राजस्थान पुलिस में कागज का संकट, पुलिसकर्मी कर रहे 'कारगुजारी'
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राजस्थान पुलिस में कागज का संकट, पुलिसकर्मी कर रहे 'कारगुजारी'

राजस्थान पुलिस में कागज का संकट है. FRI दर्ज करने से लेकर केस की जांच तक लगभग 200 से 400 कागज चाहिए. प्रदेश में करीब दो लाख मुकमदें दर्ज हो रहे हैं, जिनके लिए 50 हजार से ज्यादा कागज रिम चाहिए.

फाइल फोटो

Jaipur: राजस्थान पुलिस में कागज का संकट है. FRI दर्ज करने से लेकर केस की जांच तक लगभग 200 से 400 कागज चाहिए. प्रदेश में करीब दो लाख मुकमदें दर्ज हो रहे हैं, जिनके लिए 50 हजार से ज्यादा कागज रिम चाहिए. वहीं, पर्याप्त स्टेशनरी नहीं मिलने पर फील्ड में लगे पुलिसकर्मी ''कारगुजारी'' से बाज नहीं आते हैं. पुलिस को कागज की कमी पूरी करने के लिए छह करोड़ रुपए चाहिए.

पुलिस का नाम सुनते ही एफआईआर और केस का दृश्य दिखाई देने लगता है. एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस के निपटारे तक औसतन एक केस में कागज के करीब 370 पेज खर्च होते हैं. वहीं, पुलिस की दूसरी ब्रांचों तथा कार्यालयों में भी कागज की जरूरत होती है. इस कागज को लेकर इन दिनों राजस्थान पुलिस परेशान हैं. कारण साफ है कि सरकार से पर्याप्त कागज नहीं मिल पा रहा है, जिससे दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है. इतना ही नहीं कागज नहीं मिलने से फील्ड में तैनात पुलिसकर्मी एफआईआर दर्ज करवाने आ रहे फरियादियों से भी कागज मंगवा रहे हैं.

- एडीजी पुलिस कल्याण की ओर से राज्य सरकार को कागज की रिम के लिए बजट देने का प्रस्ताव भेजा गया है.
- प्रस्ताव में कहा गया है कि पुलिस को स्टेशनरी के लिए उपलब्ध कराया जा रहा बजट वर्तमान आवश्यकताओं की तुलना में कम है.
- पुलिस थानों, चौकियों, आईजी रेंज, कमिश्नरेट, एसपी, एएसपी, डीएसपी कार्यालयों के अलावा पीएचक्यू में एडीजी के अधीन 20 अलग अलग शाखाएं हैं
- क्राइम, इंटेलीजेंस, एटीएस-एसओजी की चौकियों यूनिटस, आरएसी मुख्यालय, कम्पनी कार्यालयों में कामकाज के दौरान परेशानी हो रही है.
- खुद पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि पर्याप्त स्टेशनरी के आवंटन नहीं होने से पुलिस थानों या अन्य जगह परिवादियों से कागज रिम मांगने की शिकायतें पुलिस मुख्यालय तक पहुंची है..
- राजस्थान में वर्ष 2020-21 में राज्यभर में आईपीसी के तहत 1 लाख 93 हजार 230 केस तहत दर्ज किए गए हैं.
- इसी तरह 670 प्रकरण स्पेशल लॉकल एक्ट में दर्ज किए गए.
- आईपीसी के एक केस के पूर्ण अनुसंधान पर औसतन 370 पेज (एक रिम का 74 प्रतिशत) स्टेशनरी लगती है. 
- स्पेशल लोकल एक्ट के एक केस के पूर्ण अनुसंधान पर 200 पेज (एक रिम का 40 प्रतिशत) स्टेशनरी की जरूरत होती है.
- थानों, चौकियों, डीएसपी, एएसपी, एसपी कार्यालयों में परिवादों, मर्ग आदि की जांचों में प्रत्येक जांच पर औसतन 200 पेज आवश्यक होते हैं.
- फील्ड यूनिटों में दर्ज केसों, आपराधिक घटनाओं, कानून-व्यवस्था संबंधी मामलों तथा साम्प्रदायिक घटनाओं पर यूनिटों द्वारा राज्य सरकार, पुलिस मुख्यालय को  हर रोज कई रिपोर्ट  भेजी जाती है. ऐसी प्रत्येक रिपोर्ट पर औसतन 50 पेजों की आवश्यकता होती है.
- पुलिस प्रिंटिंग प्रेस में रोजनामचा, जुरायम रजिस्टर, विभिन्न फॉर्म, बुक सहित अन्य स्टेशनरी मुद्रित करवाई जाती है.
- इसके लिए पुलिस प्रिंटिंग प्रेस प्रतिवर्ष 5000 रिम, 175X27 तथा 4000 रिम 18 X22" Size पेपर की जरूरत होती है.
- पुलिस मुख्यालय की विभिन्न शाखाओं के लिए 3000 रिमें FS Size व 3500 रिमें A-4 Size की औसतन आवश्यकता होती है.
- पीएचक्यू ने इन सब कागजों के लिए छह करोड़ 4 लाख रुपए का बजट मांगा है.
- गृह विभाग से प्रकरण वित्त विभाग भिजवाया जा रहा है.

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