शिक्षक संगठनों की मांग, राजकीय कॉलेज को सोसाइटी के माध्यम से ना किया जाए संचालित
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शिक्षक संगठनों की मांग, राजकीय कॉलेज को सोसाइटी के माध्यम से ना किया जाए संचालित

कांग्रेस द्वारा शिक्षा के ढांचे में किए जा रहे बदलाव कि हर जगह सराहना भी होती रही है और इसी कड़ी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2020-21 में प्रदेश को 37 नए राजकीय महाविद्यालय की सौगात दी थी.

शिक्षक संगठनों ने राजकीय कॉलेज को सोसाइटी के माध्यम से संचालित ना करने की मांग की. (फाइल फोटो)

Jaipur: कांग्रेस द्वारा शिक्षा के ढांचे में किए जा रहे बदलाव कि हर जगह सराहना भी होती रही है और इसी कड़ी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2020-21 में प्रदेश को 37 नए राजकीय महाविद्यालय की सौगात दी थी. बजट में जिन 37 नए राजकीय महाविद्यालय की घोषणा की गई थी, उसकी अब तक न तो किसी प्रकार की कार्य योजना की गई है और ना ही इन कॉलेजों के लिए स्टाफ के पद स्वीकृत किए गए हैं.

वहीं. पिछले दिनों इन नए राजकीय कॉलेजों को सोसाइटी के माध्यम से संचालित करने को लेकर वित्त विभाग की ओर से बात सामने आई है, जिसके बाद शिक्षक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि नए राजकीय कॉलेजों को सोसाइटी के माध्यम से संचालित ना किया जाए और इसी को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने सरकार को पत्र लिखकर मांग भी की है.

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राष्ट्रीय महामंत्री डॉ सुशील कुमार बिस्सु का कहना है कि 'सरकार ने जिन 37 नए राजकीय कॉलेजों को खोलने की घोषणा की उसको पदों को स्वीकृति भी नहीं मिली है. साथ ही यह बात सामने आई है कि इन नए कॉलेजों को राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी की तर्ज पर सोसाइटी के माध्यम से संचालित करने को लेकर विचार किया जा रहा है, इसलिए सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि इन सरकारी कॉलेजों का सोसाइटी के माध्यम से संचालन ना हो. क्योंकि मेडिकल कॉलेजों की सालाना फीस करीब 7 लाख तक होती है. तो वहीं सरकारी कॉलेजों की फीस 1 हजार रुपये से 1200 रुपए तक के बीच में होती है. ऐसे में यह मुमकिन नहीं है कि सरकारी कॉलेजों का संचालन सोसाइटी की तर्ज पर किया जाए.'

बिस्सु ने आगे कहा, 'दूसरी ओर सोसायटी द्वारा संचालित इंजीनियरिंग कॉलेज जिनमें भारी वित्त अनियमितता सामने आई है, उन इंजीनियरिंग कॉलेजों को सरकार संघटक कॉलेजों के रूप में बदलने पर विचार कर रही है, तो ऐसे में नई सरकारी कॉलेजों को सोसायटी द्वारा संचालित करने पर कैसे विचार किया जा सकता है. इसलिए सरकार से निवेदन है कि सरकार इस विचार को तुरंत प्रभाव से त्याग दें.'

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