Krishna Janmashtami 2022 : छोटी काशी में छाया कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास, मंदिरों में गूंज रहा राधे-राधे
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Krishna Janmashtami 2022 : छोटी काशी में छाया कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास, मंदिरों में गूंज रहा राधे-राधे

भक्तों के चहेते नटखट कृष्ण कन्हैया का जन्मदिन सेलिब्रेट करने का दिन आ गया हैं. प्रदेशभर में उल्लास छाया हुआ है. शहर के आराध्य राधा-गोविंददेवजी सहित अन्य ठाकुरजी के मंदिरों में उत्सव मनाए जा रहे हैं.

Krishna Janmashtami 2022 : छोटी काशी में छाया कृष्ण जन्मोत्सव का उल्लास, मंदिरों में गूंज रहा राधे-राधे

Jaipur: छोटी काशी में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उल्लास छाया हुआ है. नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की एसा जयघोष चहु चारों ओर सुनाई देगा. जैसे ही घड़ी की सुइयां रात 12 बजे के आंकड़े को छुएंगी कृष्ण मंदिर घंटे-घड़ियाल और शंख ध्वनि से गूंज उठेंगे. कोरोना महामारी के दो साल बाद शहर के चारों कोनों में स्थित आस्था के केंद्र मुख्य मंदिरों में लाखों कृष्ण भक्तों के पहुंचने की संभावना है. 

गोविंददेवजी मंदिर से लेकर गोपीनाथजी, राधा दामोदरजी मंदिर, इस्कॉन मंदिर और कृष्ण बलराम मंदिर में विशेष रंग-बिरंगी लाइटों, बांदरवालों और फूल मालाओं से सजावट की गई है. मंदिरों में विशेष उत्सव होंगे. जैसे ही कान्हा का जन्म होगा, बधाइयां गूंज उठेगी. मंदिरों में श्रीकृष्ण का वैदिक मंत्रों से जन्माभिषेक किया जाएगा. 

भक्तों के चहेते नटखट कृष्ण कन्हैया का जन्मदिन सेलिब्रेट करने का दिन आ गया हैं. प्रदेशभर में उल्लास छाया हुआ है. शहर के आराध्य राधा-गोविंददेवजी सहित अन्य ठाकुरजी के मंदिरों में उत्सव मनाए जा रहे हैं. मंदिरों को बंधनवारों से सजाया गया है. उत्सव झांकियों के दर्शनों और भक्ति संगीत के कार्यक्रमों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.  

कोरोना महामारी के दो साल बाद मंदिरों से लेकर घरों तक कृष्ण भ्क्त अपने कान्हा के जन्मदिन की तैयारियों में जुटे हुए हैं. शहर के चारों कोनों में प्रमुख रूप से स्थित ठाकुरजी के मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह मंगला झांकी से लेकर जन्म आरती तक लाखों कृष्ण भक्त दर्शनों के लिए पहुंचेंगे. धु्रव और वृद्धि योग सहित अन्य योग संयोग पर्व की महत्ता को खास बनाएंगे. 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस मौके पर मध्यरात्रि में कान्हा प्रगटेंगे, चहुंओर कान्हा के जन्म की खुशियों का उल्लास नजर आएगा. शहर के कुछ मंदिरों में दोपहर में कान्हा का जन्मिभषेक होगा. नाहरगढ़ रोड स्थित चरण मंदिर, चौड़ा रास्ता स्थित राधादामोदर जी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में दोपहर में कान्हा का जन्माभिषेक होगा. इससे पूर्व मंदिरों में कई विशेष तैयारियां की जा रही हैं. गोविंददेवजी मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, लाड़ली जी, अक्षयपात्र कृष्ण बलराम मंदिर और इस्कॉन मंदिरों में सुबह से विशेष कार्यक्रम होंगे. 

इसके साथ ही विशेष रंग-बिरंगी रोशनी आकर्षण का केंद्र रहेगी. मंदिर महंत अंजनकुमार गोस्वामी ने बताया कि जन्माष्टमी पर तड़के 4.30 बजे मंगला आरती, रात 12 बजे तिथि पूजन के साथ 31 तोपों की सलामी के साथ ठाकुर जी के जन्माभिषेक में 425 लीटर दूध, 365 लीटर दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा और 11 किलो शहद से श्रीगोविंद का जन्माभिषेक होगा. 6 पंडित वेदपाठ करेंगे. इससे पहले सालिगराम पूजन और पंच द्रव्यों का पूजन किया जाएगा. 

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ठाकुरजी को विशेष भोग अर्पण किया जाएगा, इसमें पंजीरी लड्डू, खीरसा व रबड़ी का भोग लगाया जाएगा. रात 11 बजे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की व्रत कथा होगी.  425 लीटर दूध, 365 लीटर दही सहित अन्य द्रव्यों से अभिषेक होगा. मंदिर प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि मंगला झांकी से ठाकुर जी की पोशाक में राजस्थानी गोट पत्ती की झलक देखने को मिलेगी. झांकियों में फूलों का विशेष श्रृंगार देखने लायक रहेगा. 20 अगस्त को नंदोत्सव का आयोजन होगा. नंदोत्सव सुबह शृंगार झांकी के दौरान सुबह 9.15 बजे से सुबह 10 बजे तक मनाया जाएगा. इस दिन शोभायात्रा निकाली जाएगी. बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को मंदिर में नहीं आने की अपील की है. इस बार लड्डू का वितरण नहीं होगा. 

जन्माष्टमी पर गोविंददेवजी मंदिर में झांकियों का समय
मंगला - सुबह 4.30 बजे से 6.45
धूप - सुबह 7.30 बजे से 9.30
श्रृंगार -सुबह 9.45 बजे से 11.30
राजभोग - मध्यान्ह 11.45 से 1.30
ग्वाल - शाम 4 से 6.30
संध्या -शाम 6.45 बजे से रात 8.30
शयन आरती- रात 9.15 से 10.30
तिथि पूजन व अभिषेक -मध्यरात्रि 12 से 12.30 बजे तक

आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में ये रहेगी व्यवस्था
जलेब चौक से दो लाइन में एंट्री होगी. 
अंदर मंदिर में एंट्री करने के साथ दस लाइनों में बेरिकेडिंग में तब्दील हो जाएगी. 
जलेब चौक से लेकर मंदिर परिसर में बेरिकेटिंग की गई.
प्रवेश केवल एक ही गेट रहेगा, जो कि जलेब चौक में है.
दर्शनों के बाद निकासी दो गेटों से होगी.
एक गेट जनता मार्केट में और दूसरा चिंताहरण हनुमान मंदिर के पास होगा.
मंदिर परिसर से लेकर हवामहल बाजार, बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार, चौड़ा रास्ता तक ध्वज के साथ ही माइक -मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन का दर्शनार्थियों की सुरक्षा पर पूरा ध्यान रहेगा. 

जयपुर कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित और डीसीपी नॉर्थ परिस देशमुख का कहना हैं कि खाटूश्यामजी दुखातिंका के बाद व्यवस्थाओं को मजबूत किया गया है. सभी संबंधित विभागों और मंदिर प्रशासन से कॉर्डिनेट कर एंट्री और एग्जिट गेटों की संख्या बढ़ाई गई हैं. भीड नियंत्रण पर सबसे ज्यादा फोकस है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहर रहेगा.
मंदिर परिसर में कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है. बेरिकेटिग, जिगजेक के जरिए भक्त लाइनों में ठाकुरजी के दर्शन कर सकेंगे. पुलिस के जवानों के साथ गोविंद देव जी मंदिर में सुबह से लेकर रात तक हर कदम पर 1000 स्वयंसेवक व्यवस्थाएं संभालेंगे, 13 एलईडी, तीन प्लाजमा टीवी पर लाइव दर्शन, सुरक्षा के लिए 10 मैटल डिटेक्टर की व्यवस्था की हैं. 

उधर जगतपुरा स्थित कृष्ण बलराम मंदिर में सुबह 7.30 से लेकर मध्यरात्रि तक दर्शन अलग.अलग द्वारों के जरिए होंगे. संकीर्तन, भजन, कृष्णकथा, वीडियो शो खास होगा. मथुरा की खास पोशाक के साथ ही विदेशी फूलों के रस से भगवान का अभिषेक, श्रृंगार होगा. मानसरोवर धौलाई स्थित इस्कॉन मंदिर परिसर स्थित गिरिधारी दाऊजी मंदिर में सुबह 4.30 से 5 मंगला आरती दर्शन करेंगे. सुबह 7.30 जन्माभिषेक तक दिनभर दो लाइनों के जरिए भक्त दर्शन कर सकेंगे. 230 निजी गार्ड, 600 स्वयंसेवक, 250 पुलिसकर्मी व्यवस्था संभालेंगे. रंग-बिरंगी रोशनी से पूरी तरह से मंदिर जगमग रहेगा. आमजन के दर्शनों और यातायात संचालन के लिए विशेष व्यवस्था की है. नाहरगढ़ पहाड़ी स्थित चरण मंदिर में दोपहर 12 बजे महंत सुरेश कुमार पारीक के सानिध्य में भगवान कृष्ण के चरण चिन्ह का वैदिक मंत्रोच्चार से अभिषेक, नूतन पोशाक धारण करवाकर, ऋतु पुष्पों से नयनाभिराम श्रृंगार किया जाएगा. ठाकुर जी के 21, 000 लड़ू का भोग लगाकर लड़ू की मनोरम झांकी सजाई जाएगी. 

सुबह मंगला झांकी से लेकर शयन झांकी तक हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र आराध्य गोविंददेवजी मंदिर वैसे ठाकुरजी विराजमान तो मंदिर में है, लेकिन बसते ये जयपुरवासियों की सांसो में हैं. हजारों की संख्या में प्रतिदिन और लाखों की संख्या में उत्सवों पर भक्तों की भीड यहां हाजरी लगाती है. जयपुर के ईष्ट तो ये है ही, लेकिन बंगाल, बिहार, मणिपुर, आसाम और अन्य राज्यों सहित विदेशों से भी भक्त ठाकुरश्रीजी के चरणों में सिर नवाने जरूर आते हैं. कलाकार ठाकुरजी गोविंददेवजी के सामने अपनी हाजिरी लगाए बिना अपनी कला को अधुरा मानते हैं. दिन-प्रतिदिन इसकी आस्था बढ़ती ही जा रही हैं. भक्त अपने काम की शुरुआत हो या दिन की शुरुआत से पहले आराध्य के दर्शन करने दरबार में हाजिरी लगाते हैं. भगवान कृष्ण के भक्त मथुरा, वृंदावन और द्वारका के साथ ही सबसे बड़ी संख्या में गोविंद देवजी के मंदिर में पहुंचते हैं. इस मंदिर में स्थित गोविंद देवजी की मूर्ति को भगवान कृष्ण की सबसे सुंदर और आकर्षक प्रतिमा माना जाता है. यह मंदिर सुबह 5 बजे आरती और मधुर भजनों के साथ भक्तों के लिए खुलता है. इस मंदिर में हर दिन 7 बार भगवान की आरती होती है और भजन गाए जाते हैं. 

बहरहाल, जयपुर राजपरिवार के लोग तो श्रीकृष्ण को राजा और खुद को उनका दीवान मानकर सेवा-पूजा करता रहा है. ठाकुरजी की झांकी अत्यधिक मनोहारी है. जयपुर घूमने आए हर पर्यटक भगवान श्रीगोविंद देव जी के दर्शन करने जरुर आते हैं. ऐसा ही कुछ आकर्षण भगवान श्री गोपीनाथ जी और श्री मदन मोहन के विग्रह का है, जो भक्तों को अपने साथ बांधे रखता है. कहा जाता है कि इन तीनों विग्रहों के दर्शन एक दिन में ही करने को काफी शुभ माना जाता है. 

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