Rajasthan MLA Salary : सालभर पहले ही राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने विधायक फंड बढ़ाया था. आज जानेंगे कि Rajasthan में विधायकों की सैलरी कितनी है. विधायक का चुनाव कैसे होता है. विधायक को क्या क्या सुविधाएं मिलती है. राजस्थान में एमएलए फंड कितना है और एमएलए फंड क्या होता है
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Rajasthan MLA Salary : सालभर पहले ही राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने विधायक फंड को सालाना 2 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ करने का फैसला लिया था. उससे कुछ वक्त पहले ही Rajasthan में विधायकों की सैलरी बढ़ाने का फैसला भी हुआ था. हाल ही में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने विधायकों की सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव विधानसभा से पास किया है.
ऐसे में सवाल ये है कि राजस्थान और अन्य राज्यों में विधायकों को कितनी सैलरी मिलती है. वेतन के अलावा भत्तों के तौर पर कितने रुपए मिलते है. विधायक को क्या क्या सुविधा मिलती है.
जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव होते है. तो हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टियां अपने उम्मीदवार खड़े करती है. इसके अलावा कुछ लोग निर्दलीय भी चुनावों में उतरते है. इन चुनावों का आयोजन चुनाव आयोग करता है. विधानसभा क्षेत्र में जो व्यक्ति चुनाव के लिए खड़ा होता है उसे उम्मीदवार कहते है. जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते है. वो उस इलाके का विधायक ( MLA ) कहलाता है.
जब कोई व्यक्ति विधायक बनता है तो उसे कई तरह की सुविधाएं मिलती है. इसमें वेतन ( सैलरी ) और भत्ते शामिल है. इसके अलावा रहने के लिए आवास, टेलीफोन, कहीं आने जाने के लिए यात्रा खर्च और चिकित्सा सुविधाएं भी मिलती है. राजस्थान में विधायकों को सुविधाएं और खर्चे मिलते है. वो राजस्थान विधानसभा (अधिकारियों तथा सदस्यों की परिलब्धियां एवं पेन्शन) अधिनियम, 1956 में उल्लेखित नियमों के तहत मिलती है.
राजस्थान में विधायकों को 40 हजार रुपए के हिसाब से प्रति महीना वेतन मिलता है. इसके अलावा हर महीने निर्वाचन क्षेत्र भत्ते के नाम पर प्रत्येक विधायक को 70 हजार रुपए मिलते है. इसके अलावा रहने के लिए घर की सुविधा भी मिलती है. गृह किराए के तौर पर 30 हजार रुपए मिलते है. तो वहीं 25 सौ रुपए टेलीफोन किराया. इसके अलावा जब कोई विधायक विधानसभा सत्र में भाग लेता है. या विधानसभा की किसी समिति की बैठक में भाग लेता है. तो हर दिन उसका भी भत्ता मिलता है. ऐसी बैठक राज्य के अंदर हो तो 2 हजार रुपए प्रतिदिन और राज्य के बाहर हो तो 2500 रुपए प्रतिदिन का भत्ता मिलता है.
प्रत्येक विधायक को हर साल 3 लाख रुपए मिलते है. इन 3 लाख रुपयों को रेल, हवाई जहाज या जलपोत में यात्रा के लिए खर्च करना होता है. विधायक के खुद के किराए के अलावा अपने साथ के व्यक्ति के किराए के लिए भी इन्हीं 3 लाख रुपयों में से खर्च किया जा सकता है. अगर किसी साल पूरे 3 लाख रुपए खर्च नहीं हो पाते है तो उस स्थिति में बचे हुए रुपए अगले साल के ट्रांसफर किए जाते है. विधायक का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी समय यात्रा में इन रुपयों को खर्च किया जा सकता है.
अगर विधायक सड़क मार्ग से अपने निजी वाहन से यात्रा करता है. तो सरकारी फंड से 10 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से पैसे मिलते है. इसके अलावा विधायक को फर्नीचर पर खर्च करने के लिए 80 हजार रुपए दिए जाते है.
जयपुर में विधायकों के आवास पर स्वागत कक्षों में टेलीफोन लगाए गए है. यहां राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक विधायक को 1 से 9 तक की वेतन श्रंखला का कर्मचारी दिया जाता है. ऐसे कर्मचारी को सचिवालय सहायक कहते है. अगर कोई विधायक सरकारी कर्मचारी की बजाय अपने निजी व्यक्ति को कर्मचारी के तौर पर रखता है तो उसके वेतन के लिए राज्य सरकार हर महीने 30 हजार रुपए देती है.
विधायक अगर अपने निर्वाचन क्षेत्र में भ्रमण करता है तो उसके लिए महीने में 15 दिन के लिए सरकारी वाहन मिलता है. विधायक अगर सरकारी वाहन नहीं लेता है तो 3 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से निजी वाहन के खर्चे के तौर पर दिया जाता है. इसके लिए एक महीने में ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों के लिए 45 हजार रुपए ही मिलेंगे.
राजस्थान में विधायकों को अपने इलाके में खर्च करने के लिए विधायक कोष ( MLA Fund ) के तौर पर पहले 2 करोड़ 25 लाख रुपए दिए जाते है. जिसे अब बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए कर दिया गया है. ये फंड जनहित में होने वाले निर्माण कार्यों में खर्च किया जाता है. जिसका प्रस्ताव जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में भेजकर लागू कराया जाता है.
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