लोक मान्यताओं के अनुसार लोकदेवता बाबा रामदेव जी चमत्कारिक शक्तियों से परिपूर्ण थे. इसी कारण इनके अनुयायी इनसे अपनी मन्नत मांगते हैं, पूर्ण होने पर बाबा के दरबार में अपनी हाजरी देते हैं.
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पोकरण: राजस्थान के पश्चिमी छोर पर स्थित है जैसलमेर जिला. इसी जिले में बसा हुआ है रामदेवरा. मरुस्थल में 2 किलोमीटर की परिधि में फैला सात हजार की आबादी वाला यह गांव छोटा सा भले ही हो, लेकिन इसका नाम देश-विदेशों में अलग पहचान रखता है. इसका कारण है, यहां करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था प्रतीक बाबा रामदेव जी का समाधिस्थल का होना. बाबा रामदेव जी ने लगभग साढ़े छः सौ वर्ष पूर्व राजा अजमाल जी के घर अवतार लेकर इस धरती को अपनी कर्मभूमि बनाया.
राजवंश में अवतार लेने के बाद समाज में पिछड़े वर्ग को गले लगाया. ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया. यही कारण है कि बाबा रामदेव जी के अनुयायियों में दलित वर्ग का नाम सबसे पहले आता है.
लोक मान्यताओं के अनुसार लोकदेवता बाबा रामदेव जी चमत्कारिक शक्तियों से परिपूर्ण थे. इसी कारण इनके अनुयायी इनसे अपनी मन्नत मांगते हैं, पूर्ण होने पर बाबा के दरबार में अपनी हाजरी देते है. उन्होंने समाज में सामाजिक कार्य करने के बाद मात्र 33 वर्ष की उम्र में रामदेवरा में भादवा माह शुक्ला एकादशी को जीवित समाधि ले ली थी. उन्ही की याद में अब यहां हर भादवा महीने में मेला भरता है. प्रतिवर्ष भादवा सुदी दूज से एकादशी तक आयोजित होने वाले इस मेले में देश-विदेशों से करीब 50 लाख श्रद्धालु भाग लेते हैं.
इन दिनों रामदेवरा में यह मेला अपने पूरे परवान पर है. इस बार आयोजित हो रहे 638वें मेले में प्रतिदिन लाखों की संख्या में जातरू पहुंच रहे हैं. बाबा रामदेव जी की समाधि के दर्शन कर रहे हैं. इसी के कारण रामदेवरा की तरफ आने वाली हर सड़क पर बाबा के ही जातरू दिख रहे हैं. कोई पैदल, कोई दण्डवत, कोई लुढ़कते हुए तो कोई मोटरसाइकिल, निजी वाहन, बसों और रेलों के माध्यम से रामदेवरा पहुंच रहे हैं. जातरू हाथों में पचरंगी ध्वजाएं लिए और बाबा के जयकारे लगाते हुए रामदेवरा आ रहे हैं.
ऐसे आसमान भी पचरंगी हो गया है. बाबा थारी जय बोलेंगे, एक दो तीन चार-बाबा तेरी जय-जय कार, जब तक सूरज चांद रहेगा-बाबा तेरा नाम रहेगा, आयो रे आयो-बाबो आयो जैसे स्वरचित जयकारों से गूंज रहे हैं.
दो वर्ष बाद आयोजित हो रहा है मेला
कोरोना के कारण जैसलमेर जिला प्रशासन द्वारा लगातार दो मेलों को निरस्त कर दिया गया था. अब दो वर्षों बाद आयोजित हो रहे इस मेले में हर वर्ग में अधिक उमंग और उल्लास है. श्रद्धालुओं के साथ-साथ व्यापारी भी खुश हैं. क्योंकि दो वर्षों से लगातार वे भी मंदिर की मार झेल रहे थे. इस बार मेले में राजस्थान, दिल्ली, उतर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल आदि राज्यों से हजारों की संख्या में व्यापारी रामदेवरा पहुंचे हैं और अपना व्यापार कर रहे हैं. मेले में पूजन सामग्री, चुड़ी-कंठी माला, खिलौने, कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन, नाश्ता, रेस्टोरेंट्स आदि की 2000 के लगभग दुकानें सजी हुई हैं. करोड़ों रुपए का प्रतिदिन व्यापार हो रहा है.
सेवादार भी जुटे सेवा में
मेले में सेवादार भी श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे हुए हैं. भादवा मेले में दर्जनों की संख्या में भण्डारे लगे हुए हैं. जिनमे श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोजन, चाय, पानी, मेडीकल सहित विश्राम की सुविधा है. यहां पहुंचकर श्रद्धालुओं को राहत मिलती है.
संयुक्त रूप से किये इंतजाम
इस बार भादवा मेले में अधिक भीड़ होगी, इसका अनुमान पहले से ही प्रशासन को था. ऐसे में जिला कलेक्टर टीना डाबी के नेतृत्व में जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, ग्राम पंचायत और बाबा रामदेव समाधि समिति दो माह पूर्व ही तैयारियों में जुट गया था. ऐसे में सभी व्यवस्थाएं पुख्ता हैं, श्रद्धालु शांतिपूर्ण बाबा रामदेव जी की समाधि के दर्शन कर रहे हैं. प्रशासन द्वारा सफाई, मेडीकल, पार्किंग आदि की बेहतर व्यवस्था की गई है. श्रद्धालुओं के बढ़े यात्री भार के कारण रोडवेज द्वारा अतिरिक्त बसें और रेलवे प्रशासन द्वारा कई अतिरिक्त रेलों का संचालन किया जा रहा है.
4,000 का जाब्ता तैनात
भादवा मेले में पुलिस और आरएसी का लगभग 4,000 का अतिरिक्त जाब्ता तैनात किया गया है. इनके द्वारा मेले में सुरक्षा और पुलिस व्यवस्था को संभाला जा रहा है. जैसलमेर एसपी भंवरसिंह नाथावत के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नारायणसिंह राजपुरोहित, डीएसपी अमरजीत चावला और रामदेवरा थानाधिकारी दलपतसिंह चौधरी द्वारा हर व्यवस्था को बेहतर तरीके से संभाला जा रहा है.
24 घण्टे हो रहे है दर्शन
श्रद्धालुओं को कम समय में दर्शन हो सके, इसलिए बाबा रामदेव समाधि समिति द्वारा समाधि स्थल को 24 घण्टे ही खुला रखा जा रहा है. अब तक भादवा मेले में 25 लाख श्रद्धालु बाबा की समाधि के दर्शन कर चुके हैं.
Reporter- Shankar Dan
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