जयपुर में शहीद स्मारक पर सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ धरना, आखिर क्यों नहीं मिलने दिया गया सीएम गहलोत से?
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जयपुर में शहीद स्मारक पर सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ धरना, आखिर क्यों नहीं मिलने दिया गया सीएम गहलोत से?

Rajasthan: राजस्थान शहीदों की धरती कहलाता है,क्योंकि देश में सबसे ज्यादा शहीद राजस्थान से हैं, लेकिन पिछले 2 दिनों से शहीदों को लेकर सियासत तेज है, पुलवामा हमले की तीन वीरांगनाएं कल जहां विधानसभा के मुख्य द्वार पर सीएम अशोक गहलोत से मिलने की गुहार लेकर बैठ गई थी, 

 

जयपुर में शहीद स्मारक पर सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ धरना, आखिर क्यों नहीं मिलने दिया गया सीएम गहलोत से?

Rajasthan: राजस्थान की राजधानी जयपुर में शहीद स्मारक पर सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ धरना दिया गया. लेकिन पुलिस ने खदेड़ दिया. वहीं, पिछली रात से वीरांगनाएं शहीद स्मारक पर सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ धरने पर अपने मासूम बच्चों के साथ बैठी है. सरकार की किरकिरी और नेताओं की आवाजाही अब शहीद स्मारक पर जारी है.

 वीरांगनाओं का दर्द को लेकर धरने पर
आंखों में आंसू लेकर मांगों को मनवाने की आस, सरकार को वादे याद दिलाने की जिद्द, मासूम बच्चों को उनके पिता की शाहदत का सम्मान दिलाने का होंसला पाले ये वीरांगनाएं रात भर से खुले आसमान तले धरने पर बैठी हैं, मामला है पुलवामा में शहीद हुए शहीदों की अंत्येष्ठी के बाद उन सरकारी वादों का जो आनन-फानना में कर तो दिए गए थे,लेकिन पिछले 4 साल से पूरा होना तो दूर उनकी सुधबुध भी नहीं ली गई.

इन वीरांगनाओ के हक में आ गया वो इंतजार जो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता रहा. थक हार कर वीरांगनाएं अपने हक के लिए सडक पर आ गईं. पुलवामा में शहीद हुए रोहित लाम्बा की वीरांगना मंजू जाट को सरकार से शिकवा है की उनके पति की अंतिम संस्कार के समय मंत्री शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और लालचंद कटारिया के साथ कई प्रशासनिक अधिकारी और हजारों लोग मौजूद रहे.

जिन्होंने नियमों में शिथिलता देकर शहीद रोहिताश के भाई जितेन्द्र लाम्बा को अनुकंपा नौकरी दिलवाने का वादा किया था. फाइल आज तक सैनिक कल्याण बोर्ड में लम्बित है. शहीद का स्मारक बनाने का वादा किया था. यह वादा भी आज तक पूरा नहीं किया. शहीद के घर से मुख्य सड़क तक डामर रोड़ बनाने का भी वादा था. ना सड़क पहुंची ना सरकार.
 
पुलवामा शहीद हेमराज मीणा की वीरांगना मधुबाला का दर्द भी कुछ ऐसा ही है, वो कहती हैं की बात किसी पेकेज की नहीं है बल्कि आत्मसम्मान की है. सरकार के मंत्रियों ने भरतपुर जिले के सांगोद अदालत के पीछे शहीद का स्मारक बनाने के साथ चौराहे का नामकारन भी शहीद के नाम पर करने की बात कही थी. लेकिन अभी तक कोई पहल तो नहीं हुई. मधुबाला का आरोप है की वादे पूरा करना तो दूर सरकार के मंत्री राजेन्द्र यादव ने तो यह कहते हुए जख्मों पर नमक छिडक दिया है की पुलवामा महज एक एक्सीडेंट था.

सांसद किरोडीलाल मीना ने वीरांगनाओं का दर्द जाना बैठे धरने पर
धरना स्थल पर और भी कई वीरांगनाएं अपने हक के लिए हाज़िर है, और राजनीती हावी, बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने विधानसभा को घेरा और उसके बाद इन शहीद स्मारक पर इन वीरांगनाओ के साथ डेरा डाल दिया. मामला विधानसभा में भी गुंजा तो मंत्रियों और विधायकों की गाड़ियां शहीद स्मारक की तरफ दौडती नज़र आई. गहलोत सरकार के सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेन्द्र गुडा मौके पर पहुंचे.

वीरांगनाओ का दर्द जाना, उलुल जुलूल बात करने वाले अपनी ही सरकार के मंत्रियों और अधिकारीयों से इन मुद्दों पर बात भी की. लेकिन नियम कायदों का हवाला देकर मामले पर ठन्डे छीटे देते नज़र आए. इसी छींटाकस्सी के बीच नेता प्रतिपक्ष ने शहीदों के प्रति इसे सरकार की उदासीनता करार दिया तो वहीँ बीजेपी के महामंत्री मदन दिलावर ने कांग्रेस नेताओं पर वीरांगनाओ का हक छीनने का आरोप लगते हुए उन्हें गद्दार तक कह दिया.

शहीदों को सम्मान मिले,वीरांगनाओं को हक

4 साल गुजर जाने के बाद चाहे पक्ष हो या विपक्ष हो, कोई भी इस चुनावी साल में चूकना नहीं चाहता,लिहाज़ मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश की जा रही है. लेकिन इससे 4 साल से भटकती इन वीरांगनाओ के साथ कोई खड़ा नहीं हुआ.

वो अपना दर्द आँखों में समेटे चक्कर पर चक्कर काटती रही. जो भी हो लेकिन शहीदों की शाहदत पर किए गए वादें हर हाल में पुरे होने चाहिए. ताकि शहीदों को सम्मान मिले,वीरांगनाओ को हक और उनके मासूम बच्चों को स्वाभिमान की जिंदगी.

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