जयपुर में वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने उठाया ये कदम
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जयपुर में वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने उठाया ये कदम

शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए जयपुर ट्रैफिक पुलिस की ओर से तैयार की गयी नाइट हॉक की टीम को अब सड़कों पर उतार दिया गया है.

जयपुर में वाहनों की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने उठाया ये कदम

Jaipur: शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए जयपुर ट्रैफिक पुलिस की ओर से तैयार की गयी नाइट हॉक की टीम को अब सड़कों पर उतार दिया गया है. नाइट हॉक ने अब शहर की मुख्य सड़कों पर दौड़ रहे बेलगाम वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम शुरु कर दिया है. वाहनों की रफ्तार कम करके ट्रैफिक पुलिस जयपुर में दुर्घटनाओं के आंकड़ों कम करने का प्रयास कर रही है.

जयपुर ट्रैफिक पुलिस को पुलिस मुख्यालय की ओर से हाइटेक मोटरसाईकिल दी गयी है. जिन पर अत्याधुनिक कैमरे लगे है. इन कैमरों के जरिए केवल दिन में ही नहीं, बल्कि रात के समय भी वाहनों की रफ्तार पर नजर रखी जा सकती है. जिसके चलते इस टीम को नाइट हॉक नाम दिया गया है. जयपुर शहर में रात होते ही वाहनों की रफ्तार बढ़ने लगती है. खाली सड़कों पर वाहन हाइवे की तरह शहर की सड़कों पर दौड़ने लगते है. रेड लाइट रात के समय ब्लींकर मोड पर डाल दी जाती है. जिसके चलते तेज रफ्तार से वाहन चौराहों से भी निकलते है और शहर के मुख्य चौराहों पर आए दिन गंभीर हादसे देखने को मिलते है. इन्ही हादसों को रोकने के लिए अब रात के समय भी नाइट हॉक शहर की सड़कों पर नजर बनाए हुए है.

नाइट हॉक यानि की विशेष रूप से तैयार मोटरसाईकिल, जिसपर लगे कैमरे ओवरस्पीड की जांच करते है. सड़क किनारे मोटरसाईकिल को खड़ा कर देने पर सड़क से गुजरने वाले तेज रफ्तार वाहनों की स्पीड को मोटरसाईकिल पर लगा कैमरा कैच कर लेता है. कैमरा इंटरनेट से कनेक्ट रहता है जो कि तत्काल ओवरस्पीड वाहन की जानकारी आगे खड़े पुलिसकर्मियों के पास भेज देता है. और चौराहों पर मौजूद पुलिसकर्मी ओवरस्पीड वाहन को रुकवा लेते है. यहां तक की वाहन मालिक को उसके तेज रफ्तार से चल रहे वाहन की फोटो भी दिखा दी जाती है. जिससे सड़कों पर पुलिसकर्मियों से उलझने की घटनाओं को कम किया जा सके. इसके जरिए लोगों के घरों पर भी चालान भेजा जा सकता है. जयपुर में शुरुआती चरण में करीब 200 लोगों के चालान रोजाना नाइट हॉक के जरिए बनाए जा रहे है.

नाइट हॉक से पहले शहर में इंटरसेप्टर के जरिए चालान बनाए जा रहे थे, लेकिन इंटरसेप्टर दूर से ही दिखायी दे जाने की वजह से लोग रफ्तार को कम कर लेते थे और बाद में फिर से ही वही रफ्तार सड़क पर दिखायी देने लगती थी. लेकिन हाइटेक मोटरसाइकिल यानि कि नाइट हॉक के जरिए वाहनों की रफ्तार को कम करने में सफलता मिल रही है. 

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