केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की निकायों को चेतावनी, रुक सकती है अनुदान राशि, अब तक 21.40 करोड़ रुपए का यूडी टैक्स वसूल
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केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की निकायों को चेतावनी, रुक सकती है अनुदान राशि, अब तक 21.40 करोड़ रुपए का यूडी टैक्स वसूल

Jaipur News: 15वें वित्त आयोग से प्रदेश की नगरीय निकायों को मिलने वाली अनुदान राशि को लेकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने निकायों की चिंता बढ़ा दी है. मंत्रालय ने उन निकायों को चेतावनी दी है, जो अपने एरिया में प्रोपर्टी टैक्स यानी नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) की वसूली नहीं कर पा रहे हैं.

फाइल फोटो,

Jaipur News: 15वें वित्त आयोग से प्रदेश की नगरीय निकायों को मिलने वाली अनुदान राशि को लेकर संदेह बना है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय सवाल खड़े कर दिए हैं. मंत्रालय ने चेतावनी दी है, जो अपने एरिया में प्रोपर्टी टैक्स यानी नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) की वसूली नहीं कर पा रहे हैं. निर्धारित ग्रोथ रेट से वसूली नहीं करने वाली निकायों को मिलने वाली अनुदान राशि रोक दी जाएगी.

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के एक फरमान ने निकायों की धड़कने तेज कर दी हैं, पिछली साल की तुलना में 2022-23 में यदि 4.30 फीसदी बढ़ोतरी के साथ नगरीय विकास कर (यूडी टैक्स) वसूली नहीं किया तो 15वें वित्त आयोग के तहत साल 2023-24 में मिलने वाली अनुदान राशि रोक दी जाएगी.

दरअसल पिछले दिनों केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से एक लेटर वित्त विभाग के एसीएस और स्वायत्त शासन विभाग सचिव को लिखा गया. जिसमें सभी निकायों को 15वें वित्त आयोग के तहत साल 2023-24 में मिलने वाली अनुदान राशि के लिये मापदंड तय कर किए हैं, जिसमे सभी निकायों को 15वें वित्त आयोग के तहत साल 2023-24 में मिलने वाली अनुदान राशि साढ़े चार फीसदी की ग्रोथ रेट के साथ देने के लिए कहा है.

साढ़े चार फीसदी की बढ़ोतरी के साथ प्रोपर्टी टैक्स नहीं वसूला तो अनुदान राशि नहीं मिलेगी. साथ ही मंत्रालय ने साथ ही उन निकायों पर भी नाराजगी जताई है, जो निर्धारित ग्रोथ रेट (साढ़े चार फीसदी) के अनुसार अपने एरिया में यूडी टैक्स वसूल नहीं कर पा रहें.

मंत्रालय ने 19 निकायों की सूची जारी करते हुए उनमें से 12 निकायों की वसूली रेट नेगेटिव में दर्शाते हुए चेतावनी दी है कि अगर ये निकाय निर्धारित ग्रोथ रेट की वृद्धि के साथ यूडीटैक्स की वसूली नहीं करती तो वह निकाय अनुदान राशि प्राप्त करने के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगी और उन्होंने आगामी वित्तवर्ष की अनुदान राशि प्राप्त नहीं होगी.

जयपुर नगर निगम ग्रेटर में पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में 46.30 करोड़ का यूडीटैक्स वसूल किया था. लेकिन इस साल ग्रेटर निगम ने अब तक यानी 27 फरवरी तक 39.02 करोड़ रुपए ही वसूली हो सकी है. इसी तरह नगर निगम हैरिटेज में पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में 25.33 करोड़ रुपए की वसूली हुई थी. लेकिन इस बार 21.40 करोड़ रुपए की ही अब तक वसूली हुई है.

ऐसे में दोनो ही नगर निगम के पास अब केवल एक महीने का समय बचा है.अगर दोनों ही निगम अपने पिछले वित्तवर्ष की गई वसूली से ज्यादा वसूली नहीं कर सके तो दोनों निगमों को अगले वित्तवर्ष में वित्त आयोग से अनुदान राशि नहीं मिलेगी. 

मंत्रालय की ओर से जारी सूची में नगर पालिका लाडनू, अनूपगढ़, लालसोट, छोटी सादड़ी, रायसिंह नगर, विद्याविहार, डीडवाना, मेड़तासिटी, मकराना, रींगस, सागवाड़ा और पिंडवाड़ा नगर पालिका है. इन निकायों ने वित्त वर्ष 2021-22 में यूडीटैक्स की वसूली वित्तवर्ष 2020-21 की तुलना में 2 लेकर 97 फीसदी तक कम की है. सबसे ज्यादा बुरी स्थिति तो छोटी सादड़ी नगर पालिका की रही. यहां वित्तवर्ष 2021-22 में यूडीटैक्स की वसूली 5 लाख 26,743 रुपए थी, जो वित्तवर्ष 2020-21 में 3,430 रुपए ही रह गई. 

इसी तरह मकराना नगर पालिका में यूडीटैक्स की वसूली वित्तवर्ष 2021-22 में 4 लाख 30,043 रुपए थी, जो वित्तवर्ष 2020-21 में 10,195 रुपए ही हो सकी. मेड़तासिटी पालिका में भी वित्तवर्ष 2021-22 में यूडीटैक्स की वसूली 5 लाख 39,855 रुपए थी, जो वित्तवर्ष 2020-21 में 91,754 रुपए पर ही अटक गई.

बहरहाल, एक माह में यदि बडे बकायादारों के आगे कुर्की के ढोल नहीं बजाए तो अनुदान का पैसा हाथ से निकल जाएगा.जबकि जयपुर शहर की दोनों नगर निगमों में निजी कंपनी को वसूली काम दे रखा है. कुल वसूली का कमीशन दिया जाता है उसके बावजूद वसूली में पिछडे हुए हैं.अब अनुदान का पैसा चाहिए तो केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के पैरामीटर्स को पूरा करना ही होगा.

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