कोर्ट ने बताया गया कि इसके बाद 27 अगस्त 2019 को कंपनी के कर्मचारी उसकी गाड़ी जबरन छीनकर ले गए.
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Jaipur : जयपुर सेशन कोर्ट में स्थाई लोक अदालत ने बिना विधिक प्रक्रिया अपनाएं वाहन का कब्जा लेकर उसे बेचने को गलत माना है. इसके साथ ही अदालत ने फाइनेंस कंपनी पर कुल एक लाख 21 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. अदालत ने इस राशि पर सात फीसदी ब्याज देने के आदेश देते हुए परिवादी को एनओसी जारी करने को भी कहा है. अदालत ने यह आदेश परिवेश सोनी के परिवाद पर दिए.
परिवाद में कहा गया कि उसने कार खरीदने के लिए बेस्ट कैपिटल सर्विसेज लि. से एक लाख रुपए का लोन लिया था. कंपनी ने शुल्क के नाम पर सात हजार 864 रुपए नकद ले लिए. इसके अलावा एक किश्त एडवांस लेने की बात कहकर विक्रेता के नाम से 76 हजार 626 रुपए का चेक दे दिया, जबकि कंपनी को 94 हजार तीन सौ रुपए देने थे. वहीं कंपनी ने अधिक काटी गई राशि तीन किश्तों में समायोजित करने का आश्वासन दिया.
कोर्ट ने बताया गया कि इसके बाद 27 अगस्त 2019 को कंपनी के कर्मचारी उसकी गाड़ी जबरन छीनकर ले गए. वहीं फाइनेंस कंपनी की ओर से कहा गया कि परिवादी ने लोन शर्तो की अवहेलना करते हुए किश्त का भुगतान नहीं किया. इसके कारण वाहन जब्त कर बेचा गया है.
इस पर अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को 17 हजार 674 रुपए कम दिए गए थे. इस राशि को तीन किश्तों में समायोजित किया जा सकता था. इसके अलावा वाहन उठाने में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. इसलिए कंपनी नुकसान के लिए साठ हजार रुपए, मानसिक संताप के लिए चालीस हजार रुपए और विधिक प्रक्रिया के लिए 21 हजार रुपए का भुगतान करें.
रिपोर्टर- महेश पारीक
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