Yashoda Jayanti 2023: फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है. इस बार यशोदा जयंती 12 फरवरी 2023 दिन रविवार को मनाई जाएगी. यशोदा जयंती का पर्व माता और संतान के प्रेम का अनोखा संबंध है. ये दिन माताओं के लिए बहुत ही खास होता है.
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Yashoda Jayanti 2023: हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है. इस बार यशोदा जयंती 12 फरवरी 2023 दिन रविवार को मनाई जाएगी. यशोदा जयंती का पर्व माता और संतान के प्रेम का अनोखा संबंध है. ये दिन माताओं के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन भारत समेत दुनियाभर के इस्कॉन मंदिरों और भगवान कृष्ण के सभी मंदिरों में यशोदा जयंती मनाई जाती है. मंदिरों में भक्त हाथी घोड़ा पालकी...जय कन्हैया लाल की के साथ माता यशोदा के जयकारे लगाकर पूरा माहौल भक्तिमय बना देते है.
ये दिन भगवान श्री कृष्ण की मैया यशोदा के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, मंगल कामना, और उज्जवल भविष्य के लिए व्रत रखती हैं. यूं तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों के लोग काफी धूमधाम के साथ मनाते हैं. इस दिन इस्कॉन मंदिरों में नंदलाल और माता यशोदा की विधिवत पूजा, भजन, कीर्तन करते हैं. मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण और माता यशोदा की झलक पाने के लिए आतूर रहते हैं . आइए जानते हैं यशोदा जयंती की तारीख, मुहूर्त और महत्व.
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 11 फरवरी 2023 को सुबह 09 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी. अगले दिन 12 फरवरी को सुबह 09 बजकर 47 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में यशोदा जयंती का पर्व 12 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा.
भगवान कृष्ण को जिस माता ने लालन- पालन किया, उनका नाम था यशोदा. माता यशोदा की ममता के अनेकों किस्से कहानियां प्रचलित है. उन्हें का प्रतीक माना गया है. इतिहास में देवकी की कम लेकिन यशोदा की चर्चा काफी होती है, क्योंकि उन्होंने ही कृष्ण को बेटा समझकर पाला और बड़ा किया और एक आदर्श मां बनकर इतिहास में अजर-अमर हो गई. धार्मिक मान्यता है कि यशोदा जयंती के दिन माता यशोदा और कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने से संतान पर कभी कोई संकट नहीं आता. कहा जाता हे कि भगवान श्रीकृष्ण स्वंय किसी ना किसी रुप में बच्चे की रक्षा करते हैं. संतान सुख पाने के लिए यशोदा जयंती पर कई स्त्रियां निर्जला व्रत रखकर संतान की कामना करती हैं. इस त्योहार को पूरी दुनिया में वैष्णव परंपरा के लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. वैष्णव धर्म के प्रवर्तक भगवान कृष्ण थे. मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से बच्चों में श्रीकृष्ण का पूरा आशीर्वाद मिलता है. वह हमेशा सुखी और संपन्न रहता है.
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इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से मुक्त होकर स्नान करें फिर साफ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें. पूजा की चौकी सजाएं. लाल कपड़ा बिछाएं और माता यशोदा की गोद में विराजमान कृष्ण की तस्वीर स्थापित करें. माता यशोदा को लाल चुनरी ओढ़ाएं. दीप, अक्षत्, हल्दी, पीला वस्त्र, लाल चुनरी, लाल साड़ी, श्रृंगार सामग्री, सुहाग का सामान, फूल, माला, गन्ना, मौसमी फलों में सीताफल, मूली, आंवला, सिंघाड़ा, अमरूद, शकरकंद आदि, गाय का घी, रुई की बत्ती, कुमकुम, रोली, मिठाई के अलावा कन्हैया और यशोदा को पान, केले, माखन का भोग लगाएं.
इस दिन गोपाल मंत्र का जाप करें. लड्डू गोपाल के साथ माता यशोदा की आरती पूरी श्रद्धा के साथ करें. उनके मातृत्व को ध्यान कर आशीर्वाद लें. इस दिन 11 छोटी कन्याओं औक बालकों को भोजन कराएं. पूजा संपन्न करने के बाद गाय को हरा चारा खिलाना ना भूलें.