राजस्थान सरकार ने निकायों से मांगी नए पेट्रोल पंपों की जानकारी, 10 दिन में देनी होगी सूचना
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राजस्थान सरकार ने निकायों से मांगी नए पेट्रोल पंपों की जानकारी, 10 दिन में देनी होगी सूचना

राज्य सरकार ने सभी शहरी निकायों से ऐसे मामलों की विस्तृत जानकारी मांगी है. पिछले दिनों प्रमुख सचिव नगरीय विकास की अध्यक्षता में हुई स्टेट लैंड यूज चेंज कमेटी की बैठक में इस पर मंथन हुआ था. 

राजस्थान सरकार ने निकायों से मांगी नए पेट्रोल पंपों की जानकारी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Jaipur: राज्य में स्कूल और 10 बेड से अधिक वाले अस्पतालों के 50 मीटर दायरे में नया पेट्रोल पम्प लगाने की अनुमति नहीं देने के आदेश से खुद सरकार भी संशय में है. राज्य सरकार ने सभी शहरी निकायों से ऐसे मामलों की विस्तृत जानकारी मांगी है. पिछले दिनों प्रमुख सचिव नगरीय विकास की अध्यक्षता में हुई स्टेट लैंड यूज चेंज कमेटी की बैठक में इस पर मंथन हुआ था. 

गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के पालन में राज्य सरकार ने स्कूल अस्पताल के 50 मीटर के दायरे में पेट्रोल पंप की अनुमति नहीं देने का आदेश जारी किया था. उसके बाद  पेट्रोल पंप संचालकों को परेशानी से बचाने के लिए कमेटी ने निकायों से जानकारी मांगी. 

वरिष्ठ नगर नियोजक की टिप्पणी के साथ जानकारी
नगर निकायों से पेट्रोलियम कंपनी की ओर से जारी अनुमोदित मानचित्र में प्रस्तावित पेट्रोल पंप पर स्थापित वेंट पॉइंट, फिल प्वाइंट, डिस्पेंसिंग यूनिट व स्टोरेज टैंक की स्थिति का स्पष्ट अंकन करते हुए संबंधित वरिष्ठ नगर नियोजक की स्पष्ट टिप्पणी मांगी है. 

ये भी मांगी जानकारियां
प्रस्तावित पेट्रोल पंप के लिए भूमि पर लगाए जाने वाले वेंट पॉइंट, फिल प्वाइंट, डिस्पेंसिंग यूनिट और स्टोरेज टैंक, इनमें से जो भी नजदीक हो, वहां से 50 मीटर की परिधि में मौके की स्थिति की सर्वे रिपोर्ट.
सर्वे रिपोर्ट पर संबंधित निकाय के आयुक्त या अधिशासी अधिकारी, संबंधित वरिष्ठ नगर नियोजक या उनके प्रतिनिधि और आवेदक अथवा भूमि मालिक के हस्ताक्षर होने चाहिए.
इससे पता चल सकेगा कि 50 मीटर के दायरे में मौके की स्थिति क्या है.

फिर कमेटी तय करेगी मापदंड की कसौटी
नगर नियोजन विभाग की ओर से यह समस्त जानकारी भिजवाने के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास, नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं के आयुक्त व अधिशासी अधिकारियों को पत्र भेजा गया है. यह जानकारी निकायों से 10 दिन में भेजनी होगी. इस जानकारी के आधार पर स्टेट लैंड यूज चेंज कमेटी यह फैसला कर सकेगी कि कौन से लंबित प्रकरण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मापदंड पर खरे उतरते हैं.

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