राजस्थान में अजब-गजब स्थान, पर्यटन स्थल, किले-महल और बावड़ी के अलावा कुछ स्थानों की ऐसी कहानियां हैं जो डरावनी और अजब-गजब हैं.
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Jaipur: राजस्थान अपने आप में अजब-गजब स्थान, पर्यटन स्थल, किले-महल और बावड़ी और अजब-गजब कहानियों को समेटे डरावने स्थानों के लिए जाना जाता है. राजस्थान के जैसलमेर में वीरान पड़ें गांव में ऐसा मिथ आम हो चुका है कि यहां रुहानी ताकतें रहती हैं. हालांकि इस सच्चाई जो भी हो पर लोग इसी कहानी के साथ आज भी जीते हैं.
राजस्थान अजब-गजब (rajasthan ajab gazab) सीरीज के तहत इस बार हम पाठकों को जैसलमेर (jaisalmer) के कुलधरा गांव से रूबरू करा रहे हैं. ऐसा गांव जहां अब आर्कियोलॉजी विभाग ने इस रोचक अंदाज में पेश कर इस टूरिज्म स्पॉट बना दिया है. ऐसा गांव जो पहले उजाड़-बीयाबान दिखता था जहां रात में रुकना तो दूर कोई आस-पास से गुजरने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता था. अब यहां दिन में पर्यटक आते हैं. हालांकि रात में अभी भी यहां कोई रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है.
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कहते हैं 170 से पहले जैसलमेर का ये न सिर्फ खूबसूरत गांव था बल्कि काफी उन्नत गांव भी था. यहां बने घरों की डिजाइन ऐसी थी कि एसी और कूलर भी फेल हो जाए. ठंडी हवाएं घरों से गुजरती थीं. रेतीले रेगिस्तान में ये गांव अजूबा था. इस गांव में मेहनती पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था. बताया जाता है कि यहां 550 से ज्यादा पालीवाल ब्राह्मण रहते थे. मेहनतकश पालीवाल ब्राह्मणों के सामने एक दिन ऐसी मजबूरी आ गई कि उन्हें रातों-रात गांव खाली करना पड़ा.
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खूबसूरती युवती पर थी दीवान की नजर
कहते हैं यहां के दीवान की नजर एक ब्राह्मण की खूबसूरत लड़की पर थी. वो लड़की से शादी करने की जिद करने लगा. दीवान का चरित्र ठीक नहीं था. ऐसे में पालीवाल ब्राह्मणों के सामने ये सबसे बड़ी समस्या थी कि अब वो क्या करें? ऐसे में उन्होंने मीटिंग की और गांव छोड़कर कहीं और चले जाने का निर्णय कर लिया. रातों-रात सारे ब्राह्मण चुपके से गांव खाली कर दिए और कहीं और चले गए. ये लोग कहां गए इसका कोई पता नहीं कर पाया. हालांकि जाने से पहले इन ब्राह्मणों ने श्राप दे दिया. अपने मेहनत और खून-पसीने से बसाए गांव पर को श्राप देते हुए कहा कि अब यहां कोई बस नहीं पाएगा.
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श्राप का असर है इस गांव पर
कहते हैं इस गांव में आज भी श्राप का असर है. यहां कोई बस नहीं पाता है. कहते हैं रात में रुहानी ताकातों का बोलबाला होता है. हालांकि इस सच्चाई का दावा zee rajasthan नहीं करता है. एक और किंवदंती है. कहते हैं यहां जो भी रात में रुकता है पत्थर बन जाता है. हालांकि इन किंवदंतियों के कारण कोई रात में रुकता नहीं है. कुछ सालों पहले राजस्थान के आर्कियोलॉजी विभाग ने इस गांव के खंडहर को खूबसूरत लुक दे दिया और यहां पर्यटन की दृष्टि से सुविधाएं भी डवलप कर दी. यहां दिन में तो लोग घूमने आते हैं पर जैसे ही सूरज की रौशनी ढलने को होती है तो पूरा गांव खाली करा दिया जाता है.
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चूड़ियों की खनक और पायल की छनक सुनाई देती है
कहते हैं यहां आज भी चूड़ियों की खनक और पायल की छनक सुनाई देती है. यहां भूतों पर काम करने वाली पैरानॉर्मल सोसायटी भी एक रात रुक चुकी है और वो भी मान चुकी है कि कुछ तो ऐसा है जो ठीक नहीं है.