Rajasthan में BJP-कांग्रेस सरकारों में चला निलंबन का सिलसिला, गरमाती रही सियासत
Advertisement

Rajasthan में BJP-कांग्रेस सरकारों में चला निलंबन का सिलसिला, गरमाती रही सियासत

Rajasthan Politics: सरकारों ने खुद की पार्टी के जनप्रतिनिधि पर गाज तब गिराई गई, जब या तो वे ट्रेप हुए या कोर्ट के आदेश हुए. दोनों सरकारों में यही सिलसिला चला.

बीजेपी-कांग्रेस दोनों सरकारों में चला निलंबन का सिलसिला. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Jaipur: प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की. दोनों ही सरकारों में निकायों में उथल-पुथल मचता रहा हैं. पहली बार ऐसा नहीं हुआ कि नगर निगम ग्रेटर में जनप्रतिनिधियों को निलंबित किया हो, इससे पहले भी सरकारों में जनप्रतिनिधियों पर गाज गिरी हैं. हालांकि, इनमें सबसे ज्यादा सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार में अधिकतर विपक्ष के जनप्रतिनिधि पद के दुरुपयोग के मामले में निशाने बने.

दरअसल, शहरी सरकार (ग्रेटर नगर निगम जयपुर) में मचे सियासी बवाल के बीच सामने आया है कि भाजपा और मौजूदा कांग्रेस दोनों सरकारों में प्रदेश के निकायों में उथल-पुथल मचता रहा है. पिछली भाजपा सरकार (1 जनवरी 2015 से दिसंबर 2018 के बीच) में निकायों के 16 अध्यक्ष, सभापति, प्रतिनिधि निलंबित किए. जबकि मौजूदा कांग्रेस सरकार के ढाई साल के शासन में 17 जनप्रतिनिधियों पर गाज गिर चुकी है.

ये भी पढ़ें-आजाद भारत में पहली बार दिव्यांगजनों को सत्ता में भागीदारी, Rajasthan के 33 निकायों में पार्षद नियुक्त

 

इनमें से 16 जनप्रतिनिधि भाजपा के हैं और एक कांग्रेस का. इनमें एक महापौर, नगर परिषदों के पांच सभापति व एक उप सभापति, नगरपालिकाओं के चार अध्यक्ष और चार पार्षद शामिल हैं. जबकि भाजपा के शासन में निलंबित सोलह जनप्रतिनिधि में से 11 कांग्रेस के थे. इनमें नगरपालिकाओं के 6 अध्यक्ष, नगर परिषद के 2 सभापति, एक उप सभापति और दो पार्षद शामिल हैं. हालांकि, अभी अलवर के मामले में सरकार जांच प्रक्रिया में ही अटकी है.

खास यह है कि सरकारों ने खुद की पार्टी के जनप्रतिनिधि पर गाज तब गिराई गई, जब या तो वे ट्रेप हुए या कोर्ट के आदेश हुए. दोनों सरकारों में यही सिलसिला चला. कांग्रेस सरकार में एक पार्षद (कांग्रेसी) को ट्रेप के प्रकरण के कारण निलंबित करना पड़ा. इसी तरह भाजपा राज में 3 जनप्रतिनिधि (भाजपा के) निलंबित हुए. इन पर भी ट्रेप के प्रकरणों में फंसने के कारण कार्रवाई की गई. इनमें एक सभापति, एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष है.

ये भी पढ़ें-मंत्रिमंडल फेरबदल से पहले CM Gehlot ने मांगा मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड, जानिए किसकी होगी छुट्टी

 

बहरहाल, कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों की सरकारों ने खुद अपनी पार्टी के जनप्रतिनिधि पर तब गाज गिराई जब वो ट्रैप हुए या कोर्ट के आदेश हुए. कांग्रेस ने एक पार्षद को ट्रैप होने के बाद निलंबित किया. वहीं, बीजेपी ने एक सभापति एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष पर कार्रवाई की. हालांकि, कुछ मामलों में सरकार अभी भी जांच प्रक्रिया में अटकी हुई है. लेकिन ग्रेटर नगर निगम में न्यायिक जांच से पहले ही महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित करने की कार्रवाई सूबे में चर्चा का विषय बना हुआ हैं.

Trending news