राजस्थान में निजी स्कूलों को छोड़ महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल बने पहली पसंद
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राजस्थान में निजी स्कूलों को छोड़ महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूल बने पहली पसंद

प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2019 में प्रदेश में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का फैसला लिया.

महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल.

Jaipur: प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल 2019 में प्रदेश में महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का फैसला लिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस सपने को महज कुछ ही समय में मूर्त रूप देते हुए जून 2019 में प्रदेश के 33 जिलों में 33 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की शुरूआत हुई और महज तीन सालों में ही प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की संख्या बढ़कर 559 तक पहुंच गई है तो वहीं राजधानी जयपुर में भी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की संख्या 34 तक पहुंच गई है. 

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 9 अप्रैल 2022 को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जोधपुर के चैनपुरा की सरदारपुरा के महात्मा गांधी राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल का एक वीडियो पोस्ट किया. इस वीडियों में कक्षा 3 के दो विद्यार्थियों द्वारा पूरा संवाद अंग्रेजी में किया जा रहा था, जिसके बाद ज़ी राजस्थान की टीम मानसरोवर स्थित महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल पहुंच स्कूलों में दी जा रही शिक्षा के स्तर को जांचा तो परिणाम काफी सुखद नजर आए. 

मानसरोवर स्थित महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल की प्रिंसीपल अनू चौधरी और शिक्षिका रुचि सिंह का का कहना है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार की ओर से महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की जो शुरूआत की गई है, वो सच में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति के रूप में सामने आ रही है. आज सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे किसी भी रुप में निजी स्कूलों से कम नहीं है. 

सरकारी स्कूलों शिक्षित अध्यापकों के साथ ही बेहतर संसाधनों के चलते ये स्कूल लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले सत्र में भी स्कूल में सीटों के मुकाबले करीब 20 गुना तक ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे. जयपुर में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की संख्या 34 तक पहुंच चुकी है, लेकिन इसके बाद भी आवेदन के हालात ऐसे ही बने हुए हैं इसलिए सरकार जल्द से जल्द और स्कूल खोले जिससे सभी बच्चों को इसका लाभ मिल सके. 

कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले छात्रा वर्षा चौधरी, अंशुल और यश्विनी की अंग्रेजी ऐसी है कि मानो प्रदेश के किसी टॉप लेवल की स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं हैं. छात्राओं ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बारे में बताते हुए कहा कि पिछले तीन सालों से लगातार अंग्रेजी में ही पढ़ाई और पूरा संवाद स्थापित किया जा रहा है. स्कूल में निशुल्क शिक्षा, भोजन, अध्यापन सामग्री मिलती है तो वहीं शिक्षक भी वेल क्वालिफाइड होने की वजह से पढ़ाई में किसी प्रकार की कोई समस्या सामने नहीं आती है. 

शुरूआत दौर में कक्षा 1 से 8वीं तक ही अंग्रेजी कक्षाओं की शुरूआत की जो अब बढ़कर कक्षा 10वीं तक पहुंच गई है. ऐसे में इससे ऊपर वाले बच्चे किसी भेदभाव को शिकार हो रहे हैं. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. कक्षा 11वीं में पढ़ने वाली भारती और आरती की अंग्रेजी संवाद तो मानो लोगों का दिल जीत ले. स्कूल प्रशासन स्टाफ द्वारा ना सिर्फ कक्षा 10वीं तक के बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ाया जाता है. 

साथ ही कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को भी अंग्रेजी में ही शिक्षा देने का काम किया जा रहा है. आरती और भारती सिंह का कहना है कि उनका माध्यम हिंदी है, लेकिन शिक्षकों द्वारा उनको भी अंग्रेजी में ही पढ़ाया जाता है, जिसके चलते अब वो किसी भी रूप में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कम नहीं है. 

वर्तमान में जहां प्रदेश में कुल 559 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल चल रहे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगले एक साल में करीब 1200 और नई अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की घोषणा की है. ऐसे में लगता है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों को स्तर ना सिर्फ आसमान छूता हुआ नजर आएगा. साथ हीं, निजी स्कूलों की खुली लूट से भी प्रदेश के अभिभावकों को भविष्य में पूरी तरह से निजात मिल जाएगी. 

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