राजमाता गायत्री देवी की वसीयत के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मामले में वादी का दावा खारिज
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राजमाता गायत्री देवी की वसीयत के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मामले में वादी का दावा खारिज

Jaipur News:  जयपुर जिले की एडीजे कोर्ट-3 ने जयपुर की पूर्व राजपरिवार की राजमाता गायत्री देवी की वसीयत के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (प्रोबेट) जारी करने से जुडे मामले में वादी पोते देवराज व पोती लालित्या देवी का दावा खारिज कर दिया है. 

 

राजमाता गायत्री देवी की वसीयत के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मामले में वादी का दावा खारिज

Jaipur: जयपुर जिले की एडीजे कोर्ट-3 ने जयपुर की पूर्व राजपरिवार की राजमाता गायत्री देवी की वसीयत के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (प्रोबेट) जारी करने से जुडे मामले में वादी पोते देवराज व पोती लालित्या देवी का दावा खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने फाइल को दाखिल दफ्तर करने के आदेश दिए हैं. देवराज और लालित्या की ओर से पैरवी करने वाले वकीलों के कोर्ट में नहीं पहुंचने पर अदालत ने इस दावे को खारिज किया है.

दावे में देवराज और लालित्या देवी ने अपनी दादी गायत्री देवी की वसीयत को सही मानते हुए इसके अनुसार ही उन्हें उनकी चल और अचल संपत्तियों में हकदार मानने के लिए उनके पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (प्रोबेट) जारी करने का आग्रह किया है. वहीं इस मामले में पृथ्वीराज सिंह, उनके बेटे विजित सिंह सहित जयसिंह व उर्वशी देवी को भी पक्षकार बना रखा है. 

5 जुलाई को होनी थी बहस

मामले से जुडे अधिवक्ता रामजीलाल गुप्ता ने बताया कि पिछली एक जून को हुई सुनवाई पर वादी के वकील ने कोर्ट से कहा था कि आगामी सुनवाई पर वरिष्ठ अधिवक्ता बहस करेंगे. ऐसे में मामले की सुनवाई पांच जुलाई को रखी जाए. कोर्ट ने वादी के वकील के आग्रह पर बहस के लिए 5 जुलाई को सुबह 11.30 बजे का समय तय किया था, लेकिन दोपहर 12 बजे तक भी देवराज व लालित्या की ओर से पैरवी के लिए कोई वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ. जिस पर प्रतिवादियों के वकील ने कहा कि वादी पक्ष ने खुद ही पैरवी के लिए समय तय किया है और वे खुद ही मौजूद नहीं हैं. इसलिए उनका दावा खारिज किया जाए. 

जिस पर कोर्ट ने देवराज और लालित्या देवी के दावे को खारिज करते हुए उसे दाखिल दफ्तर कर दिया. गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार की राजमाता गायत्री देवी की जुलाई 2009 में मृत्यु के साथ ही उनकी संपत्तियों पर कब्जा और उनके परिवार से जुड़े उत्तराधिकार व संपत्ति, वसीयत और लिलीपूल पर कब्जे के कई विवाद सामने आए थे.

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