विपक्ष की तरफ से इस संशोधन के जरिए जनप्रतिनिधियों को कमजोर करने की मंशा का आरोप लगाया गया. इस पर धारीवाल ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को कमजोर करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है.
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Jaipur: विपक्ष की आपत्तियों के बीच सोमवार को राजस्थान भूमि संशोधन विधियां विधेयक 2021 (Rajasthan Land Amendment Laws Bill 2021) राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Legislative Assembly) में पास हो गया.
विधेयक लाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए बीजेपी के विधायकों ने इसे भू-माफियाओं को मजबूत करने वाला बताया, लेकिन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने बिल पर बहस के बाद जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष इस बिल के प्रावधानों को समझे बिना ही भ्रामक प्रचार कर रहा है.
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धारीवाल ने कहा कि यह बिल जनता को राहत देने के लिए लाया गया है. उन्होंने स्थानीय निकायों के निर्वाचित मुखिया को दरकिनार करने के बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस कानून के तहत पट्टे जारी करने के लिए प्रत्येक स्थानीय निकाय में 5 सदस्यों की एक एंपावर्ड कमेटी बनेगी. इस कमेटी का मुखिया निकाय का निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही होगा. धारीवाल ने कहा कि निकाय के अध्यक्ष या सभापति को दरकिनार करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है.
और क्या कहा धारीवाल ने?
धारीवाल ने कहा कि हम सिर्फ धारा - 69A को ही एक्ट में जोड़ रहे हैं. बीजेपी सरकार ने इसे लीज होल्ड के लिए जोड़ा था जबकि हम फ्री होल्ड के लिए इस धारा को जोड़ रहे हैं. जमीन मालिक इससे समस्त लाभ का उपयोग कर सकेगा. UIT एक्ट की धारा 43 को बदलकर इसे लाया गया है. टेनेंसी एक्ट में वर्णित भूमियों को समाहित किया गया है. इनको UIT में समाहित करने से रखरखाव का जिम्मा UIT पर होगा.
विपक्ष को लिया आड़े हाथ
धारीवाल ने कहा कि चर्चा तो बिल पर होनी चाहिए थी लेकिन विपक्ष ने चर्चा की कन्फ्यूजन पर. उन्होंने कहा कि अभियान में सरकार 2 लाख पट्टे देने वाली है और इससे 5000 करोड़ खजाने में जमा होगा. यूडीएच मंत्री ने कहा कि इसी बात से विपक्ष को मरोड़ उठ रहे हैं. धारीवाल बोले, भाषण लंबा करने के लिए राजेन्द्र राठौड़ ने पूरा एक्ट ही पढ़ दिया.
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मेरे दस्तखत से बनते हैं नियम, नहीं चलती अफसरों की- धारीवाल
धारीवाल ने कहा कि संशोधन के बाद सरकार को अधिकार होगा कि सरकार 250 वर्ग मीटर की सीमा भी बढ़ा सकती है. धारीवाल बोले - इसमें हमने क्या गलत किया? उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अभी तक बिल्डिंग बाय लॉज से पूरा काम हो रहा है. धारीवाल ने विपक्ष की तरफ से अफसरों के हावी होने को लेकर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ये नियम मेरे दस्तखत से निकलते हैं. उन्होनें कहा इसमें अफसरों की नहीं चलती है.
धारा 69-ए को धारीवाल ने बताया जादुई धारा, बोले जादूगर लेगा इसको काम
2 अक्टूबर से प्रदेश में प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाने से पहले धारीवाल पिछली बीजेपी सरकार में एक्ट में जोड़ी गई धारा 69-ए को जादुई धारा बता चुके हैं. विधानसभा में एक बार फिर धारीवाल ने अपनी बात को दोहराया. अशोक लाहोटी की तरफ से उठाए गए सवालों पर धारीवाल ने कहा कि वे इस बात से बिल्कुल सहमत है कि धारा 69-के जादुई धारा है. विपक्ष पर चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष इस जादुई धारा का इस्तेमाल नहीं कर पाया लेकिन अब जादूगर इस धारा को काम में लेगा. इस पर विपक्ष में बैठे विधायक रामलाल ने कहा कि जादूगर तो डेढ़ साल से लापता है.
गुलाब चंद कटारिया ने जताई यह आशंका
संशोधन विधेयक पर बोलते हुए विपक्ष की तरफ से प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया और उप नेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) समेत कई विधायकों ने मास्टर प्लान में फेरबदल की आशंका जताई. इस पर जवाब देते हुए धारीवाल ने कहा कि मास्टर प्लान में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सिर्फ जोनल प्लान के आधार पर वही बदलाव किए जाएंगे, जिसकी कोर्ट से सरकार को इजाजत है. धारीवाल ने कहा कि नदी, जोहड़, जलाशयों की जमीन पर कोई पट्टे नहीं देंगे.
बीजेपी विधायकों ने नगर मित्र के बहाने भूमाफिया और दलाल बढ़ाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार नगर मित्र के नाम पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करना चाहती है. इस पर धारीवाल ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता तो नगर मित्र भी है और ग्रामीण मित्र भी. धारीवाल ने कहा कि यह कोई स्थाई नियुक्ति नहीं है. अगर कोई नगर मित्र गड़बड़ी करेगा, तो उसे तुरंत रवानगी दे दी जाएगी.
जनप्रतिनिधि और निकाय प्रमुख नहीं होंगे कमजोर
विपक्ष की तरफ से इस संशोधन के जरिए जनप्रतिनिधियों को कमजोर करने की मंशा का आरोप लगाया गया. इस पर धारीवाल ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को कमजोर करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है. उन्होंने कहा कि निकाय के मुखिया की अध्यक्षता में 5 लोगों की एक एंपावर्ड कमेटी बनेगी. यह एंपावर्ड कमेटी ही पट्टा आवंटन पर फैसले लेगी. धारीवाल ने कहा कि कई बार राजनीतिक हितों के चलते निकाय प्रमुख पट्टे पर दस्तखत नहीं करते. ऐसे में संशोधन के जरिए यह प्रावधान किया गया है कि अगर अधिशासी अधिकारी के दस्तखत होने के 15 दिन तक निकाय प्रमुख ने पट्टे पर हस्ताक्षर नहीं किए, तो पट्टा ईओ के हस्ताक्षर से ही जारी कर दिया जाएगा. धारीवाल ने कहा कि पट्टे के अलावा भी इस अभियान में कई काम होंगे.
क्या बोले विपक्ष के विधायक?
प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए और कहा कि पट्टे बांटने के अभियान में दलालों को लाइसेंस दिया जा रहा. नगर मित्र के नाम पर सरकार दलालों को लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है.
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) बोले कि इस संशोधन को जल्दबाजी में पारित कराना जरूरी नहीं. यह कानून बन गया तो भ्रष्टाचार का नया आधार बन जाएगा. लोग आप और हम सबकी समझ पर सवाल उठाएंगे. आपकी जिद हो तो आप इसे पास करें लेकिन आज नहीं तो कल यह कानूनी पेचीदगी में जाएगा. कटारिया ने संशोधन को प्रवर समिति में भेजने की पैरवी की.
कटारिया बोले कि यह कानून अधिकारियों के हाथ में उस्तरे की तरह है, जिससे ये लोग किसी का भी नुकसान कर देंगे. यह कानून भूमाफियाओं को बढ़ावा देगा. कानून की आड़ लेकर भूमाफियाओं को तोहफा देने की तैयारी है. इस सदन में इन शब्दों को लिखा जाना चाहिए.
जोगेश्वर गर्ग (Jogeshwar Garg) बोले कि यह संशोधन दलालों को बढ़ावा देने की तैयारी है. नगर मित्र को लेकर गर्ग ने सवाल उठाए और कहा कि बिना निकाय प्रमुख के दस्तखत पट्टे जारी करने की क्या जरूरत? केवल ईओ के दस्तखत से पट्टे जारी कराकर क्या करना चाहते हो? ज्यादातर निकायों में अध्यक्ष/सभापति आपकी विचारधारा के नहीं रहे. इसलिए आप लोग इन निकाय प्रमुख जनप्रतिनिधियों को कमजोर कर रहे हो.
वहीं, रामलाल शर्मा (Ramlal Sharma) बोले कि कई ईओ भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं. बिना पैसे के कोई पट्टे जारी नहीं हो रहे.
रामप्रताप कासनिया बोले कि आप प्रजातंत्र को नपुंसक बनाना चाहते हो. बिल को 6 महीने रोककर जनमत जानने के लिए प्रचारित किया जाए. नगर मित्र की नियुक्ति पर कासनीया का एतराज रहा और कहा - इससे सरकार की नीयत पर सवाल उठते हैं. इतने सारे जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी के बावजूद उन्हें दरकिनार क्यों कर रहे हो?