First Period Celebration : भारत में आज भी पीरियड्स के बारे में बात करना उतना सहज नहीं हो सकता है. ऐसे में अगर हम आपको बताएं कि भारत के ही कुछ इलाकों में एक लड़की के पीरियड्स की शुरुआत को जश्न की तरह मनाया जाता है तो आपको कैसा लगेगा. जी हां दक्षिण भारत और उत्तर पूर्व भारत में पीरियड्स की शुरुआत पर जश्न होता है. पूरा परिवार इकट्ठा होता है और लड़की को स्पेशल फील कराया जाता है. इस दौरान लड़की को खूब सारे उपहार भी दिये जाते हैं
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First Period Celebration : भारत में आज भी पीरियड्स के बारे में बात करना उतना सहज नहीं हो सकता है. ऐसे में अगर हम आपको बताएं कि भारत के ही कुछ इलाकों में एक लड़की के पीरियड्स की शुरुआत को जश्न की तरह मनाया जाता है तो आपको कैसा लगेगा. जी हां दक्षिण भारत और उत्तर पूर्व भारत में पीरियड्स की शुरुआत पर जश्न होता है. पूरा परिवार इकट्ठा होता है और लड़की को स्पेशल फील कराया जाता है. इस दौरान लड़की को खूब सारे उपहार भी दिये जाते हैं
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असम
जब लड़की को पहली बार पीरियड्स होते हैं तो तुलोनिया बिया नाम का त्योहार मनाया जाता है. जो शादी समारोह जैसा ही रिवाज है. लड़की को कोई काम नहीं करना होता है एक अलग कमरे में उसे सात दिन रखा जाता है. माना जाता है कि इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और सितारों को देखना अशुभ है. फिर 7 दिन के बाद लड़की को सजाया जाता है और केले के पौधे से उसकी शादी की कजाती है. इस समारोह में लड़की सभी रिश्तेदार आते हैं और उसको उपहार देते है.
तामिलनाडु
यहां लड़की को पहली बार पीरियड्स आने पर मंजल निरातु विज़ा त्योहार होता है. शादी के तरह कार्ड बांटे जाते हैं. लड़की के चाचा मिलकर नारियल-आम और नीम के पत्तों से बनी झोपड़ी जिसे आम भाषा में कुदिसाई करते हैं बनाते हैं. फिर लड़की को हल्की के पानी से नहलाया जाता है और वो उसी कुदिसायी में रहती है. इस झोपड़ी (कुदिसायी) स्वादिष्ट पकवान बनते हैं. अब लड़की को नहलाने के बाद उसे रेशम की साड़ी पहनाते हैं. जेवर पहनाते हैं इस प्रक्रिया को पुण्य धनम कहते हैं. झोपड़ी को हटा दिया जाता है और पंडित घर को शुद्ध करता है.
कर्नाटक
यहां लड़की को पहली बार पीरियड्स होने पर ऋतुशुद्धि या फिर ऋतु कला संस्कार होता है. पहली बार लड़की को बिल्कुल वैसी ही साड़ी पहनाई जाती है. जैसी की शादी के दौरान पहनायी जाती है. इस प्रक्रिया के जरिये लड़की को पीरियड्स से जुड़ी बातें समझाई जाती है ताकि आगे कोई समस्या उसे ना हो.
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आंध्रप्रदेश
पहली बार पीरियड्स होने पर लड़की के लिए घर पर समारोह होता है. जिसे पेडमनिषी पंडगा कहा जाता है. ये पीरियड्स के पहले,5वें या आखिरी दिन होता है. पहले दिन मंगल स्नान होता है. जिसमें 5 महिलाएं लड़की को नहलाती है. इनमें लड़की की मां नहीं होती है. एक अलग कमरे में लड़की को रखा जाता है. जितने दिन ये समारोह चलता है लड़की के लिए सब कुछ नया होता है जैसे कपड़े, खाना, गद्दा, बेडशीट. आखिरी दिन लड़की को चंदन का लेप लगाया जाता है और साथ ही चाचा की तरफ से साड़ी और ज्वैलरी उपहार में दी जाती है.
ओड़िशा
पहली बार पीरियड्स होने पर ओडिशा में राजा प्रभा नाम का समारोह होता है. यहां के लोगों का मानना है कि इस दौरान धरती मां को पीरियड्स होते हैं. पीरियड्स के चौथे दिन लड़की को नहलाया जाता है. महिलाएं और लड़कियां किसी भी तरह के काम से ब्रेक लेकर नए कपड़े और मिठाइयों के साथ जश्न मनाती हैं। इस दौरान लड़की कोई काम नहीं करती और नए कपड़ों और मिठाइयों का आनंद लेती है.
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