Rajasthan News: पूर्व CM गहलोत ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को बताया पॉलिटिकल इवेंट, दिए ये तर्क...
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Rajasthan News: पूर्व CM गहलोत ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को बताया पॉलिटिकल इवेंट, दिए ये तर्क...

Rajasthan News: राम मंदिर कार्यक्रम को लेकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि यह कोई धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक इवेंट था. वहीं,  कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले को भी उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक कदम बताया. 

Rajasthan News: पूर्व CM गहलोत ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को बताया पॉलिटिकल इवेंट, दिए ये तर्क...

Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने राम मंदिर के कार्यक्रम में कांग्रेस नेताओं के न शामिल होने के सवाल पर कहा कि यह भी रहस्य है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में न ही जेपी नड्डा थे, न गृहमंत्री थे और न ही राजनाथ सिंह थे, जबकि वह तो यूपी के ही हैं. ऐसे में उनके जो बड़े नेता थे वह क्यों नहीं गए? उनकी खुद की पार्टी के नेता क्यों नहीं गए? उन्होंने आगे कहा कि इसका मतलब है कि जो तरीका अपनाया गया है वो सही नहीं था. ऐसे में क्यों नहीं गए? खड़गे या सोनिया गांधी यह तो बातें, तो खुद ही समाप्त हो जाती है, जब यह भाजपा के बड़े नेता खुद ही नहीं गए. 

राम मंदिर के कार्यक्रम को बताया राजनीतिक इवेंट
यह कार्यक्रम एक राजनीतिक इवेंट के रूप में था. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी तरीके से सांस्कृतिक और धार्मिक तरीके से संपन्न हो सकता था, जिसमें चारो शंकराचार्य भी शामिल होते, तो प्रधानमंत्री और सरकार की ही नहीं बल्कि देश की शोभा बढ़ती. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में सबसे सर्वोच्च धर्माचार्य शंकराचार्य होते हैं, जिन्हें इग्नोर करके कार्यक्रम किया गया. मैनेजमेंट से प्रोग्राम किया और उनके खिलाफ कई लोगों को बुलवाया गया जो अच्छी परंपरा नहीं है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के दौरान जो भाषण हुए, वह बहुत खतरनाक भाषण थे. उन भाषणों से देश भर के बुद्धिजीवी, लेखक, पत्रकार जो समझदार हैं वह चिंतित हुए हैं कि यह भाषण देश को किस दिशा में लेकर जाएंगे, यह चिंता हम सबको करनी चाहिए. 

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने पर बोले गहलोत 
गहलोत ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर बहुत महान नेता थे. मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने क्रांतिकारी फैसले किए. हम उन सब उनका सम्मान करते हैं, लेकिन चुनाव के 3 महीने पहले प्रधानमंत्री ने यह निर्णय लिया, जबकि मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने थे, उस समय भी दे सकते थे. उन्होंने कहा कि 10 साल बाद जब चुनाव का मौका है तब फैसला किया है, तो आप समझ सकते हो कि इसमें राजनीतिक दृष्टिकोण भी है. 

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