Rajasthan Chunav 2023 : EVM में कैद जयपुर के 199 प्रत्याशियों का भाग्य, 3 दिसंबर तक मशीनों की डबल लॉक में हो रही पहरेदारी
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Rajasthan Chunav 2023 : EVM में कैद जयपुर के 199 प्रत्याशियों का भाग्य, 3 दिसंबर तक मशीनों की डबल लॉक में हो रही पहरेदारी

Rajasthan Chunav 2023 : जयपुर के 19 विधानसभा सीट के 199 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है और EVM को राजस्थान कॉलेज व कॉमर्स कॉलेज में बनाए गए स्ट्रांग रूम में तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बीच रखा गया है.

Rajasthan Chunav 2023 : EVM में कैद जयपुर के 199 प्रत्याशियों का भाग्य, 3 दिसंबर तक मशीनों की डबल लॉक में हो रही पहरेदारी

Rajasthan Vidhansabha Chunav 2023 : जयपुर के 19 विधानसभा सीट के 199 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है और EVM को राजस्थान कॉलेज व कॉमर्स कॉलेज में बनाए गए स्ट्रांग रूम में तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के बीच रखा गया है. कॉमर्स कॉलेज और राजस्थान कॉलेज परिसर को पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. दोनों परिसरों में अनुमत लोगों के अलावा अन्य किसी भी तरह के व्यक्ति का प्रवेश पूरी तरह से निषेध है.

 जयपुर के 19 विधानसभा सीट के 199 प्रत्याशियों का भाग्य कैद

सुरक्षा घेरे के पहले स्तर में आईटीबीपी के सशस्त्र जवान तैनात किए गए हैं. वहीं दूसरे स्तर में सीआईएसएफ और क्विक रिस्पांस टीम के सशस्त्र जवानों को तैनात किया गया है. वहीं तीसरे स्तर में आइटीबीपी, सीआईएसएफ और पुलिस के सशस्त्र जवान शामिल है.

वहीं सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से भी लगातार स्ट्रांग रूम पर निगरानी रखी जा रही है और सुरक्षा कर्मियों के साथ जिला निर्वाचन टीम के अधिकारी व कर्मचारी भी मॉनिटरिंग में तैनात हैं.

 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे 

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो चुकी है और 3 दिसंबर को नतीजे भी आ जाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वोटिंग के बाद काउंटिंग तक ईवीएम कहां रखा जाता है. इसकी सुरक्षा कैसे की जाती है. ईवीएम (EVM) की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसके हवाले होती है. क्या इसकी सुरक्षा में कोई सेंध लगा सकता है.

चुनाव आयोग ईवीएम की सुरक्षा के लिए कैसी व्यवस्था करता है. वोटिंग के बाद ईवीएम ( EVM) को काउंटिंग तक कैसे सेफ रखा जाता है और इसको लेकर चुनाव आयोग के क्या नियम हैं.

ईवीएम की सुरक्षा कैसे की जाती (How are EVMs  Protected) 

चुनाव में वोटिंग के बाद ईवीएम और वीवीपीएटी (EVM vvpat) मशीनों को विशेष सुरक्षा में एक विशेष कमरे में पहुंचाया जाता है. जिसे स्ट्रॉन्ग रूम कहते हैं. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के विशेष इंतजाम होते हैं. चुनाव आयोग खुद स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी करता है. स्ट्रॉन्ग रूम को कहीं भी नहीं बनाया जा सकता है. इसके लिए सिर्फ सरकारी बिल्डिंग का ही चयन किया जाता है. रिटर्निंग ऑफिसर सभी राजनीतिक दलों को स्ट्रॉन्ग रूम की जानकारी देता है. स्ट्रॉन्ग रूम के चयन के नियम- स्ट्रॉन्ग रूम को लेकर चुनाव आयोग ने कई नियम बनाए हैं. इस नियमों के मुताबिक ही स्ट्रॉन्ग रूम बनाए जा सकते हैं. 

ऐसे स्थानों पर नहीं होता स्ट्रॉन्ग रूम 

स्ट्रॉन्ग रूम ऐसी जगह बनाया जाता या ऐसी जगह रखा जाता है, जहां बाढ़ या पानी आने का खतरा ना हो. बेसमेंट, किचन या कैंटीन के नीचे, वाटर टैंक के पास भी स्ट्रॉन्ग रूम नहीं रखे जा सकते. स्ट्रॉन्ग रूम का चुनाव करते वक्त इस बात की सावधानी रखी जाती है इसे किसी सीढ़ी या बिल्डिंग के किसी निचले हिस्से के पास भी नहीं रखा जाता . स्ट्रॉन्ग रूम के पास विस्फोटक (explosives)  नहीं होना चाहिए, जहां आग लगने का खतरा हो उस स्थान को भी नहीं रख सकते . केमिकल के इस्तेमाल वाली जगहों पर भी स्ट्रॉन्ग रूम नहीं हो सकता. इसके आसपास इलेक्ट्रिक ड्रिल के इस्तेमाल पर पूरी तरह से बैन होता है.

स्ट्रॉन्ग रूम ​के कमरों को डबल लॉक से सील किया जाता

स्ट्रॉन्ग रूम को सील करने का नियम भी बेहद रोचक और चुनाव आयोग के नियम को फॉलो किया जाता है. सबसे पहले ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखने के बाद उसे सील किया जाता है. इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं. स्ट्रॉन्ग रूम को सील करते वक्त राजनीतिक दलों के सदस्य मौजूद रहते हैं.

राजनीतिक दलों के सदस्य मौजूद रहते

चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर की मौजूदगी में कमरों को डबल लॉक से सील किया जाता है. राजनीतिक दलों के सदस्य ताले पर अपनी सील भी लगा सकते हैं. हालांकि इसके लिए राजनीतिक दलों को पहले से लिखित आवेदन देना होता है. स्ट्रॉन्ग रूम की खिड़कियों और दूसरे दरवाजों को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है. स्ट्रॉन्ग रूम के इकलौते इंट्री प्वाइंट पर डबल लॉक होता है. जिसकी एक चाबी रिटर्निंग ऑफिसर और दूसरी असिस्टेंट ऑफिसर के पास होती है.

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 थ्री-लेयर सुरक्षा का इंतजाम 

स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के विशेष इंतजाम- EVM और VVPAT मशीनों को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. चुनाव आयोग स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए थ्री-लेयर सुरक्षा का इंतजाम करता है. इसकी सुरक्षा पूरी तरह से चुनाव आयोग की निगरानी में होती है. चलिए आपको बताते हैं कि स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा कैसे होती है और इससे जुड़े नियम क्या हैं.

24 घंटे सीसीटीवी कैमरे से स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी

24 घंटे सीसीटीवी कैमरे से स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी होती है. स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा की जिम्मेदारी डीसी और एसपी की होती है. सिक्योरिटी मैनेजमेंट और निगरानी के लिए पुलिस ऑफिसर के साथ एक गैजेटेड ऑफिसर जरूर होना चाहिए.पहले घेरे में सीपीएमएफ स्ट्रॉन्ग रूम के अंदरूनी हिस्से की सुरक्षा के लिए होती है. दूसरे घेरे में स्ट्रॉन्ग रूम के बाहरी हिस्से की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सुरक्षा बलों की होती है.

सुरक्षाकर्मी हथियारों से लैस कमांडो होते हैं. तीसरा घेरा स्थानीय पुलिस और दूसरे स्थानीय सुरक्षा बलों का होत है. जिनके जिम्मे बिल्डिंग के आसपास गलियों और सड़कों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है. इसके बाद गिनती के दिन ईवीएम को काउंटिंग हॉल तक ले जाया जाता है. वोटों की गिनती सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में होती है.

 

 

 

 

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