SC के आदेशों को नहीं मानते Rajasthan के निजी स्कूल! फीस में की मनमानी बढ़ोतरी
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SC के आदेशों को नहीं मानते Rajasthan के निजी स्कूल! फीस में की मनमानी बढ़ोतरी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विस्तृत विवरण करते हुए एडवोकेट अमित छंगानी का कहना है कि "सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो आदेश दिया गया है, वह साफ तौर पर निर्धारित करता है कि फीस एक्ट 2016 के अनुपालन के बिना निजी स्कूल फीस वसूल नहीं कर पाएंगे. 

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से फीस पर फसाद (Fees Dispute) जारी है. फीस के मामले को लेकर प्रदेश के निजी स्कूल और अभिभावक आमने-सामने हैं. फीस पर फसाद के पहले पार्ट में ZEE Rajasthan ने बात की थी निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को फीस को लेकर प्रताड़ित करने की. 

इसके साथ ही मार्कशीट और TC को लेकर किस प्रकार प्रताड़ित किया जा रहा है. आज फीस पर फसाद के दूसरे हिस्से में ZEE Rajasthan बात करेगा उन निजी स्कूलों की, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए फीस में मनचाही बढ़ोतरी की है.

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कोरोना महामारी (Corona pandemic) के बीच लोगों के आर्थिक हालात बद से बदतर हुए हैं. अगर देशव्यापी सर्वे की बात की जाए तो पिछले डेढ़ साल में करीब डेढ़ 3 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं, जिसके चलते अब अभिभावक द्वारा अपने बच्चों की फीस जमा करवाने के लाले पड़ गए हैं. तो वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों द्वारा फीस में लगातार बढ़ोतरी की शिकायत बढ़ती ही जा रही है. पिछले दिनों राजधानी जयपुर (Jaipur) की जयश्री पेड़ीवाल (Jayshree Periwal School) की ओर से इस सत्र में करीब 29 फ़ीसदी तक फीस में बढ़ोतरी की शिकायत मिली. तो वहीं, एमपीएस की सभी ब्रांच द्वारा भी करीब 10 से 15 फीसदी तक फीस में बढ़ोतरी की गई, जिसके खिलाफ अभिभावकों का प्रदर्शन देखने को मिला था.

कोरोना काल में निजी स्कूलों की मनमानी परवान पर

  • प्रदेश की कभी करीब सभी निजी स्कूलों ने फीस में की बढ़ोतरी
  • जयश्री पेड़ीवाल स्कूल ने करीब 29 फ़ीसदी तक फीस में की बढ़ोतरी
  • तो एमपीएस स्कूल में भी करीब 10 से 15 फीट जी तक बढ़ाई अपनी फीस
  • माहेश्वरी स्कूल ग्रुप (सभी स्कूल), सोफिया स्कूल, जयश्री पेड़ीवाल
  • सेंट एंसलाम स्कूल (सभी ब्रांच), सेंट पोल स्कूल, सीडलिंग स्कूल
  • हनुजय पब्लिक स्कूल कालवाड़ रोड़, मयूरा स्कूल नायला हाउस सहित
  • करीब सभी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर दबाव बनाने की मिल रही शिकायतें

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अगर बात की जाए तो फीस एक्ट 2016 (Fees Act 2016) और फीस कमेटी की सिफारिशों के अनुसार स्कूल 85 फीसदी फीस वसूलने की हकदार हैं लेकिन प्रदेश के नामी बड़ी स्कूलों द्वारा इस आदेश का गलत उपयोग करते हुए मनचाहे रूप से फीस बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए हैं तो वहीं फीस वसूली के लिए भी अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश में साफ तौर पर कहा है कि फीस एक्ट 2016 और फीस कमेटी की सिफारिशों के बिना ना तो निजी स्कूलों द्वारा फीस में बढ़ोतरी की जाएगी और ना ही 85 फीसदी फीस वसूली जाएगी. 

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एडवोकेट अमित छंगानी ने दिया विस्तृत विवरण 
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विस्तृत विवरण करते हुए एडवोकेट अमित छंगानी का कहना है कि "सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो आदेश दिया गया है, वह साफ तौर पर निर्धारित करता है कि फीस एक्ट 2016 के अनुपालन के बिना निजी स्कूल फीस वसूल नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही फीस में भी किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की जाएगी लेकिन निजी स्कूलों द्वारा पहले फीस में बढ़ोतरी की जा रही है और उसके बाद बढ़ी हुई फीस से 10 से 15 फीसदी की छूट दी जा रही है जो पूरी तरीके से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है.

स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावक संगठन सक्रिय 
निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ प्रदेश के कई अभिभावक संगठन सक्रिय हैं और इन संगठनों द्वारा आए दिन सड़कों पर निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ आंदोलन भी देखने को मिल रहे हैं. संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल का कहना है कि "जब से सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है तब से निजी स्कूलों की मनमानी बहुत ज्यादा बढ़ गई है. निजी स्कूलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की जा रही है. मनचाही फीस की वसूली के लिए निजी स्कूलों द्वारा लगातार अभिभावकों पर दबाव बनाया जा रहा है तो वही बच्चों को भी ऑनलाइन क्लास से बाहर किया जा रहा है. 10वीं और 12वीं का परिणाम आने के बाद अब निजी स्कूलों द्वारा बच्चों की टीसी और मार्कशीट नहीं दी जा रही है. निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायत सरकार से कई बार की जा चुकी है लेकिन अभी तक भी कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते अभिभावकों में एक बार फिर से आक्रोश बढ़ता जा रहा है."

शिक्षा विभाग के पास पहुंच रही निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायतें 
प्रदेश के हर हिस्से से निजी स्कूलों की मनमानी की शिकायतें शिक्षा विभाग और सरकार के पास पहुंच रही हैं लेकिन इसके बाद भी शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) द्वारा इन शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं करने के चलते अभिभावक त्रस्त नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही प्रदेश के अभिभावकों ने चेतावनी भी दी है कि यदि शिक्षा विभाग की ओर से जल्द अभिभावकों को राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो एक बार फिर से अभिभावकों को सड़कों पर उतर कर आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा.

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