चिड़ावा शहर देश का एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर दिन में दो समय ना केवल राष्ट्रगान होता है. बल्कि सुबह बिगुल की आवाज और राष्ट्रगान के साथ ध्वज को फहराया जाता है. वहीं शाम को बिगुल की आवाज के बीच ही राष्ट्रगान के साथ ध्वज को उतारा जाता है. तीन साल पहले 26 जनवरी 2019 से शुरू हुई यह परंपरा आज भी अनवरत जारी है.
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Pilani: झुंझुनूं का चिड़ावा शहर देश का एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर दिन में दो समय ना केवल राष्ट्रगान होता है. बल्कि सुबह बिगुल की आवाज और राष्ट्रगान के साथ ध्वज को फहराया जाता है. वहीं शाम को बिगुल की आवाज के बीच ही राष्ट्रगान के साथ ध्वज को उतारा जाता है. तीन साल पहले 26 जनवरी 2019 से शुरू हुई यह परंपरा आज भी अनवरत जारी है. लेकिन अब चिड़ावा नगरपालिका ने इस परंपरा को और अधिक चार चांद लगा दिए है. तीन साल तक 25 फुट के पोल पर चार बाई छह फुट की साइज का तिरंगा फहराया जाता था, लेकिन अब नगरपालिका ने यहां पर 101 फुट का पोल तथा उस पर 16 बाई 24 फुट की साइज का राष्ट्रीय ध्वज लगाया गया है. जो 24 घंटे आसमान में लहराएगा. इसके पास ही हाई मास्क लाइट लगाई गई है. ताकि रात के समय भी तिरंगे का सम्मान बरकरार रहे.
आज गणतंत्र दिवस के मौके पर इस परंपरा की तीसरी वर्षगांठ पर चिड़ावा चेयरमैन सुमित्रा सैनी तथा ईओ जुबेर खान ने चिड़ावा के लोगों को यह सौगात दी. चेयरमैन सुमित्रा सैनी ने बताया कि श्री विवेकानंद मित्र परिषद द्वारा यह देशभक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रम पिछले तीन सालों से निरंतर किया जा रहा है. इनकी तरफ से नगरपालिका को प्रस्ताव मिला था. जिस पर नगरपालिका ने बिना कोई देर किए अपनी सहमति दी और आज यह तिरंगा 101 फुट उंचे पोल पर लहरा रहा है. विवेकानंद मित्र परिषद के महेश शर्मा धन्ना तथा मनोज मान ने बताया कि जब उन्होंने तीन साल पहले आज ही के दिन इसकी शुरूआत की थी तो कई सारे सवाल थे. झिझक भी थी कि यह निरंतर हो पाएगा या नहीं. लेकिन अब यह आदत में हो गया है. वहीं, पूरी टीम की सफलता है कि एक भी दिन छूटा नहीं है. निर्धारित समय पर ही कार्यक्रम होता है. इस मौके पर विवेकानंद मित्र परिषद के संरक्षक संजय दायमा समेत अन्य ने नगरपालिका का आभार जताया. कार्यक्रम में जेईएन नवीन कुमार, पार्षद योगेंद्र कटेवा, सुभाष खंडेलिया, रजनीकांत ककरानिया पिंटू आदि मौजूद थे.
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आगरा में 2018 में शुरू हुई परंपरा
इससे पहले आगरा के अजीत नगर बाजार कमेटी द्वारा 2018 में 26 जनवरी के दिन ही इस तरह के कार्यक्रम की शुरूआत की गई है, लेकिन यहां पर सुबह 10 बजे केवल एक समय ही तिरंगा चौक पर राष्ट्रगान होता है. हाल ही में इस कार्यक्रम को 1417 दिन पूरे होने पर इस उपलब्धि को वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया बुक में शामिल किया गया है. जबकि चिड़ावा की इस परंपरा को भी 30 जनवरी को 1095 दिन हो जाएंगे. इसके अलावा करीब दो साल पहले यूपी के ही जालौन जनपद के सिरसाकलार गांव में भी सुबह सात बजे राष्ट्रगान की परंपरा शुरू की गई है.
माउंट आबू में हुई थी शुरूआत, पर बंद हो गई
राजस्थान की बात करें तो माउंट आबू के तत्कालीन चेयरमैन सुरेश थिंगर ने अपने कार्यकाल में शहर में लाउड स्पीकर लगाकर दोनों समय राष्ट्रगान शुरू किया था. लेकिन यह कार्य करीब दो—ढाई साल ही चला. इसके बाद तकनीकी कारणों से बंद हो गया. इसके बाद नगरपालिका ने इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया है.
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तय है समय, कोई आए या ना आए
चिड़ावा में राष्ट्रगान के साथ ध्वज को फहराने और उतारने का समय निश्चित है. इसके लिए किसी का इंतजार नहीं किया जाता. वहीं विवेकानंद चौक में स्पीकर लगाकर 52 सैकंड के लिए विवेकानंद चौक और आस—पास का इलाका थम जाता है. विवेकानंद मित्र परिषद के संरक्षक संजय दायमा ने बताया कि सर्दी हो या फिर गर्मी सुबह साढ़े आठ बजे बिगुल की आवाज के साथ ध्वज ससम्मान फहराया जाता है. इसके बाद राष्ट्रगान होता है. वहीं गर्मियों में शाम को सवा छह बजे तथा सर्दियों में शाम को सवा पांच बजे पहले राष्ट्रगान होता है. इसके बाद बिगुल की आवाज के बीच सम्मान राष्ट्रीय ध्वज को उतारा जाता है.
बच्चे, युवा और बूर्जूग सब होते है शामिल
विवेकानंद चौक काफी भीड़भाड़ वाला इलाका है. इसके बावजूद राष्ट्रगान में ना केवल बच्चे, युवा और बुजूर्ग शामिल होते है. बल्कि पास पड़ौस के दुकानदार भी अपनी अपनी दुकानों पर सावधान की मुद्रा में खड़ा होकर राष्ट्रगान गाते हैं. फिर तिरंगे को सेल्यूट करते है. दोनों समय के राष्ट्रगान को लेकर लोगों को जानकारी लग जाए. इसके लिए निर्धारित समय से 15 मिनट पहले देशभक्ति गीत शुरू कर दिए जाते हैं. इसके लिए पूरे विवेकानंद चौक में चार स्पिकर लगाए गए हैं.
ये है सहयोगी
इस नियमित होने वाले कार्यक्रम में परिषद के संरक्षक मनोज मान, रोहिताश्व महला, जयराम स्वामी, बैजनाथ मोदी, सुरेश डालमिया, महेश शर्मा धन्ना, कमलकांत पुजारी, श्यामसुख शर्मा, संदीप फतेहपुरिया, रमेश कोतवाल, सुनिल मंड्रेलिया और चंद्रमौलि पचरंगिया आदि सहयोगी के रूप में प्रमुख है.
Report: Sandeep Kedia