राजस्थान हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा-छात्रों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है ना की छात्रसंघ चुनाव लड़ने का
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राजस्थान हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा-छात्रों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है ना की छात्रसंघ चुनाव लड़ने का

याचिकाओं में राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ संविधान के प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा गया कि छात्रसंघ चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम आयु 25 साल निर्धारित की गई है. जबकि पिछले दो साल से कोरोना के चलते चुनाव नहीं हुए हैं. 

राजस्थान हाईकोर्ट की टिप्पणी, कहा-छात्रों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है ना की छात्रसंघ चुनाव लड़ने का

Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में आयु सीमा में छूट और अंतिम सेमेस्टर के छात्र को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देने से जुड़े मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि छात्रों को शिक्षा पाने का मूल अधिकार है ना की छात्रसंघ चुनाव लड़ने का. इसके साथ ही अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता छात्र नेताओं को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए याचिकाओं पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस वीके भारवानी की खंडपीठ ने यह आदेश लोकेन्द्र सिंह व अन्य की याचिकाओं पर दिए. वहीं एक अन्य छात्र नेता की याचिका पर एकलपीठ गुरुवार को सुनवाई करेगी.

याचिकाओं में राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ संविधान के प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा गया कि छात्रसंघ चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम आयु 25 साल निर्धारित की गई है. जबकि पिछले दो साल से कोरोना के चलते चुनाव नहीं हुए हैं. जिसके चलते याचिकाकर्ता आयु सीमा को पार कर गए हैं. राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं में भी आवेदन के लिए आयु सीमा दो साल बढ़ाई है. ऐसे में चुनाव लड़ने के लिए भी आयु सीमा में दो साल की छूट दी जानी चाहिए. इस पर राज्य सरकार की ओर से एएजी विभूति भूषण शर्मा और विवि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एके शर्मा व रचित शर्मा ने बताया कि लिंगदोह कमेटी और छात्रसंघ संविधान के अनुसार चुनाव कराए जा रहे हैं.

याचिकाकर्ताओं का कोई मूल अधिकार प्रभावित नहीं हो रहा है. जिनका परीक्षा परिणाम नहीं आया है, उन्हें भी मताधिकार का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता सरकारी सेवाओं में दी गई आयु सीमा में छूट की तुलना छात्रसंघ चुनाव से नहीं कर सकते हैं. इस पर अदालत ने कहा कि उन्हें मूल अधिकार के तहत शिक्षा मिल रही है, लेकिन चुनाव लड़ने का मूल अधिकार नहीं है. इसके साथ ही अदालत ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है.

Reporter- Mahesh Pareek

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