Rajasthan : सीपी जोशी ने पढ़ा मोदी का संदेश, न्यायापालिका को दायरे में रहने की नसीहत दी
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Rajasthan : सीपी जोशी ने पढ़ा मोदी का संदेश, न्यायापालिका को दायरे में रहने की नसीहत दी

Rajasthan News : राजस्थान के जयपुर में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में पीएम मोदी का संदेश विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने पढ़कर सुनाया. सीपी जोशी के अलावा ओम बिरला, अशोक गहलोत और जगदीप धनकड़ ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.

Rajasthan : सीपी जोशी ने पढ़ा मोदी का संदेश, न्यायापालिका को दायरे में रहने की नसीहत दी

Rajasthan News : जयपुर में बुधवार को 83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन की शुरूआत हुई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर चिंता जताई और इसे सुधारने की अपील की तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी न्यायपालिका को संवैधानिक मर्यादा के भीतर रहने की नसीहत दे डाली।

भारत को मदर ऑफ डेमोक्रेसी- जगदीप धनकड़

अपने उद्घाटन भाषण में उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भारत को मदर ऑफ डेमोक्रेसी' के रूप में वर्णित किया। इस बात पर जोर दिया कि लोकतंत्र का सार लोगों के जनादेश की व्यापकता और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने में निहित है। धनखड़ ने संसद और विधानसभाओं में व्यवधान की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रतिनिधियों से लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के प्रति सचेत रहने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन इन मुद्दों को तत्काल हल करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेगा।

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र तब कायम रहता है और फलता-फूलता है जब विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका लोगों की आकांक्षाओं को साकार करने के लिए मिलकर काम करती हैं।

सीपी जोशी ने पढ़ा पीएम मोदी का संदेश

इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सन्देश भी पढ़ा। अपने मैसेज में पीएम मोदी कहा कि समय के साथ बदलते विश्व के अनुरूप देश प्रगति की राह पर अग्रसर है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि हमारी विधायिकाएं लोगों के हितों की रक्षा के लिए अपनी कार्यप्रणाली में आधुनिक बदलावों के साथ देश की प्रगति में और मजबूती से आगे बढ़ेंगी ।

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संस्थाओं में लोगों का घट रहा विश्वास

इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी निकायों में लोगों के घटते विश्वास के बारे में चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आम जनमानस में विधायिकाओं एवं जनप्रतिनिधियों के बारे में प्रश्न चिन्ह है। हमें इस प्रश्न चिन्ह को भी सुलझाना है और विधान मंडलों की इमेज और प्रोडक्टिविटी को और बेहतर बनाना है।उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पीठासीन अधिकारियों की जिम्मेदारी है की विधान मंडलों में जनप्रतिनिधियों के जरिये नागरिकों की आशाओं, अपेक्षाओं को पूरा किया जाए। बिरला ने कहा कि विधायी संस्थाएं युवाओं और महिलाओं को अपनी प्रक्रियाओं से जोड़ें।

ओम बिरला ने दी न्यायपालिका को नसीहत

इसके साथ ही लोकसभा स्पीकर बिरला ने विधायिका और न्यायपालिका के बीच सम्बन्ध पर अपनी बात कहते हुए न्यायपालिका को हिदायत भी दी। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को संवैधानिक मर्यादा के भीतर रहना चाहिए। बिरला ने कहा कि हमारे देश में विधान मंडलों ने न्यायपालिका की शक्तियों और अधिकारों का सदैव सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका- तीनों ही अपनी शक्तियां तथा क्षेत्राधिकार संविधान से प्राप्त करते हैं और तीनों को एक दूसरे का और क्षेत्राधिकार का ध्यान रखते हुए आपसी सामंजस्य, विश्वास और सौहार्द के साथ कार्य करना चाहिए।

अशोक गहलोत बोले- मर्यादा बनाना सबकी जिम्मेदारी

उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाषण में कहा कि आजादी के 75 वर्षों में देश ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत किया है और कई अन्य देशों की तुलना में भारत ने संसदीय प्रणाली को दिशा प्रदान करने वाली प्रणाली को मजबूत किया है। गहलोत ने संसदीय लोकतंत्र को देश का सौभाग्य बताते हुए कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों विधायिका के अभिन्न अंग हैं और दोनों पक्षों के बीच आपसी सामंजस्य से एक मजबूत परंपरा स्थापित होती है, जिससे विधायी कार्यों का प्रभावी निर्वहन होता है। गहलोत ने कहा कि सदन की मर्यादा और गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने न्यायपालिका और विधायिका के संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों अंगों का एक साथ काम करना जरूरी है।

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अपने स्वागत भाषण में राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी ने कहा कि अमृत काल में लोकतंत्र के सभी अंगो में विधायिका का विशेष महत्त्व है। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करना विधायिका की पहली ज़िम्मेदरी है। विधायी संस्थानों की वित्तीय स्वायत्ता पर बोलते हुए सीपी जोशी ने कहा कि, वित्तीय स्वायत्ता के अभाव में विधायिका अपने दायित्वों के निर्वहन में असक्षम रह जाती है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है।

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