का इस्तीफा जिन्न फिर बोतल से बाहर- कांग्रेस और बीजेपी के बीच 'तकरार'

Jaipur News: राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. इस्तीफों को वापस लेने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में तकरार चल रही है. बीजेपी का कहना कि नियमों में इस्तीफा दे सकते हैं लेकिन वापस ले नहीं सकते हैं.

विधायकों का इस्तीफा जिन्न फिर बोतल से बाहर- कांग्रेस और बीजेपी के बीच 'तकरार'

Jaipur: राजस्थान में 25 सितंबर को कांग्रेस विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष को दिए गए इस्तीफों का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. इस्तीफों को वापस लेने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में तकरार चल रही है. बीजेपी का कहना कि नियमों में इस्तीफा दे सकते हैं लेकिन वापस ले नहीं सकते हैं, बिना कारण किया यह कृत्य लोकतंत्र की हत्या है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि बिना दबाव के लिए अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया, अब मर्जी से वापस ले रहे हैं.

गौरतलब है कि राजस्थान में 25 सितंबर को नेतृत्व परिवर्तन की आशंका के मद्देनजर 90 से ज्यादा कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपे थे. अब विधायकों द्वारा ही इस्तीफे वापस लिए जाने की तैयारी है. इस बीच प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस्तीफा प्रकरण को नौटंकी करार दिया और कहा कि इस्तीफा वापस लेने से अब स्पष्ट हो गया कि विधायकों ने स्वेच्छा से अपने इस्तीफे दिए थे. 

यह तो वह वाली बात हो गई कि ''थूको और फिर चाटो'' . राठौड़ ने विधायकों के 3 माह तक के वेतन भत्ते और इस दौरान विधायकों द्वारा विधायक कोष से जारी की गई स्वीकृतिया निरस्त करने की मांग की है.

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने जी राजस्थान से कहा कि विधायकों के इस्तीफा देने के मामले में उन्होंने पिछले दिनों राजस्थान हाईकोर्ट में पीआईएल लगाई थी. पीआईएल की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी और सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था. उनसे इस मामले में जवाब देते नहीं बन रहा है. क्योंकि संविधान में उल्लेख है कि इस्तीफे दिए जा सकते हैं, उन्हें वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है.

वहीं भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि जिस प्रकार से कांग्रेस के शासनकाल में कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफ़े निजी स्वार्थ के लिए हुए, भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रतिकूल हैं. इस्तीफ़े देकर इस्तीफ़े वापस लेना कांग्रेस के विधायकों के राजनीतिक चरित्र को उजागर करता है. भारतीय जनता पार्टी, राजस्थान के विधायकों के शिष्टमंडल द्वारा विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफ़ों को लम्बित ना रख निर्णय करने का आग्रह किया गया था.

 पूनिया ने कहा कि इस्तीफ़ों को अकारण देना और अकारण वापस लेना, दोनों क़ानूनी और लोकतांत्रिक प्रकिया के विरुद्ध है. कांग्रेस के विधायकों का उक्त कृत्य लोकतंत्र की हत्या है. विधानसभा सदस्य को इस्तीफ़ा देने का अधिकार तो संविधान ने दिया है परंतु उस पर निर्णय करने का अधिकार माननीय विधानसभा अध्यक्ष का है और किसी भी परिस्थिति में स्वैच्छिक इस्तीफ़े को वापस लिए जाने का अधिकार सदस्य को नहीं दिया गया है.

दूसरी ओर जलदायमंत्री महेश जोशी ने कहा कि हमनें किसी दबाव में इस्तीफे नहीं दिए थे और अब बिना किसी दबाव के इ्स्तीफा वापस ले रहे हैं. विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को दिए हैं स्वीकार करना या नहीं करना, यह निर्णय लेना उनके विवेक और परिस्थितियों पर निर्भर करता है. इस्तीफे वापस लेने की बात अध्यक्ष और विधायकों की बीच की है. विधायक उचित समझेंगे वैसा फैसला करेंगे. मुझे भी जानकारी मिली है कि विधायकों ने इस्तीफा वापस लने का निर्णय किया है. इस बारे में शीघ्र ही अधिकृत रूप से स्थिति सामने आएगी.

जोशी ने कहा कि राजनीति में दबाव की स्थिति हमेशा ही रहती है. कोई एक ऐसा क्षण बताइए जब राजनीति में दबाव नहीं होता है.दबाव और राजनीति का चोली दामन का साथ है, दबाव में आकर निर्णय करना दूसरी बात है. इस सरकार ने दबाव से ऊपर उठकर स्वविवेक और संवेदनशीलता के साथ निर्णय लिए हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही पेश करेंगे बजट यह तय --

महेश जोशी से नेतृत्व परिवर्तन पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं पार्टी की गाइड लाइन से बंधा हूं, पार्टी और आलाकमान के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता. हां यह जरूर है कि 23 जनवरी से शुरू होने वाले सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट पेश करेंगे. इस्तीफों को लेकर कोई विसंगति नहीं है, क्योंकि इस्तीफे स्वीकार ही नहीं हुए तो सदन में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है. फिर भी विधायक हैं सब इस्तीफे वापस ले रहैं तो मैं भी ले रहा हूं. इससे सदन में और अधिक सौहार्द का वातावरण रहेगा .

जोशी ने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है और राहुल गांधी, भारत जोड़ा यात्रा, प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और मुख्यमंत्री ने साफ मैसेज दिया है कि सबको एकजुट रहना है. सीएम अशोक गहलोत ने 2018 से पहले कह दिया था कि आवाज की खनक, नकारा ए खुदा, इसका मतलब जनता की आवाज ही खुदा की आवाज है.

दूसरी ओर कांग्रेस विधायक और सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा कि बिना इस्तीफा वापस लिए भी विधायक सदन में आ सकते हैं. जब तक विधायकों का इस्तीफे स्वीकार नहीं होते तब तक में विधायक है. मेरी मर्जी है मैंने इस्तीफा दिया, मुझ पर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया. मुझे लगा मैंने इस्तीफा दे दिया और मुझे लग रहा है इस्तीफा वपस लेना चाहिए जनता की अपेक्षाएं उन पर खरा उतरना है तो वापस ले रहा हूं. जब तक इस्तीफे स्वीकार नहीं होते तब तक उनकी कोई वैल्यू नहीं है .

 

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