2 दोस्तों ने मिलकर बना दिए 5.5 करोड़ के 250 निशुल्क एप्स, सरकार को किया भेंट
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2 दोस्तों ने मिलकर बना दिए 5.5 करोड़ के 250 निशुल्क एप्स, सरकार को किया भेंट

सीकर के दो दोस्‍तों ने तकनीकी के क्षेत्र में आमजन की बहबूदी के लिए एप बनाकर सरकार को पांच करोड़ से अधिक के करीबन 250 एप्स बनाकर सरकार को भेंट कर दिए.

2 दोस्तों ने मिलकर बना दिए 5.5 करोड़ के 250 निशुल्क एप्स

Sikar: शेखावाटी के युवा तकनीकी के क्षेत्र मे नित नए मुकाम हासिल कर अपनी क्षमताओं का लौहा मनवा रहे हैं. ऐसे सीकर के दो दोस्‍तों ने तकनीकी के क्षेत्र में आमजन की बहबूदी के लिए एप बनाकर सरकार को पांच करोड़ से अधिक के करीबन 250 एप्स बनाकर सरकार को भेंट कर दिए.

सरकार ने इन दोनों को भामाशाह विभूषण अवार्ड से भी नवाजा है. आइये दोनों दोस्‍तों की एप बनाने और सरकार को भेंट करने की कहानी के सफर और जज्‍बे को जानते हैं.
बाड़ी सीकर के नानी गांव के सुरेन्‍द्र तेतरवाल और सीकर के सुरेश ओला दोनों सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहे थे. सुरेन्‍द्र तेतरवाला जीएसटी विभाग में टेक्‍स असीसटेंट के पद पर कार्यरत हैं और सुरेश ओला शिक्षक हैं. सरकारी नौकरी के सफर तक उन्‍होंने जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की, उसमें जो भी चैप्‍टर पढ़े. वहां से लेकर इंटरव्यू तक के तमाम नोट को कैसे याद किया जा सके और एक झटके में उसे कैसे हाथों हाथ रिव्‍यू किया जा सके, इसके लिए दोनों दोस्‍तों ने तैयारी के समय ही सोशल साइट पर एप्लीकेशन बनाकर अपलोड करना शुरू कर दिया और यहीं से एप बनाने का सफर शुरू हुआ.

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सुरेन्‍द्र तेतरवाल बताते हैं कि हमने शुरुआती दौरे में तैयारी के लिए एप्‍लीकेशन बनाना शुरू किया. इसके बाद हमने सभी सब्जेक्‍ट पर एप बनाए और उसमें सभी चैप्‍टर का समावेश किया. इसके बाद हमने गूगल पर एप बनाना सीखा और इसके बाद हमने एप बनाना शुरू कर दिया. अभी तक हम 250 से अधिक एप बना चुके हैं.

बाद में दोनों दोस्‍त सरकारी मुलाजिम हो गए लेकिन दोनों ने समाज के कल्‍याण के नजरिये को और विस्‍तार करने के मकसद से नए-नए आइडियों पर काम करना शुरू कर दिया. सुरेन्‍द्र तेतरवाल और सुरेश ओला ने अपने गांव नानी के लिए भी एप बनाया. डिजिटल ग्राम पंचायत नानी, देश-दुनिया के डिजिटल एप में गांव की तमाम जानकारी का समावेश किया और सरकार की तमाम जानकारी और योजनाओं के बारे में जानकारी का समावेश कर बताया कि इन योजनाओं से कैसे लाभ लिया जा सकता है.

इसकी जानकारियां भी डिजिटल ग्राम पंचायत नानी में समावेश किया. इतना ही नहीं किसान परिवार से जुड़े होने के कारण दोनों ने क्रषि पर आधारित दर्जनों एप बनाए, जिसमें कृषि से संबंधित जानकारियां शामिल की गई. हालांकि पूरा फोकस शिक्षा से संबंधित एप बनाने पर ही रहा, जिसमें दोनों ने एनसीआरटी के कक्षा एक से बारह तक के सभी विषयों और चैप्‍टर का समावेश कर एप बनाए ताकि विधार्थी आसानी से तैयारी कर सके.

शिक्षक सुरेश ओला बताते हैं कि स्‍कूल के अलावा सभी तकनीकी शिक्षा पर आधारित कोर्सेज पर भी एप बनाए, जिसमें आईटीआई, नर्सिंग फार्मासिस्‍ट, एग्रीकल्‍चर डिग्री के कोर्सेज के एप भी बनाए. 250  एप में स्‍कूल-कॉलेज से लेकर तकनीकी शिक्षा से जुड़े कोर्सेज के अलावा कंपीटीशन एग्‍जाम की तैयारी के एप भी शामिल है. कंपटीशन एग्जाम की तैयारी के दौरान दोनों दोस्‍तों के दिमाग में आया कि कोचिंग में जो पढ़ाई की है, उसका रिपिटेशन के लिए क्‍या रास्‍ता अपनाए. वहीं से यह आइडिया और उन्‍होंने गूगल पर सर्च किया और एप्‍लीकेशन पैर्टन को फॉलो किया.

फिर एप बनाना शुरू कर दिया और यह एप बनाने का सिलसिला अनवरत आज सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी जारी है. दोनों दोस्‍तों के बनाए एप निशुल्‍क हैं, दोनों दोस्‍तों ने एप बनाकर सरकार को भेंट कर दिए. हालांकि पहले इनमें से कई एप पेड थे लेकिन बाद में इन्‍होंने सरकार को भेंट किए और सभी ढाई सौ एप के यूजर आईडी व पासवर्ड सरकार को भेंट करते हुए दे दिए.

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आज इनके बनाए हुए सभी एप निशुल्‍क है. करीबन डेढ़ करोड़ लोग इनके एप डाउनलोड कर इसका लाभ ले चुके हैं और पेज व्‍यू की बात करें तो करीबन पचास करोड़ से अधिक इनके पेज पर व्‍यूज है. सरकार को भेंट किए गए एप की कीमत सरकार ने करीबन पांच करोड़ से अधिक आंकी और इसके आधार पर इन्‍हें राजस्‍थान सरकार की ओर से राज्‍य स्‍तर पर भामाशाह शिक्षा विभूषण अवार्ड से भी नवाजा गया.

सुरेन्‍द्र तेतरवाल को जीएसटी विभाग की ओर से दो बार राज्‍य स्‍तर पर सम्‍मानित भी किया जा चुका है तो शिक्षक सुरेश ओला को दर्जनो राज्‍य और राष्‍ट्रीय स्‍तर के अवॉर्ड मिल चुके हैं. आज भी दोनों दोस्‍त समय मिलने पर नए-नए सब्‍जेक्‍ट पर एप बनाते हैं ताकि युवाओं बच्‍चों को पढ़ाई का काम आसान व सरल हो सके. सफलता के शिखर पर पहुंच सके.

कोरोना काल में भी ऑक्‍सीजन मोनिटरिंग के लिए बनाया एप
कोरोना काल में जब ऑक्‍सीजन की मारामारी चल रही थी, तभी दोनों ने मिलकर ऑक्‍सीजन मॉनि‍टरिंग के लिए एप बनाया सीकर और जयपुर जिला प्रशासन को सौंपा, जिसके आधार पर ऑक्‍सीजन की कमी व सप्‍लाई की आपूर्ति की मॉनिटरिंग की जा सकी थी.

ये मिल चुके हैं अवार्ड
1. राजस्थान भामाशाह शिक्षा विभूषण सम्मान 28 जून 2019 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotsara) द्वारा राज्य में शिक्षा के उन्नयन के लिए 5 करोड़ 50 लाख के मोबाइल ऐप्स राज्य सरकार को डोनेट करने पर राजस्थान भामाशाह शिक्षा विभूषण सम्मान से सम्मानित किया.

2 ई-गवर्नेंस अवार्ड
· राजस्थान ई गवर्नेंस अवार्ड 2016-17 के लिए 21 मार्च 2018 को राजस्थान की तत्‍कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में मोबाइल ऐप्स द्वारा ई गवर्नेंस के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजस्थान ई गवर्नेंस अवार्ड से सम्मानित किया.

3. बेस्‍ट रिर्स्‍च आईसीटी NCERT द्वारा फरवरी 2018 में आयोजित 22वें अखिल भारतीय दृश्य श्रव्य महोत्सव और आईसीटी मेला भोपाल में पुरे देश में प्रथम पुरस्कार बेस्ट रिसर्च इन न्यू मीडिया आईसीटी अवार्ड से सम्मानित किया.

4. माईक्रोसोफट इनोवेटिव एजूकेटर अवार्ड अमेरिका की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने और नवीन तकनीकी का प्रयोग करने के कारण माइक्रोसॉफ्ट अभिनव शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया.

5. बेस्‍ट आईसीटी अवार्ड फार फर्स्‍ट फ्री एप मेकर- NCERT द्वारा नवंबर 2018 में आयोजित 23वें अखिल भारतीय दृश्य श्रव्य महोत्सव और आईसीटी मेला नई दिल्ली में विश्व का एकमात्र ओपन सोर्स फ्री ऐप मेकर प्लेटफार्म बनाने के लिए पुरे देश में प्रथम पुरस्कार बेस्ट आईसीटी अवार्ड से सम्मानित किया गया.

6. राजस्‍थान एजूकेशन हैकाथान 26 जुलाई 2018 को राजस्थान की तत्‍कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा एजुकेशन हेकाथान में ऐप मेकर प्लेटफार्म के लिए शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राजस्थान एजुकेशन हेकाथान अवार्ड से सम्मानित किया गया.

दोनों दोस्‍तो के कार्य को विभिन्‍न संगठनों की ओर से भी सराहा गया और अवार्ड दिए जा चुके हैं. इन दिनों दोनों मित्र एमबीबीएस की पढ़ाई के चैप्‍टर पर एप बनाने में जुटे हैं, अभी तक 40 टॉपिक पर एप बना चुके हैं और जल्‍द ही वे भी डॉक्‍टर की पढ़ाई कर रहे भावी चिकित्‍सकों के लिए ये एप बनाकर निशुल्‍क मुहैया करवाएंगे.

Reporter- Ashok Shekhawat

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