29 सितम्बर को राजस्व मंडल अजमेर पर धरने का ऐलान किया है.
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Jaipur : राजस्व सेवा परिषद (Revenue Service Council) ने सरकार के साथ पूर्व में हुए समझौतों की पालना नहीं होने को लेकर 29 सितम्बर को राजस्व मंडल अजमेर पर धरने का ऐलान किया है. इसके साथ ही मांगें नहीं माने जाने पर प्रशासन शहरों और प्रशासन गांवों के संग अभियान का पूर्ण बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया हैं.
राजस्व सेवा परिषद ने 3 साल पहले सरकार के साथ हुए समझौते की पालना नहीं होने के चलते 17 सितम्बर से आंदोलन का ऐलान कर रखा है. जिसके तहत उन्होंने कलेक्टर, एसडीएम, राजस्व प्रमुख सचिव को ज्ञापन सौंपकर समझौते की पालना करवाने की मांग की, लेकिन अब समझौते की पालना नहीं होते देख इन्होंने 29 सितम्बर को अजमेर राजस्व मंडल (Ajmer Revenue Board) पर धरना देने का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही परिषद ने कहा कि मांगें नहीं मानी जाती है तो सरकार की ओर से चलाए जा रहे प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा.
राजस्व सेवा परिषद की प्रमुख मांगें
- सरकार के साथ हुए समझौते के अनुसार पटवारी, भू अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार, तहसीलदार के वेतनमान में सुधार किया जाए
- पटवारी को 5 वर्ष की सेवा पूरी करने पर वरिष्ठ पटवारी वेतन श्रंखला एवं 9 साल की सेवा अवधि पूरी करने पर भू अभिलेख निरीक्षक के पद का वेतन देने के आदेश जारी किए जाए
- प्रशासन शहरों के संग अभियान में विसंगतिपूर्ण जारी किए गए आदेश को वापस लेकर पंजीयन का अधिकार उप पंजीयक को ही दिया जाए
- नायब तहसीलदार के पद को राजपत्रित अधिसूचित करते हुए इस पद को 100 फीसदी पदोन्नति से व तहसीलदार के पद को 50 प्रतिशत पदोन्न्ति व 50 प्रतिशत सीधी भर्ती से भरा जाए
- परिषद के सभी घटकों की कैडर स्ट्रैंथ में नवीन पदों का सृजन किया जाए
- कोटा संभाग एवं सवाई माधोपुर के राजस्व कर्मियों के आंदोलन अवधि के समय के असाधारण अवकाश को उपार्जित अवकाश में परिवर्तित करवाया जाए
- सभी घटकों के लिए स्पष्ट स्थानांतरण नीति अपनाई जाए
राजस्थान तहसीलदार सेवा संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र निम्मीवाल ने कहा कि समझौते की पालना को लेकर ही 27 सितम्बर को प्रदेशभर में कलम बंद हड़ताल रखी गई है. वहीं, तहसीलदार सेवा संघ प्रदेशाध्यक्ष विमलेंद्र राणावत ने कहा कि अभी हमने प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान को लेकर होने वाली बैठकों में शामिल नहीं होने का भी निर्णय लिया है. अगर फिर भी सरकार मांगों पर सकारात्मक विचार नहीं करती है तो पूर्णत अभियान का बहिषकार किया जाएगा.