Jaipur नगर निगम हेरिटेज में सियासी उबाल, मेयर की कुर्सी पर संकट!
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Jaipur नगर निगम हेरिटेज में सियासी उबाल, मेयर की कुर्सी पर संकट!

नगर निगम हेरिटेज में सियासत उबाल पर है. मेयर का चेहरा बदलने को लेकर पार्षदों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया और निर्दलीय सहित उनकी पार्टी के करीब 35 से ज्यादा पार्षद खिलाफत पर उतर आए हैं. 30 से अधिक पार्षदों ने महापौर बदलने की बात कही है. इसमें अधिकतर निर्दलीय पार्षद शामिल हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: नगर निगम हेरिटेज में सियासत उबाल पर है. मेयर का चेहरा बदलने को लेकर पार्षदों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया और निर्दलीय सहित उनकी पार्टी के करीब 35 से ज्यादा पार्षद खिलाफत पर उतर आए हैं. 30 से अधिक पार्षदों ने महापौर बदलने की बात कही है. इसमें अधिकतर निर्दलीय पार्षद शामिल हैं. मंत्री और विधायक मान रहे हैं नाराजगी हैं, लेकिन मेयर मुनेश गुर्जर ने नाराजगी के सवाल पर कहा की उनसे कोई नाराजगी नही हैं.

निगम हेरिटेज में अल्पसंख्यक को मेयर बनाने का जिन्न फिर बोतल से बाहर आ गया हैं. निगम ग्रेटर के बाद अब हेरिटेज में मेयर की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.आगामी विधानसभा चुनाव में सियासी नुकसान होते देख एक साल पहले मेयर मुनेश गुर्जर के नाम पर सहमत होने वाले विधायक असहमत नजर आ रहे हैं. हैरिटेज नगर निगम में भले ही कांग्रेस का बोर्ड है, लेकिन पहले दिन से ही यहां सियासी दांव चले जा रहे हैं. अब ये सियासी दांव-पेच की आंच महापौर की कुर्सी तक आ गई है. निगम हेरिटेज के करीब 35 से ज्यादा पार्षद महापौर मुनेश गुर्जर के विरोध में उतर आए हैं. 

उन्होने साफ कहा कि महापौर का चेहरा बदला जाए. किसी अल्पसंख्यक को मेयर बनाया जाता है तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता. हालांकि निर्णय पार्टी को करना हैं. हालांकि इस विवाद की शुरूआत कर्बला मैदान में क्रिकेट पिच बनाए जाने से हुई. फिर समितियों के गठन में हो रही देरी भी बड़ी वजह बनी. मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि घर में मनमुटाव होता रहता है. विधायक अमीन कागजी ने उनसे मुलाकात की थी और बताया की पार्षदों में असंतोष है. 

कुछ पार्षदों ने हस्ताक्षर करके लेटर भी दिया है. एक दो दिन में पार्षद दल की बैठक बुलाई जाएगी. उसमें सभी पार्षदों से वन टू वन संवाद किया जाएगा और उसके प्रदेशाध्यक्ष से चर्चा कर मामले को शॉर्टआउट किया जाएगा. विधायक अमीन कागजी का कहना है कि पार्षदों में काम नहीं होने को लेकर असंतोष हैं. समितियों का गठन भी नहीं हो रहा है. कर्बला विवाद मसला नहीं है. जिन निर्दलियों ने बोर्ड बनाने में साथ दिया उनकी सुनवाई नहीं होगी तो नाराजगी जाहिर है. इस मामले से मंत्री प्रतापसिंह को अवगत करा दिया है. पार्षद दल की बैठक में क्या होता है उसके बाद तस्वीर साफ हो जाएगी.

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मेयर का चेहरा बदलने के पीछे बताए जा रहे ये कारण
-सिविल लाइन, हवामहल, किशनपोल, आदर्श नगर में करीब 4 लाख मुस्लिम वोटर्स
-किशनपोल, आदर्श नगर और हवामहल विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. हार-जीत तय करते हैं.
-जब महापौर के नाम की घोषणा हुई थी. उस समय कई मुस्लिम संगठनों ने मुस्लिम पार्षद को महापौर बनाने की मांग की थी.
-उस समय मौजूदा तीन विधायकों को डर था कि कहीं महापौर विधानसभा चुनाव में किसी एक विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग न कर दे. इस वजह से समर्थन नहीं किया.
-अब एक साल बाद सरकार चुनावी मोड में जाएगी. .जो महापौर बनेगा, वो टिकट की मांग नहीं करेंगा क्योंकि उनको बने हुए भी एक साल ही हो पाएगा.
- ऐसे में जो नाराजगी बोर्ड गठन और कर्बला मैदान प्रकरण के दौरान उपजी थी, उसको रोक लिया जाएगा.

ये नगर निगम हैरिटेज बोर्ड का गणित
- हेरिटेज निगम में कुल 100 पार्षद
- कांग्रेस के 47 पार्षद है, जबकि 9 निर्दलीय पार्षद- कुल 56
- कांग्रेस ने 56 सदस्यों के साथ निगम में अपना बोर्ड बना रखा
- भाजपा के जीते हुए 42 पार्षद और 2 निर्दलीय भाजपा समर्थित-कुल 44
- हेरिटेज निगम में मुस्लिम पार्षदों की कुल संख्या-31
- हेरिटेज निगम में कांग्रेस मुस्लिम पार्षदों की संख्या-22
- हेरिटेज निगम में निर्दलीय मुस्लिम कांग्रेस समर्थित पार्षदों की संख्या- 8
- हेरिटेज निगम में भाजपा मुस्लिम पार्षद की संख्या -1

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मेयर का ये है कहना...
उधर इस मसले पर हेरिटेज नगर निगम मेयर मुनेश गुर्जर का कहना हैं कि पार्षदों की उनसे कोई नाराजगी नही हैं. जब-जब वो समस्या लेकर आए हैं उनकी बात को सुना है. निर्दलीय पार्षद जब धरने पर बैठे थे उन्होंने तब भी कहा था कि मेयर से उनको कोई शिकायत नही हैं. आपस के लोग हैं. मिल बैठकर मामले का सुलझा लेंगे. मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, महेश जोशी और विधायक अमीन कागजी से मिलकर यथावस्तुस्थिति से अवगत करवा दिया है. निर्णय पार्टी को लेना है, लेकिन इतना जरूर है कि चेयरमैन नहीं बनने से पार्षद नाराज हैं. लेकिन सरकार को चेयरमैन बनाने हैं वो मेरे हाथ में नही है. उधर कांग्रेस और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय पार्षदों का कहना हैं कि जो शहरी सरकार की मुखिया है वो काम नहीं करती तो फिर हमारी सुनवाई कौन करेगा? मेयर का चेहरा बदलना चाहिए. नगर निगम में कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय मुस्लिमों पार्षदों की संख्या 31 हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा जीते हुए मुस्लिम पार्षद हैं तो फिर मेयर का चेहरा भी मुस्लिम होना चाहिए.

बहरहाल, नगर निगम हेरिटेज सियायत का अखाड़ा बन चुका हैं. पर्दे के पीछे की कहानी विधायकों में आपसी खींचतान हैं. हालांकि दो साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव लाया जा नहीं सकता है और यदि मेयर का इस्तीफा लिया जाता है तोसरकार की किरकिरी होना तय है. यदि इस्तीफा लेकर मेयर का चुनाव करवाया जाता है तो भाजपा इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोडेगी.

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