Rajasthan News: सूटेबल की परिभाषा क्या ? RPSC की चयन प्रक्रिया पर खड़े हुए सवाल

Rajasthan News: पिछले 5 साल से प्रक्रियाधीन रही पशु चिकित्सा अधिकारी की भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी होने के बाद विवाद बढ़ गया है आरपीएससी ने एससी-एसटी कोटे के अभ्यर्थी उपलब्ध होते हुए भी 102 पद रिक्त छोड़ दिए हैं. आरपीएससी का तर्क है कि उपयुक्त अभ्यर्थी नहीं मिले, लेकिन भर्ती विज्ञापन में कहीं भी उपयुक्त अभ्यर्थी की परिभाषा तय नहीं की गई थी. ऐसे में 100 से अधिक बेरोजगार अभ्यर्थी परेशान हो रहे हैं.

Rajasthan News: सूटेबल की परिभाषा क्या ? RPSC की चयन प्रक्रिया पर खड़े हुए सवाल

Rajasthan News: राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2019 में पशु चिकित्सा अधिकारियों की 900 पदों के लिए जो भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. वह न्यायिक प्रक्रिया में उलझने के चलते 5 साल तक अटकी रही. अब जब आरपीएससी ने जो परिणाम जारी किया है, वह भी विवादों की वजह बन गया है. विवाद की वजह है कि उत्तीर्ण श्रेणी में अभ्यर्थी होने के बावजूद उन्हें उपयुक्त नहीं मानना. 

न्यूनतम उत्तीर्णांक नहीं होने से 102 पद रिक्त छोड़े
भर्ती के विज्ञापन में एससी के 173 और एसटी के 138 पद आरक्षित थे, लेकिन इनमें से एससी के 39 और एसटी के 63 पदों को रिक्त छोड़ दिया गया है. वहीं, एमबीसी के 40 पद थे, जिनमें से 20 पदों को सामान्य वर्ग से भरा गया है. ईडब्ल्यूएस के 81 पद थे, जिनमें से 21 पदों को सामान्य वर्ग से भरा गया है. वहीं दिव्यांगजन के 22 पदों में से मात्र 1 अभ्यर्थी का ही चयन किया गया है. दिव्यांगजन के 21 पदों को सामान्य वर्ग से भर लिया गया है. आरक्षित पदों को सामान्य वर्ग से भरे जाने के पीछे आरपीएससी ने न्यूनतम उत्तीर्णांक प्राप्त अभ्यर्थी नहीं होने का हवाला दिया है, जबकि पूरे भर्ती विज्ञापन में कहीं भी न्यूनतम उत्तीर्णांक स्पष्ट नहीं दिए गए हैं. 

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इसलिए हो रहा है भर्ती के परिणाम पर विवाद
आरपीएससी ने भर्ती विज्ञापन में यह साफ नहीं किया कि न्यूनतम अंकों की कोई सीमा होगी. विज्ञापन के बिन्दु संख्या 2 में लिखा था कि OBC, MBC और EWS के पद भरे जा सकेंगे. पात्र एवं उपयुक्त अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने पर पदों को नियमानुसार सामान्य प्रक्रिया से भरा जाएगा. इस आधार पर RPSC ने MBC के 20 और EWS के 21 पदों को सामान्य वर्ग से भर लिया, जबकि भर्ती विज्ञापन में सामान्य प्रक्रिया से भरे जाने का लिखा था, सामान्य वर्ग से नहीं. विज्ञापन में MBC, SC, ST, EWS के लिए न्यूनतम अंक प्राप्त करने की कोई सीमा तय नहीं की थी. सामान्य प्रक्रिया के अनुसार अंतिम मैरिट तक पद भरे जाने चाहिए थे. राजस्थान पशुपालन सेवा नियम 1963 में चयन में न्यूनतम अंकों की सीमा का उल्लेख नहीं था. लिखित परीक्षा में निगेटिव मार्किंग थी, लेकिन न्यूनतम अंकों की सीमा विज्ञापन में नहीं दी. 

मंत्री बेढम ने आरपीएससी से मांगा स्पष्टीकरण 
भर्ती परीक्षा के परिणाम को लेकर राज्य सरकार के गृह एवं पशुपालन राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम ने भी नाराजगी जताई है. बेढम ने आरपीएससी को पत्र लिखकर भर्ती परीक्षा में एमबीसी के 20 पदों को सामान्य वर्ग से भरे जाने पर लिखा है कि भर्ती के विज्ञापन में कहीं भी न्यूनतम 50 प्रतिशत योग्यता का उल्लेख नहीं था, जबकि एमबीसी के 20 पदों को न्यूनतम उत्तीर्णांक नहीं होने पर सामान्य वर्ग से भर लिया गया है. मंत्री ने इस मामले में आरपीएससी से स्पष्टीकरण मांगा है.

अभ्यर्थियों ने ज्ञापन सौंप की कार्रवाई की मांग
आश्चर्यजनक यह भी है कि जो अभ्यर्थी पशुपालन विभाग में पहले से अर्जेंट टैम्पररी बेसिस पर संविदा के तौर पर पशु चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्य कर रहे हैं, उन्हें आरपीएससी ने उपयुक्त नहीं माना है. एससी-एसटी कोटे के 102 पद रिक्त छोड़े जाने से नाराज अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा, मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीना और जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी को ज्ञापन दिया है, जिस पर मंत्रियों ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है. हालांकि इस पूरे मामले में बड़ा सवाल यही है कि जब आरपीएससी ने न्यूनतम उत्तीर्णांक का क्राईटेरिया तय किया है, तो उसकी जानकारी अभ्यर्थियों को क्यों नहीं थी. 

रिपोर्टर- काशीराम चौधरी

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