राजस्थान जल संसाधन विभाग के करोड़ों प्रोजेक्ट्स में इंजीनियर्स ने ऐसी शर्ते जोड़ी, ऐसी अल्पकालीन निविदाएं निकाली जिससे कॉम्पिटिशन खत्म हो गया और मनचाही फर्मों को 5 हजार करोड़ से ज्यादा के टैंडर मिल गए.आखिरकार सिंचाई में करोडों का कैसो खेला हुआ, जानें
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Jaipur News : जल संसाधन विभाग के करोड़ों प्रोजेक्ट्स में इंजीनियर्स ने ऐसी शर्ते जोड़ी, ऐसी अल्पकालीन निविदाएं निकाली जिससे कॉम्पिटिशन खत्म हो गया और मनचाही फर्मों को 5 हजार करोड़ से ज्यादा के टेंडर मिल गए. आखिरकार सिंचाई में करोड़ों का कैसो खेला हुआ, देखिए इस खास रिपोर्ट में !
सिंचाई में करोड़ों का खेला. आरटीपीपी की नियम ताक रख रखे. मनमानी शर्ते लगाकर बांट दी रेवड़ियां ! जल संसाधन विभाग में टेंडर की शर्तों में आरटीपीपी नियमों के विरुद्ध साइट की फोटो, जिओ टेगिंग और उसका अधिकारी से सत्यापन अनिवार्य किया.
इससे टेंडर डालने वालों की पता चल जाता था जिससे टैंडरों में पारदर्शिता रही नहीं. इसके बाद ठेकेदारों को पूल करवाकर मनपसंद फर्मों को रेवडियां बांटी गई. सबसे खास बात ये है कि टैंडर में ये शर्त जोड़ने से पहले कार्यों की दर बीएसआर से लगभग 20 प्रतिशत कम थी, जबकि शर्त लगाने के बाद बीएसआर दर 10 से 20 प्रतिशत अधिक हो गई.
2 हजार करोड़ के टैंडर में ये शर्त लगाकर हेराफेरी हुई. पूरे मामले पर जलसंसाधन अतिरिक्त सचिव और चीफ इंजीनियर भुवन भास्कर ने सफाई देते हुए कहा कि कार्यों को जल्द पूरा करने के लिए ये शर्त रखी गई थी, लेकिन बाद में ठेकेदारों के विरोध पर ये शर्त हटाई गई.
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जल संसाधन विभाग में शॉर्ट टर्म के टेंडरों में लॉग टाइम प्रॉफिट की साजिश रची गई. निविदाओं में टैंडर डालने के लिए महज 11 दिन का समय दिया गया,जबकि कार्य पूर्णता की अवधि 18 से 24 महीने तक रखी. इससे प्रतिस्पर्धा का अभाव रहा और मनपसंद फर्मों को टैंडर मिल गए.
आरटीपीपी नियमों में अल्पकालीन निविदा का प्रावधान इमरजेंसी कार्य या अल्पकालीन कार्य के लिए रखा गया था. अतिरिक्त सचिव और चीफ इंजीनियर भुवन भास्कर का कहना है कि नियमों के तहत निविदा की अवधि आधी की गई थी.
प्रोजेक्ट काम लागत
अनास रिवर स्कीम 10 साल का o&m,रिपेयर 109.14 करोड़
दानपुर लिफ्ट स्कीम 10 साल का o&m,रिपेयर 90.37 करोड़
सांगडूंगरी स्कीम एनिकट 10 साल का o&m,रिपेयर 68.94 करोड़
कागदी नाला स्कीम एक्सटेंशन,क्षमता बढाना 69.79 करोड़
कसारवाडी एनिकट स्कीम 10 साल का o&m,रिपेयर 40.43 करोड़
गोडियादर स्कीम कंस्ट्रक्शन 32.67 करोड़
ऐसे में सवाल ये है कि क्या इन टैंडरों की जांच करनी होगी ? यदि आरटीपीपी के नियमों को ताक पर रखा गया तो दोषी इंजीनियर्स पर कार्रवाई होगी ? क्या शर्ते बदलने और शार्ट टर्म का खेल ऊपर तक चला ?