श्रीराम सेतु(Ramsetu) के बारे में हम सब जानते हैं. रामायण(Ramayana) में बताया गया था हैं. जब लंका(shrilanka) पर विजय पाने के लिए भगवान श्रीराम को सेतु की आवश्यकता थी. तो वानरों और भालुओं ने मिलकर रामसेतु का निर्माण किया था. जिसमें नल और नील जिन्हे उस समय के इंजीनियर कहा जाता है की मदद से ये रामसेतु बना था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पद्म पुराण में लिखा है कि श्रीराम(Shri Ram) ने खुद ही रामसेतु को तोड़ दिया था.
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Ramsetu : वाल्मिकी रचित रामायण में बताया गया है कि कैसे श्रीराम ने रावण पर विजय पायी थी. लेकिन इस विजय के लिए बने रामसेतु के बारे में आज भी कई कहानियां प्रचलित हैं. ऐसा ही कुछ लिखा है पद्म पुराण में जो आज हम आपको बताते हैं.
पद्म पुराण में लिखा है कि जब श्रीराम ने रावण पर जीत हासिल की, तब विभीषण को लंका का राजा बनाकर वो वापस आ गये और अयोध्या के राजा बने. एक दिन श्रीराम को विभीषण की याद आई. उन्होनें भरत से बात की.
और फिर भरत के साथ पुष्पक विमान में सवार होकर श्रीराम श्रीलंका की तरफ चले गये. कुछ समय के लिए अयोध्या का कामकाज लक्ष्मण को सौंप दिया गया था. इधर श्रीलंका जाते समय श्रीराम और भरत किष्किंधा नगरी भी गये.
यहां श्रीराम ने सुग्रीव और दूसरे वानरों से मुलाकात की. जब सुग्रीव को पता चला कि श्रीराम विभीषण से मिलने जा रहे हैं तो वो उनके साथ हो गये. रास्ते में श्रीराम ने भरत को वो पुल दिखाया जो जिस रामसेतु कहा गया.
अब श्रीलंका जाकर श्रीराम, विभीषण से मिले और कुछ दिन लंका में ही रहे. जब श्रीराम वापस जाने लगे तो विभीषण ने श्रीराम से विनती की. विभीषण को डर था की रामसेतु से मानव श्रीलंका में आ सकते हैं.
विभीषण ने कहा कि अगर इस रामसेतु से मानव यहा आकर मुझे सताएँगे तो उस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए ? विभीषण के ऐसा कहने पर श्रीराम ने अपने बाणों से सेतु के दो टुकड़े कर दिए. और फिर तीन भाग करके बीच का हिस्सा भी अपने बाणों से तोड़ दिया.