जालोरी गेट चौराहे पर पुलिस पर पथराव होने पर पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े. हालांकि बाद में अल्पसंख्यक वर्ग के काजी साहब के समझाने पर मामला सुलझा.
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Jodhpur: जोधपुर में स्वतंत्रता सेनानी की मूर्ति पर इस्लामिक झंडा फहराने की बात को लेकर शुरु हुआ विवाद अब तक जारी है दरअसल जोधपुर में इन दिनों तीन दिवसीय परशुराम जयंती महोत्सव चल रहा है. उसी कड़ी में जोधपुर के जालौरी गेट चौराहे पर स्वर्गीय बालमुकंद की बिस्सा के चौराहे पर भगवा ध्वज फहराए गए थे.
भगवा ध्वज फरहाने को लेकर कुछ आपत्ति के बाद प्रशासन ने ब्राह्मण समाज से अनुरोध कर सोमवार को दोपहर में भगवा ध्वज उतरवा लिए लेकिन रात होते-होते अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों ने स्वतंत्रता सेनानी के प्रतिमा पर चढ़कर ध्वजा लगाकर उनके चेहरे को टेप से ढक दिया था.
मामले को लेकर स्वर्गीय स्वतंत्रता सेनानी बालमुकुंद बिस्सा के रिश्तेदार और अन्य लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से समझाइश कर इस्लामिक ध्वजा उतारने का अनुरोध किया और तभी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हिंदू संगठनों के लोगों पर हमला कर दिया और बुरी तरह से उन्हें पीटा.
इस दौरान पुलिस चौकी में भी तोड़फोड़ की गयी. भीड़ के आगे बेबस पुलिस ने कंट्रोल रूम को सूचित किया जिसके बाद अतिरिक्त जाब्ता और दोनों डीसीपी मौके पर पहुंचे. लेकिन तब तक पूरे शहर में ये खबर आग की तरह फैल गई थी.
जालोरी गेट चौराहे दोनों पक्षों के लोगों का पहुंचना शुरू हो गया. जिसके बाद बिना किसी उच्च अधिकारी के आदेश के उदय मंदिर थाना अधिकारी अमित सिहाग ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया और लाठीचार्ज में कई पत्रकार भी जख्मी हुए.
जालोरी गेट चौराहे पर पुलिस पर पथराव होने पर पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े. हालांकि बाद में अल्पसंख्यक वर्ग के काजी साहब के समझाने पर मामला सुलझा.
घटना के बाद सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास और महापौर दक्षिण वनीता सेठ के साथ ही हिंदू संगठन, दोषी पुलिस अधिकारियों को हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गये. वही मुस्लिम लोगों से अपने घरों और मोहल्ले की मस्जिद में ही नमाज पढ़ने का आग्रह किया.
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