किस्त ना देने पर वाहन को उठाया, कोर्ट ने बताया गुंडागर्दी, लगाया 70 हजार का जुर्माना
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किस्त ना देने पर वाहन को उठाया, कोर्ट ने बताया गुंडागर्दी, लगाया 70 हजार का जुर्माना

जिले की स्थाई लोक अदालत ने ईसीएस के डिफॉल्ट के चलते लोन की किस्त बकाया होने पर वाहन को आठ दिन तक जबरन कब्जे में रखने पर एयू स्मॉल बैंक पर 70 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने किस्त राशि से ज्यादा वसूली राशि सात फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा है.

किस्त ना देने पर वाहन को उठाया, कोर्ट ने बताया गुंडागर्दी, लगाया 70 हजार का जुर्माना

Jaipur: जिले की स्थाई लोक अदालत ने ईसीएस के डिफॉल्ट के चलते लोन की किस्त बकाया होने पर वाहन को आठ दिन तक जबरन कब्जे में रखने पर एयू स्मॉल बैंक पर 70 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही अदालत ने किस्त राशि से ज्यादा वसूली राशि सात फीसदी ब्याज सहित लौटाने को कहा है. अदालत के अध्यक्ष हरविन्दर सिंह और सदस्य दीपक चाचान ने यह आदेश प्रकाश चन्द सैनी के प्रार्थना पत्र पर दिया.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि केवल एक-एक किस्त बकाया होने पर बलपूर्वक की गई कार्रवाई गुंडागर्दी का ही दूसरा रूप है. जिसके चलते परिवादी को आठ दिनों तक बिना वाहन के रहना पडा. बैंक की ओर से की गई यह कार्रवाई आरबीआई और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की भी अवहेलना है.

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परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने विपक्षी बैंक से चार लाख 85 हजार रुपये का लोन लेकर तीस सितंबर 2014 को चोपहिया वाहन खरीदा था. इस दौरान बैंक ने फरवरी 2017 की एक किस्त पेंडिंग रखी और इसकी जानकारी परिवादी को नहीं दी. वहीं, बैंक ने नौ जनवरी 2019 को परिवादी से जबरन वाहन छीन लिया और 44 हजार रुपए जमा करवाने के बाद ही वाहन छोडा. इसे स्थाई लोक अदालत में चुनौती देते हुए कहा कि नियमानुसार फाइनेंस कंपनी द्वारा वाहन को जब्त करने से पहले परिवादी को 60 दिन का नोटिस देना जरूरी है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पालन में आरबीआई ने भी एक जुलाई 2006 को गाइडलाइन जारी कर फाइनेंंस कंपनियों को वाहनों पर बकाया लोन की किस्तों के संबंध में निर्देश जारी किए थे. उसमें भी वाहन की जब्ती से पहले साठ दिन के नोटिस की बाध्यता थी. ऐसे में विधि विरूद्ध तरीके से वाहन जब्त करने वाले बैंक पर कार्रवाई की जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने बैंक की कार्रवाई को गलत करार देकर उस पर 70 हजार रुपए हर्जाना लगाया और ज्यादा वसूली राशि ब्याज सहित प्रार्थी को देने का निर्देश दिया है.

Reporter- Mahesh Pareek

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