Jaipur News:पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने में जितनी तेजी दिखाई जाती है. कीमतें घटाने में उतनी ही सुस्ती नजर आती है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने वैट और दाम घटाकर खूब वाहवाही लूटी हैं.देश की 10 राजधानियों के मुकाबले पीछे और कीमतों के मामले में आगे है.
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Jaipur News:पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाने में जितनी तेजी दिखाई जाती है. कीमतें घटाने में उतनी ही सुस्ती नजर आती है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने वैट और दाम घटाकर खूब वाहवाही लूटी हैं. लेकिन हकीकत यह है की लेह जैसे दुर्गम इलाके में जयपुर शहर से पेट्रोल दो रूपए सस्ता हैं.
पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने के बाद भी सरकार आमजन को पेट्रोल-डीजल की कीमतों से राहत देने में देश की 10 राजधानियों के मुकाबले पीछे और कीमतों के मामले में आगे है.पेट्रोल और डीजल महंगा बेचने में हम देश की अन्य राजधानियों के मुकाबले नंबर वन हैं और राहत देने में दस नंबर पीछे हैं. राजधानी जयपुर में पेट्रोल 104.88 रूपए प्रतिलीटर और डीजल के दाम 90.36 रूपए प्रतिलीटर हैं. लेकिन क्या आपको पता है लेह जैसे दुर्गम इलाके में जयपुर से पेट्रोल और डीजल दो रूपए सस्ता मिल रहा है.
लेह में पेट्रोल की कीमत 102.36 रूपए प्रतिलीटर और डीजल की कीमत 87.44 रूपए प्रतिलीटर हैं. सरकार की ओर से पेट्रोल- डीजल पर वैट घटाने के बाद जब देश की अन्य राजधानियों में जयपुर के मुकाबले पेट्रोल की कीमतों का आकलन किया तो सामने आया है कि इन सभी की तुलना में जयपुर शहर में सबसे महंगा पेट्रोल बिक रहा है. यहां तक कि लेह जैसे दुर्गम इलाके में भी जयपुर के मुकाबले पेट्रोल 2 रुपए प्रतिलीटर तक सस्ता है.
जानकारी के मुताबिक प्रदेश के लोगों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत देने से पहले वित्त विभाग के अफसरों ने अध्ययन में कमी छोड दी. मुख्यमंत्री ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने के लिए कहा और 2 प्रतिशत वैट कम कर दिया. जबकि कुछ बड़े राज्यों की राजधानियों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों का भी आकलन करना था. ऐसे में वैट घटाने और केन्द्र सरकार की ओर से कीमतों में 2 रुपए तक की कमी करने के बाद भी जयपुर समेत पूरे राज्य में अन्य राज्यों के मुकाबले पेट्रोल-डीजल महंगा मिल रहा है.
राजधानियों में पेट्रोल
राजधानी का नाम::पेट्रोल::डीजल
मुंबई::104.21::92.15
लेह::102.36::87.44
चेन्नई::100.75::92.34
बेंगलूरु::99.84::85.93
श्रीनगर::99.67::84.84
जयपुर::104.88::90.36
नई दिल्ली::94.72::87.62
लखनऊ::94.66::87.76
गांधी नगर::94.66::90.33
चंडीगढ::94.24::82.46
पेट्रोल डीजल के भाव प्रति लीटर में
देश के 10 राज्यों की राजधानी में बिक रहे पेट्रोल की कीमतों का आकलन किया तो पाया कि जयपुर शहर में सबसे महंगा पेट्रोल बिक रहा है.वहीं चंडीगढ़ में सबसे सस्ता बिक रहा है. अहमदाबाद, लखनऊ, दिल्ली, जम्मू, बेंगलूरु में भी पेट्रोल जयपुर के मुकाबले सस्ता है. जानकारी के मुताबिक परिवहन और टोल के कारण यहां कीमतें ज्यादा हैं. लेह जैसे दुर्गम इलाके में पेट्रोल जयपुर शहर के मुकाबले 2 रुपए सस्ता है. जबकि जयपुर शहर में महज 100 किमी दूर जोबनेर से पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति होती है.
दिल्ली समेत देश के सात प्रमुख शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए से नीचे हैं. क्योंकि वहां राजस्थान के मुकाबले वैट की दरें काफी कम हैं. जबकि जयपुर समेत प्रदेश के सभी जिलों में पेट्रोल और डीजल महंगा मिल रहा है. गौरतलब हैं की तेल के दामों को डी-रेग्युलेट करने की शुरुआत 2002 में हुई. जब पहली बार एटीएफ यानी एविएशन टर्बाइन फ्यूल को डी-रेग्युलेट किया. उसके बाद 2010 में पेट्रोल की कीमतों को डी-रेग्युलेट किया गया.
अक्टूबर 2014 में डीजल के दाम को भी बाजार के हवाले कर दिया गया. सरकार का दावा था कि इससे उपभोक्ता को सीधा लाभ मिलेगा. अगर तेल की कीमतें घटेंगी तो आपको सस्ता तेल मिलेगा और बढ़ेंगी तो आपको इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इससे पहले सरकार तेल की कीमतें तय करती थी. लेकिन ऐसा सच में नहीं हुआ. क्योंकि जब क्रूड महंगा हुआ और तेल के दाम बढ़े तो आम लोगों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी. लेकिन जब-जब सस्ता हुआ तो सरकारों ने टैक्स बढ़ाकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया.
यानी क्रूड सस्ता होने का फायदा आम लोगों को नहीं बल्कि सरकारों को हुआ. लेकिन जब तेल फिर महंगा हुआ तो सरकार ने टैक्स नहीं घटाए. इसका नतीजा ये हुआ कि आम लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ता गया. जून 2017 में पेट्रोल और डीजल के लिए डेली प्राइस रिवीजन मैकेनिज्म शुरू किया था. तब से हर दिन सुबह 6 बजे सरकारी तेल कंपनियां भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड फॉरेन एक्सचेंज रेट और इंटरनेशनल बेंचमार्क प्राइस के अनुसार फ्यूल की कीमतों में बदलाव करती हैं.
बहरहाल, सरकार भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करने में अपनी भूमिका से इनकार करती हो. लेकिन बीते सालों में ऐसा देखा गया है कि चुनाव के दौरान सरकार जनता को खुश करने के लिए पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाती है. पिछले सालों का ट्रेंड बता रहा है कि चुनावी मौसम में जनता को पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से राहत मिली है.
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