जयपुर : ESZ में बसे लोगों को मिल सकेंगे पट्टे, वन विभाग की ओर से हुआ रास्ता साफ
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जयपुर : ESZ में बसे लोगों को मिल सकेंगे पट्टे, वन विभाग की ओर से हुआ रास्ता साफ

जयपुर में नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण (वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ) के 80 वर्ग किलोमीटर में बने इकोसेंसेटिव जोन में बसी पुरानी आबादी के लोगों को बड़ी राहत मिली है. प्रशासन शहरों के संग अभियान में इन लोगों को नगर निगम और जेडीए पट्‌टे दे सकेंगे.  इसके साथ ही सरकार का पट्टे बांटने का टारगेट भी पूरा हो सकेगा.

जयपुर : ESZ में बसे लोगों को मिल सकेंगे पट्टे, वन विभाग की ओर से हुआ रास्ता साफ

Jaipur: राजधानी में नाहरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण (वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ) के 80 वर्ग किलोमीटर में बने इकोसेंसेटिव जोन में बसी पुरानी आबादी के लोगों को बड़ी राहत मिली है. प्रशासन शहरों के संग अभियान में इन लोगों को नगर निगम और जेडीए पट्‌टे दे सकेंगे.  इसके साथ ही सरकार का पट्टे बांटने का टारगेट भी पूरा हो सकेगा.

सेंचुरीज के इको सेंसिटिव जोन में पहले से बसे हजारों लोगों को प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पट्टे देने का रास्ता साफ हो गया है ..वन विभाग की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण से इको सेंसिटिव जोन को लेकर स्थिति स्पष्ट होने के बाद जयपुर नगर निगम हेरिटेज के 39 वार्डो और जेडीए क्षेत्र में इकोसेंसेटिव जोन में बसी पुरानी आबादी के लोगों को पट्टे देने की राह आसान हो गई है. दरअसल इनमें बसे लोग सालों से नियमन या पट्‌टा देने की मांग कर रहे है. 

 पिछले दिनों जब नगर निगम और जेडीए ने इस संबंध में स्वायत्त शासन विभाग, नगरीय विकास विभाग और वन विभाग से मार्ग दर्शन मांगा था  कि क्या इन एरिया में पट्टे दे सकते है तो उस संबंध में जो जवाब मिला उससे पट्‌टे देने की राह खुल गई है.

वहीं,  वन एवं पर्यावरण विभाग राजस्थान प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल की ओर से जारी एक स्पष्टीकरण पत्र में उन कॉलोनियों के नियमन करने या पट्‌टे देने की बात कही है जो पहले से बसे है. उन्होंने अपने इस पत्र में उल्लेख किया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है कि ईको सेंसेटिव जोन (ESZ) में बसी पुरानी आबादी को पट्‌टे नहीं दिए जा सकते.

 देशभर के सेंचुरीज के इको सेंसिटिव जोन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष 3 जून को आदेश जारी किया था. आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी नेशनल पार्क या सेंचुरी का इको सेंसिटिव जोन कम से कम एक किलोमीटर की परिधि में होने चाहिए. जयपुर के जेडीए रीजन में मौजूद नाहरगढ़ सेंचुरी का इको सेंसिटिव जोन सेंचुरी की बाउंड्री से जीरो से तेरह किलोमीटर तक है.

आपको बताते है ये है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में ईको सेंसेटिव जोन  में नए निर्माण (वाणिज्यिक उपयोग) पर पूरी तरह रोक लगा रखी है. इसके अलावा नई आवासीय कॉलानियों भी नहीं बसाई जा सकती.
ईको सेंसेटिव जोन का एरिया कम से कम 1 किलोमीटर का हो और उसके दायरे के बाहर अगर कोई होटल या रिसोर्ट अगर बनाए जाते है तो वह मास्टर प्लान के अनुरूप बनने चाहिए.
ईको सेंसेटिव जोन (ESZ) एरिया में बसी आबादी वाले लोग अपनी रहवास की जरूरत के अनुरूप छोटा-मोटा निर्माण अपनी ही भूमि पर कर सकते है। लेकिन उसमें किसी तरह का लघु उद्योग के हिसाब से नहीं हो.
वन विभाग के अनुसार जोन में आवासीय भू रूपांतरण जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिश पर किया जा सकता
स्थानीय लोगों द्वारा आवासीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवासीय निर्माण किया जा सकेगा

इनको मिलेगा फायदा

जयपुर में नाहरगढ़ वन क्षेत्र के आसपास बसी पुरानी कॉलोनियों का नियमन हो सकेगा. वहीं ESZ में बसी आबादी को भी पट्‌टे मिल सकेंगे. इस निर्णय से नगर निगम हैरिटेज के हवामहल-आमेर जोन के 18 वार्ड पूर्ण रूप से और 8 वार्ड आंशिक रूप से प्रभावित थे, उनमें बसी कॉलोनी के लोगों को फायदा होगा.  इसी तरह किशनपोल वार्ड के 5 वार्ड पूर्णरूप से और 3 वार्ड आंशिक रूप से, जबकि सिविल लाईन्स जोन के 5 वार्ड प्रभावित हो रहे थे, जिनको फायदा होगा.
इसके साथ ही जेडीए रीजन के 13 गांव पूरी तरह या आंशिक रूप से आते हैं.  इसमें कुकस, हरवाड, ढंड, गुणावता, लबाना, अनी, अचरोल, जैतपुरा खींची, छपरेरी, सिंघवाना, चोखलियावास, बगवाड़ा और दौलतपुरा शामिल है.
इसके अलावा जेडीए की संस्थानिक व्यवसायिक स्कीम, परकोटे का चांदपोल की तरफ का कुछ हिस्सा, सुभाष नगर व संजय नगर, इसी तरह शास्त्री नगर, पुराना विद्याधर नगर, विद्याधर नगर सेंट्रल स्पाइन, मल्होत्रा नगर विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र, बढ़ारना और अचरोल कस्बे के इलाके शामिल है.

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बहरहाल, वन विभाग की ओर से जारी स्पष्टीकरण के बाद सालों से अपने आशियाने का पट्टा लेने वाले लोगो का इंतजार खत्म होगा..जल्द ही नगर निगम और जयपुर विकास प्राधिकरण जारी दिशा-निर्देशों के बाद कैंप लगाकर पट्टे वितरित करेगा

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