सर्वोच्च नागरिक सम्मान में दिए गए पद्मश्री पुरस्कार, जानिए राजस्थान से किन-किन को मिला
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सर्वोच्च नागरिक सम्मान में दिए गए पद्मश्री पुरस्कार, जानिए राजस्थान से किन-किन को मिला

सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने पुरस्कार सौंपा.

सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री पुरस्कार.

Jaipur: देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न के बाद देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shri Award) आज राष्ट्रपति भवन में वितरित किए गए. पद्मश्री पुरस्कार कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में समारोहपूर्वक आयोजित किया गया. इस दौरान सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) और अरुण जेटली (Arun Jaitley) जैसे राजनेताओं को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज (Bansuri Swaraj) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने पुरस्कार सौंपा.

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पर्यावरण के प्रति समर्पित अहम योगदान
इसी कड़ी में नागौर जिले के रहने वाले हिम्मताराम भांभू (Himtaram Bhambhu) को पर्यावरण के प्रति समर्पित अहम योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया. 1975 से अब तक साढ़े पांच लाख पौधे रोप जा चुके हैं. यही नहीं, इनमें से साढ़े तीन लाख पेड़ बन चुके हैं. इसमें छह एकड़ में 11 हजार वृक्षों वाला एक जंगल भी शामिल है. सुखवासी गांव के रहने वाले हिम्मताराम जब 18 साल के थे तो उनकी दादी ने उनसे पीपल का एक पौधा लगवाया था और इस पौधे का पूरा ध्यान रखने के लिए कहा था. उस दिन दादी से मिली प्रेरणा का नतीजा यह है कि 1975 से अब तक हिम्मताराम राजस्थान (Rajasthan News) के कोने-कोने में करीब साढ़े पांच लाख पौधे रोप चुके हैं.

बचपन से ही मैला ढोने का काम करती थीं
वहीं, अलवर (Alwar News) राजस्थान  की रहने वाली ऊषा चौमर (Usha Chaumar) को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. ऊषा बचपन से ही मैला ढोने का काम करती थीं. महज 10 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई. उन्हें लगा कि शायद अब उन्हें इस काम से मुक्ति मिल जाएगी लेकिन उनके ससुराल वालों ने भी उनसे यही काम करवाया. उस वक्त उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था लेकिन इस काम से वह बिल्कुल खुश नहीं थीं लेकिन आज तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. सुलभ इंटरनेशनल के एनजीओ नई दिशा ने उन्हें इस जिंदगी से आजादी दिलाई. राजस्थान के अलवर की ऊषा आज ऐसी सैकड़ों महिलाओं की आवाज हैं. आज वह स्वच्छता के लिए संघर्ष और मैला ढोने के खिलाफ आवाज उठाने वाली संस्था की अध्यक्ष हैं. ऊषा ने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से राजस्थान में स्वच्छता की अलख जगाई और इसके लिए उन्हें देश के प्रतिष्ठित सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 

हिन्दी फिल्मों में भी अपनी लोक गायकी का जलवा
इसी कड़ी में राजस्थान के जैसलमेर (Jaisalmer News) जिले के छोटे से गांव बहिया में जन्मे लोकगायक उस्ताद अनवर खां मांगणियार ने लोक कला के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया. लोकगायक उस्ताद अनवर खां मांगणियार ने लोक कला को देश-विदेश में पहुंचाया. करीब 55 देशों में अनवर खां अपनी लोक कला दिखाकर देश के लिए मिसाल बन चुके हैं. अनवर खां अपनी गायकी का परचम लहरा चुके हैं. इसी के साथ कई हिन्दी फिल्मों में भी अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं. अनवर खां सूफी गायक भी हैं, जब वह सूफी शैली में लोकगीत गाते हैं तो श्रोता झूम उठते हैं. जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में  लोक गायक रोजड़ खां के घर में जन्मे अनवर खां के दादा भी लोक गायक थे इसलिए लोकगीत संगीत उन्हें विरासत में मिला. अनवर खां लोकगीत के साधक हैं, चान्दण मुल्तान, सदीक खान जैसे उस्तादों से अनवर खां ने लोकगीत की बारीकियां सीखीं. 

हिन्दू और मुस्लिम का बराबर समान
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए राजधानी जयपुर (Jaipur News) के बगरू विधानसभा क्षेत्र के संगीतज्ञ रमजान खान (Ramzan Khan) उर्फ मुन्ना मास्टर श्याम प्रभु और गोभक्ति के भजनों के लिए पद्म पुरस्कार से नवाजा गया. मुन्ना कौमी एकता की मिसाल हैं. यह वजह है कि इनका परिवार मस्जिद में सजदा भी करता है तो मंदिर जाकर पूजा भी. 61 वर्षीय रमजान खान की पहचान भजन गायक, भगवान श्रीकृष्ण के भक्त और गोसेवक के रूप में भी है. यह अपने भजनों के जरिए कवि रसखान की परंपरा का आगे बढ़ा रहे हैं. श्री श्याम सुरभि वंदना नामक किताब भी लिख चुके हैं. बगरू में हर कोई इस बात से वाकिफ है कि रमजान का परिवार हिन्दू और मुस्लिम का बराबर समान करता है. पिता के बाद बेटे रमजान खान ने कृष्ण और राम के भजन गायन को पेशा बनाया. इनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को हनुमान चालीसा पूरी तरह याद है. 

एक लीटर पानी में पेड़ लगाने की तकनीक
इसी के साथ सीकर (Sikar Newas) की सख्शियत प्रगतिशील किसान सुंडाराम को आज पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया. डॉ. वर्मा (Dr. Verma) एक लीटर पानी में पेड़ लगाने की तकनीक विकसित करने का अद्भुत काम कर रहे हैं. कृषि वानिकी सर्वे के मुताबिक अब तक सुंडाराम वर्मा सीकर, नागौर सहित प्रदेशभर में कई स्थानों पर रेगिस्तान की रेतीली और बंजर धरती पर एक लीटर पानी में ही 60,000 से ज्यादा पौधे पनपा चुके हैं. वर्ष 2021 जून-जुलाई में भी सुंडाराम वर्मा द्वारा दांतारामगढ़ और सालासर सहित शेखावाटी इलाके में 3000 से ज्यादा मरुस्थलीय पौधे रोपित किए गए हैं. फिलहाल चना, गेहूं, जौ, मेथी सहित कई फसलों की किस्मों से कम समय में उन्नत पैदावार को लेकर शोध रहे हैं. 

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राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले पद्मश्री पुरस्कारों से लोगों का मनोबल ऊंचा उठता है. अच्छा कार्य करने वाले लोगों को गर्व होता है. इसी के साथ ही अन्य लोगों को भी पुरस्कार की चाहत पैदा होती है, जिससे वह अपने क्षेत्र में ओर अधिक अच्छा कार्य करने में जुट जाते हैं, जिसके चलते देश में छुपी हुई प्रतिभा आगे आकर उच्च मुकाम हासिल करती हैं. 

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