प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव की तारीख पास आने के साथ ही चुनावी रंग चढ़ने लगा है. पर इस रंग के साथ शहर की खूबसूरती बदरंग होती जा रहा हैं. आलम यह है कि, राजधानी में जगह-जगह चुनावी पोस्टर-होर्डिंग्स से दीवारें पाट रखी हैं.
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Jaipur: प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव की तारीख पास आने के साथ ही चुनावी रंग चढ़ने लगा है. पर इस रंग के साथ शहर की खूबसूरती बदरंग होती जा रहा हैं. आलम यह है कि, राजधानी में जगह-जगह चुनावी पोस्टर-होर्डिंग्स से दीवारें पाट रखी हैं. नगर निगम प्रशासन के अफसर भी बस शेल्टर्स से लेकर दीवारों पर लगे छात्र नेताओं के चस्पा पोस्टर देखकर भी एक्शन की जहमत नहीं उठा रहे हैं.
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राजनीति की पहली सीढ़ी मानी जाने वाले राजस्थान विश्वविद्यालय और संघठक कॉलेज में चुनाव की बिसात बिछ चुकी हैं. जयपुर में दो साल बाद छात्रसंघ चुनाव हो रहे हैं. इन छात्रसंघ चुनाव में अपनी ताकत और दावेदारी दिखाने वाले छात्र नेताओं ने कॉलेज, विश्वविद्यालय में ही नहीं बल्कि उसके आसपास के अधिकांश क्षेत्रों के होर्डिंग्स, दीवारों और बस शेल्टर्स पर कब्जा जमा रखा है.
विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव घोषित होने के बाद चुनावी होर्डिंग्स बढ़े और मार्ग बताने वाले गैंट्रीज पर भी छात्र नेताओं के पोस्टर चस्पा कर दिए गए है जिसने शहर की तस्वीर बिगाड़ दी हैं. नगर निगम ग्रेटर आयुक्त महेन्द्र सोनी ने बताया की, इन छात्र नेताओं और संभावित उम्मीदवारों ने बिना अनुमति के सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों के साथ ही विद्युत पोल पर बिना अनुमति के पोस्टर, बैनर, पैम्फलेट चिपका दिए हैं. पोस्टर-बैनर लगाने वालों को हिदायत दी है कि वे अपने स्तर पर पोस्टर-बैनर हटा लें. वरना उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
जयपुर शहर के हाल यह है कि यहां सुबह पोस्टर हटाए जाते है और छात्रनेता रातों रात दोबारा शहर में पोस्टर लगा देते हैं. यूं तो कैम्पस के बाहर प्रचार करना भी गलत है, लेकिन बावजूद इसके छात्रनेताओं ने शहर के तमाम सावर्जनिक स्थानों को इन दिनों गंदा कर दिया हैं. अब प्रशासन ने छात्रनेताओं को साफ चेताया है कि स्टूडेंट्स नहीं थमे तो एक-एक करके उनके खिलाफ मुकदमें दर्ज कराए जाएंगे.
बता दें कि, राज्य में संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम लागू है. जिसके तहत किसी भी प्रकार की सावर्जनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और खराब करने पर इसके तहत कार्रवाई की जाती हैं. साथ ही शहर की दीवारों पर पेम्पलैट, पोस्टर चिपकाना भी कानूनन गलत हैं. अधिनियम के तहत पहली बार अपराध करने पर एक साल की जेल और पांच से दस हजार रुपए तक जुर्माना और लगातार अपराध करने पर दो साला जेल और दस से बीस हजार रुपए जुर्माना के प्रावधान हैं.
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