कारगिल विजय दिवस के रजत जयंती समारोह पर शहीदों को नमन, शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के परिजनों की आज भी यादें हैं ताजा
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2353307

कारगिल विजय दिवस के रजत जयंती समारोह पर शहीदों को नमन, शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के परिजनों की आज भी यादें हैं ताजा

Kargil Vijay Diwas: जयपुर के मालवीय नगर के कैप्टन अमित भारद्वाज ने महज 27 साल की उम्र में कारगिल की लड़ाई में देश के लिए अपनी जान कुर्बान की थी. आज भी उनके परिवार ने घर में शहीद की यादों को जीवंत रखा है. 

symbolic picture

Kargil Day: पूरा देश 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती मना रहा है और कारगिल में शहीद हुए वीर सपूतों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहा है. आज भी कारगिल शहीदों के परिजन उन क्षणों को याद करके भावुक हो उठते हैं. राजस्थान वीर सपूतों की धरती कहलाती है, देश की रक्षा में यहां के लाल अपने प्राणों का बलिदान करने से पीछे नहीं हटते. कारगिल युद्ध में राजस्थान के तकरीबन 60 जवान शहीद हुए थे और शहीदों के परिवार वालों के दिलों में आज भी शहादत की यादें कारगिल विजय दिवस के रूप में जिंदा है.

गुलाबी नगर के रहने वाले कैप्टन अमित भारद्वाज 17 मई 1999 को कारगिल युद्ध में काकसर क्षेत्र में बजरंग चोटी पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. शहीद अमित भारद्वाज का पार्थिव देह परिवार को 60 दिन बाद मिला. यूनिट के जवानों ने परिवार को बताया कि अपनी यूनिट के साथियों को बचाने के लिए शहीद अमित भारद्वाज 17 गोली खाकर भी आखिरी क्षणों तक दुश्मनों से लड़ते रहे. शहीद अमित भारद्वाज के साथ ही उनका एक सिपाही भी आखरी दम तक दुश्मनों से लड़ता रहा.

जयपुर के मालवीय नगर के कैप्टन अमित भारद्वाज ने महज 27 साल की उम्र में कारगिल की लड़ाई में देश के लिए अपनी जान कुर्बान की थी. आज भी उनके परिवार ने घर में शहीद की यादों को जीवंत रखा है. शहीद अमित भारद्वाज के माता-पिता की आँखें गर्व से भर आती हैं जब वो अपने बेटे शहीद कैप्टन को याद करते हैं. शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज के माता-पिता का कहना है कि अमित शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार थे लेकिन कभी भी उन्होंने घर में यह इच्छा जाहिर नहीं की कि वह पढ़ लिखकर भारतीय सेना में अधिकारी बनेंगे.

शहीद अमित के परिजनों का कहना है कि अमित ने ना केबल भारत मां की रक्षा करते हुए बल्कि अपने साथियों को बचाते हुए राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि अमित ने जो सपना देखा उसे अमित ने पूरा किया और देश के लिए अपने प्राणों की जो आहुति दी उसपर उन्हें सदैव गर्व रहेगा. शहीद अमित भारद्वाज की मां सुशीला ने बताया कि अमित बचपन से ही बड़ा आदमी बनने की बातें करते थे और उन्होंने अमित को हमेशा पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया. शहीद अमित के परिजनों ने देश के युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि भारतीय सेना किसी की भी मौत का कारण नहीं है बल्कि राष्ट्र की रक्षा और सेवा करना हम सभी का कर्तव्य है.

शहीद कैप्टन अमित भारद्वाज की बहन सुनीता ने बताया कि अमित जब भारतीय सेना में भर्ती हुए तो वह उनसे अपनी बातें शेयर करते थे. अमित ने उन्हें बताया था कि तीन बार ऐसे मौके आए जब अमित का मौत से सामना हुआ. शहीद कैप्टन अमित की बहन सुनीता धौंकरिया पिछले 24 सालों से अपने भाई अमित की यूनिट के सभी जवानों को राखी भेजती हैं. वो कहती हैं कि ऐसा करके उन्हें अपने शहीद भाई की मौजूदगी का एहसास होता है. उन्हें अपने भाई की शहादत पर गर्व है और भारतीय सेना पर नाज है.

कारगिल शहीद अमित भारद्वाज की तरह ही ऐसे कई वीर सपूत हुए जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और हमेशा–हमेशा के लिए अमर हो गए. ऐसे वीर सपूत न केवल पूरे देश के लिए गौरव का प्रतीक हैं बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी. कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर जी मीडिया सभी शहीदों को नमन करता है.

जयपुर से संवाददाता विनय पंत की रिपोर्ट
 

Trending news